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Rice Exports: ईरान-इजरायल युद्ध में फंसा बासमती चावल, 1.5 लाख टन माल बंदरगाहों पर अटका: भाव 12% तक गिरे

निर्यातकों की मानी जाए तो ईरान में निर्यात होने वाले चावल का कोई बीमा नहीं होता है। जिसके कारण भारतीय चावल निर्यातकों को करोड़ों रुपये फंसने का डर सता रहा है।

Last Updated- June 23, 2025 | 6:39 PM IST
Basmati rice stuck in Iran-Israel war, 1.5 lakh tonnes of goods stuck at ports: Prices fell by 12%

Rice Exports: ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध का असर भारत के चावल निर्यातकों पर पड़ा है। दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध के कारण ईरान के रास्ते जाने वाले चावल का निर्यात बंद हो गया है। ईरान के स्ट्रेट ऑफ होर्मुज बंद करने की ख़बर से निर्यातकों की सांसे अटक गई है क्योंकि इसी रास्ते से खाड़ी देशों को निर्यात होता है और करीब 80 फीसदी चावल का निर्यात खाड़ी देशों को ही होता है।

1 लाख मीट्रिक टन चावल बंदरगाहों पर अटका

युद्ध के चलते हरियाणा, पंजाब, दिल्ली व उत्तर प्रदेश से निर्यात होने वाला करीब एक लाख मीट्रिक टन चावल बंदरगाहों पर अटक गया है। इसके साथ ही ईरान को निर्यात किये गए चावल का पैसा भी अटक गया है। निर्यातकों की मानी जाए तो ईरान में निर्यात होने वाले चावल का कोई बीमा नहीं होता है। जिसके कारण भारतीय चावल निर्यातकों को करोड़ों रुपये फंसने का डर सता रहा है। निर्यातकों के सामने एक और बड़ी समस्या निर्यात परमिट की है क्योंकि ईरान जाने वाले चावल के निर्यात के लिए परमिट सिर्फ चार महीने के लिए बनता है। तय समय सीमा के अंदर डिलीवरी नहीं पहुंचती तो परमिट रद्द हो जाता है।

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खाड़ी देशों में निर्यात प्रभावित होगा

ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टस एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश गोयल ने बताया कि ईरान भारत से बासमती चावल खरीदने वाला सबसे बड़ा देश है। इस साल भारत से 6 मिलियन टन चावल एक्सपोर्ट हुआ, जिसमें 30-35 फीसदी हरियाणा से गया है। गोयल का कहना है कि कांडला और मुंदडा बंदरगाह पर एक लाख मीट्रिक टन से अधिक बासमती चावल फंसा पड़ा है। अगर स्ट्रेट ऑफ होर्मुज बंद होता है तो स्थिति बहुत खराब हो जाएगी क्योंकि इससे पूरे खाड़ी देशों में निर्यात प्रभावित होगा। 80 फीसदी बासमती चावल का निर्यात खाड़ी देशों को होता है। जबकि 30-35 फीसदी चावल ईरान को निर्यात होता है।

गोयल के मुताबिक हम लोग सरकार के संपर्क में हैं। लेकिन फिलहाल स्थिति ऐसी है कि इसमें इंतजार ही किया जा सकता है क्योंकि युद्ध की स्थिति में सरकार भी बहुत ज्यादा कुछ नहीं कर सकती है। उम्मीद है कि जल्द ही सबकुछ ठीक हो जाए। हर साल एक मिलियन टन चावल भारत से ईरान जाता है। पिछले दो महीने में भी एक्सपोर्ट अच्छा हुआ है। फिलहाल कुछ दिनों से जो शिपमेंट जानी थी, वो होल्ड कर दी गई है, क्योंकि युद्ध की स्थिति में बीमा नहीं होता है।

बासमती चावल के दाम 12 फीसदी तक गिरे

निर्यातकों की मानी जाए तो निर्यात होने वाले बासमती चावल के दाम 12 फीसदी तक गिर चुके हैं। युद्ध शुरू होने से पहले दुबई, ईरान व पश्चिम एशिया के अन्य देशों को निर्यात किए जाने वाले बासमती की कीमत 7,000 से लेकर 7,200 रुपये प्रति क्विंटल थी जो अब घटकर 6,600 से 6,900 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है।

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हरियाणा राइस मिलर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अमरजीत छाबड़ा बताते हैं कि इस युद्ध के कारण धान किसानों और बासमती निर्यातकों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। चावल निर्यात न होने से गुजरात बंदरगाह पर पड़ा चावल खराब होने का खतरा पैदा हो गया है। चावल खराब होने का प्रभाव निर्यातकों की आमदनी पर भी पड़ेगा। किसानों से धान की खरीदी भी प्रभावित होगी। निर्यातकों के पास भुगतान न आने से किसानों के सामने भी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा।

चावल निर्यातकों का कहना है कि भारत ईरान को करीब 30 फीसदी से ज्यादा बासमती चावल निर्यात करता है, जो भारत के चावल का सबसे बड़ा आयातक देश है। दूसरे नंबर पर सऊदी अरब और तीसरे नंबर पर ईराक भारत से चावल आयात करता है। ये तीनों ही देश भारत के बासमती चावल के आयात करने वाले देश हैं। युद्ध के कारण करीब डेढ़ लाख टन माल गुजरात के बंदरगाह पर अटका है।

प्रमुख देशों को भारतीय चावल का निर्यात

देश निर्यात (लाख टन) कीमत (लाख डॉलर में)
सऊदी अरब 11.7 12,038
इराक 9.1 8,501
ईरान 8.6 7,532
यूएई 3.9 3,645
यमन 3.9 3,583
यूएसए 2.7 3,371
यूके 1.8 1,909
कुवैत 1.8 1,804
ओमान 1.5 1,447
कतर 1.2 1,229

स्त्रोत: डीजीसीआईएस, एपिडा | संकलन: बीएस रिसर्च ब्यूरो

First Published - June 23, 2025 | 5:56 PM IST

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