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CAD: FY24 की मार्च तिमाही में कम हो सकता है चालू खाते का घाटा

राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय के शुक्रवार को जारी आंकड़े के अनुसार वित्त वर्ष 24 की मार्च तिमाही में शुद्ध निर्यात नॉमिनल संदर्भ में जीडीपी के -0.8 फीसदी पर रहा।

Last Updated- June 02, 2024 | 10:05 PM IST
Slight decline in current account deficit in second quarter to $11.2 billion: RBI करंट अकाउंट डेफिसिट में दूसरी तिमाही में आई मामूली गिरावट, घटकर 11.2 अरब डॉलर रहा: RBI

Current Account Deficit, March 2024: भारत में चालू खाते का घाटा (सीएडी) वित्त वर्ष 24 की मार्च तिमाही में और कम हो सकता है। इसका कारण यह है कि जनवरी मार्च अवधि के दौरान ऋणात्मक शुद्ध निर्यात का दबाव 11 तिमाहियों में सबसे कम हो गया है।

शुद्ध निर्यात असल में वस्तुओं और सेवाओं के कुल निर्यात और आयात का अंतर होता है, जबकि चालू खाते का घाटे में इस अंतर के साथ ही निजी स्थानांतरण प्राप्तियों को भी शामिल करते हैं। शुद्ध निर्यात सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों का हिस्सा होता है, जबकि चालू खाते के घाटे का आंकड़ा रिजर्व बैंक जारी करता है।

लिहाजा शुद्ध निर्यात को चालू खाते के घाटे के लिए प्रॉक्सी माना जाता है। शुद्ध निर्यात के साथ विदेश में कार्यरत भारतीयों द्वारा भेजी गई राशि को जोड़कर सीएडी की गणना की जाती है।

राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय के शुक्रवार को जारी आंकड़े के अनुसार वित्त वर्ष 24 की मार्च तिमाही में शुद्ध निर्यात नॉमिनल संदर्भ में जीडीपी के -0.8 फीसदी पर रहा जबकि यह इसकी पिछली तिमाही में -2.9 फीसदी था। हालांकि रियल यानी वास्तविक मायने में मार्च तिमाही में शुद्ध निर्यात धनात्मक (जीडीपी का 1.3 प्रतिशत) हो गया जबकि यह इसके पीछे तीन लगातार तिमाहियों में ऋणात्मक रहा था। शुद्ध निर्यात धनात्मक रहने से कुल जीडीपी वृद्धि को जबरदस्त समर्थन मिला।

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अप्रैल में मौद्रिक नीति के बयान में कहा था कि वित्त वर्ष 24 की पहली तीन तिमाहियों में भारत का चालू खाते का घाटा महत्त्वपूर्ण रूप से कम हुआ। यह संकुचन वस्तु निर्यात घाटे में कमी आने के साथ सेवा निर्यात तेजी से बढ़ने और विदेशों से काफी धन भेजे जाने के कारण हुआ था।

उन्होंने बताया, ‘भारत का वस्तु और सेवा निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में अच्छे ढंग से मजबूत हुआ है। विश्व में सबसे ज्यादा धन प्राप्त करने वाले देश का तमगा भारत के पास रहा। भारत में विदेश से धन प्राप्त करने की लागत में नियमित रूप से गिरावट आ रही है। वर्ष 2024-25 में चालू खाते का घाटा समग्र रूप से एक ऐसे स्तर में रहने की उम्मीद है जो व्यवहार्य और प्रबंधनयोग्य होगा।’

वित्त वर्ष 24 की दिसंबर तिमाही में चालू खाते का घाटा जीडीपी का 1.2 फीसदी था जबकि यह दूसरी तिमाही में जीडीपी का 1.3 फीसदी था। वर्ष 2023-24 के अप्रैल दिसंबर के दौरान चालू खाते का घाटा जीडीपी का 1.2 फीसदी था जबकि यह इससे बीते वर्ष की समान अवधि में 2.6 फीसदी था।

आईडीएफसी फर्स्ट बैंक ने हाल की एक रिपोर्ट में अनुमान जताया कि वित्त वर्ष 25 में चालू खाते का घाटा जीडीपी का 1.3 फीसदी रह सकता है जो वित्त वर्ष 24 में 0.7 फीसदी था। इसके अनुसार, ‘वित्त वर्ष 25 में वैश्विक वृद्धि की सुस्ती के कारण वस्तु निर्यात में सुस्ती और सेवा अधिशेष में कुछ सुस्ती आने का अनुमान है।

वित्त वर्ष 25 में भारत के कच्चे तेल के बास्केट का औसत 85 डॉलर प्रति बैरल होने का अनुमान है जबकि यह वित्त वर्ष 24 में 82.5 डॉलर प्रति बैरल था। वित्त वर्ष 24 में कच्चे तेल का आयात रूस से कम लागत के कच्चे तेल के आयात के कारण घट गया था। वित्त वर्ष 25 में रूस के कच्चे तेल के आयात से मदद मिल सकती है।

First Published - June 2, 2024 | 10:05 PM IST

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