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गिरावट के बाद अब दिसंबर तक रुपये में मजबूती की आस

रिजर्व बैंक ने इस साल अब तक करीब 78 अरब डॉलर एकत्र कर लिए हैं और विदेशी मुद्रा भंडार रखने वाले प्रमुख देशों में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है।

Last Updated- October 11, 2024 | 10:42 PM IST
Rupee vs Dollar

Dollar vs Rupee: अब तक अक्टूबर महीने में डॉलर के मुकाबले 0.32 प्रतिशत गिरावट के बाद अब चालू तिमाही में आवक के कारण रुपये में स्थिरता आने की उम्मीद है। बिज़नेस स्टैंडर्ड पोल में शामिल 10 लोगों की प्रतिक्रिया के माध्य के मुताबिक दिसंबर के अंत तक करीब 84 रुपये प्रति डॉलर पर कारोबार होने की संभावना है।

आईसीआईसीआई बैंक के इकनॉमिक्स रिसर्च के प्रमुख समीर नारंग ने कहा, ‘भारत के मामले में कम से कम बॉन्ड और नकदी पर आधारित प्रवाह जारी रहेगा। यह अन्य कारकों को संतुलित करता है और हमारे विचार से चालू खाता काफी हद तक अनुकूल बना हुआ है। हमारा मानना है कि चालू खाता जीडीपी के 1 प्रतिशत से कम है। हमारा अनुमान जीडीपी के 0.8 प्रतिशत तक है। ऐसे में हमारा मानना है कि ढांचागत हिसाब से ये वजहें रुपये के लिए सकारात्मक हैं, भले की कम अवधि के हिसाब से कुछ प्रतिकूल परिस्थितियां हैं।’

रिजर्व बैंक के समय से हस्तक्षेप से सुनिश्चित होता है कि मुद्रा का अवमूल्यन धीरे धीरे हो रहा है। भारतीय मुद्रा शुक्रवार को 84.10 के स्तर पर पहुंच गई, यह ऐसा स्तर है, जिसे रिजर्व बैंक करीब 2 महीने से बचा रहा है।

बहरहाल चल रहे भू राजनीतिक तनावों की वजह से रुपये में और गिरावट की संभावना है। ब्रेंट क्रूड बढ़कर 79.18 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच चुका है। यह लगातार दूसरी साप्ताहिक तेजी है। इस तेजी को आपूर्ति के जोखिमों से बल मिला है, जो चल रहे युद्ध और ईरान के तेल केंद्रों पर संभावित हमले की वजह से है। इसके साथ ही चीन के प्रोत्साहन के कदमों और शेयर बाजारों की वापसी की वजह से भारत के पूंजी प्रवाह पर दबाव पड़ रहा है।

आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा, ‘हमें लगता है कि दूसरी छमाही में भुगतान संतुलन का अधिशेष बढ़ेगा। और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दर में कटौती के कारण पूंजी के प्रवाह, एफडीआई को गति मिलेगी। अभी पश्चिम एशिया के भू राजनीतिक जोखिमों के कारण दबाव है। रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से भी मदद मिल रही है, जो उतार चढ़ाव रोकने के लिए वह कर रहा है। हमारे पास पर्याप्त से अधिक विदेशी मुद्रा भंडार है। भारत में दर में कटौती का चक्र अमेरिका की तुलना में सुस्त रहेग क्योंकि हमारी वृद्धि तुलनात्मक रूप से मजबूत है।’

बाजार से जुड़े एक तबके का मानना है कि स्थानीय मुद्रा आगे और गिरकर चालू तिमाही में 84.25 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच सकती है क्योंकि आयातकों द्वारा डॉलर की तेज मांग की वजह से रुपये में कमजोरी आ सकती है।

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के कार्यकारी निदेशक और ट्रेजरी के प्रमुख अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘आयातकों को अभी सामने आना है और निर्तायकों का ध्यान रखा जा रहा है क्योंकि रिजर्व बैंक 84 के स्तर, 83.99 के स्तर पर डॉलर बेच रहा है। इसलिए निर्यातकों को सुरक्षा मिल रही है। ऐसे में ज्यादातर आयातक अब चिंतित होंगे और खरीद करेंगे। इसकी वजह से डॉलर चढ़ेगा। लेकिन स्वाभाविक रूप से रिजर्व बैंक लगाम लगाए रखेगा, इसलिए रुपये की गिरावट सुस्त रहेगी।’

विदेशी मुद्रा भंडार भी इस समय रिकॉर्ड स्तर 700 अरब डॉलर से ऊपर है। यह भी उतार-चढ़ाव के मामले में बफर का काम कर रहा है। रिजर्व बैंक ने इस साल अब तक करीब 78 अरब डॉलर एकत्र कर लिए हैं और विदेशी मुद्रा भंडार रखने वाले प्रमुख देशों में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है।

First Published - October 11, 2024 | 10:27 PM IST

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