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Stock limit: स्टॉक सीमा के कारण गेहूं व दालों के दाम में मामूली इजाफा

30 सितंबर तक दालों पर सीमा लागू, गेहूं पर मार्च 2025 तक; निजी कारोबारी बताते हैं आपूर्ति की कमी और दाम बढ़ने की आशंका

Last Updated- July 03, 2024 | 10:48 PM IST
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केंद्र सरकार ने दाम नियंत्रित व जमाखोरी पर निगरानी करने के लिए चना और काबुली चना के स्टॉक पर 21 जून को सीमा लगाई थी। इसके बाद सरकार ने गेहूं के स्टॉक की सीमा तय की थी। दालों पर सीमा 30 सितंबर तक लगाई गई है और इसके बाद समीक्षा की जाएगी। हालांकि गेहूं पर मार्च 2025 तक सीमा लगाई गई है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 21 और 26 जून को लगाई गई स्टॉक सीमा के बाद इन जिंसों के दामों में मामूली इजाफा हुआ है।

उदाहण के तौर पर स्टॉक सीमा लगाए जाने के बाद गेहूं के औसत दाम में वृद्धि हुई। उपभोक्ता मामलों के विभाग के अनुसार 1 अप्रैल से 26 जून (स्टॉक सीमा लगाए जाने तक) तक अखिल भारतीय स्तर पर गेहूं का थोक मूल्य 1.3 प्रतिशत बढ़ा था। इसके बाद दाम में 0.36 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई।

हालांकि निजी कारोबारियों के अनुसार कुछ केंद्रों में गेहूं के दाम में वृद्धि हुई है और यह मामूली नहीं है। उन्होंने बताया कि बाजार में गेहूं की आपूर्ति की अत्यधिक कमी है और अभी भी कुछ बड़े कारोबारियों के पास भंडार है। उनके अनुसार जब तक भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) गेहूं का स्टॉक जारी नहीं करेगा तब तक दाम में अधिक बदलाव नहीं आएगा।

गेहूं के कारोबारियों, थोक विक्रेताओं और बड़ी रिटेल श्रृंखलाओं को 26 जून से शुरू हुई तारीख के 30 दिनों के अंदर स्टॉक को तय सीमा में करना है। कारोबारियों के अनुसार गेहूं के मुकाबले दालों के दाम अधिक गिरे हैं। इसका कारण यह है कि सर्वप्रथम गर्मियों में दाल की मांग कम होती है और इस मौसम में तला हुआ भोजन कम खाया जाता है।

दूसरा, दालों के आयात पर शून्य शुल्क है। तीसरा, आयातकों को दालों की आयातित खेप को 45 दिनों से अधिक रोकने से रोका गया है। लिहाजा उन्हें बाजार में तेजी से दालों का स्टॉक जारी करने को मजबूर किया गया है।

 

First Published - July 3, 2024 | 10:48 PM IST

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