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RBI के मुनाफे से सामाजिक क्षेत्रों में खर्च बढ़ाने की मांग

फिक्की ने आरबीआई के ₹2.11 लाख करोड़ लाभांश का सामाजिक क्षेत्र में निवेश की सिफारिश की

Last Updated- July 18, 2024 | 10:51 PM IST
RBI

सरकार को भारतीय रिजर्व बैंक के 2.11 लाख करोड़ रुपये लाभांश से मिली राजकोषीय गुंजाइश का इस्तेमाल सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं में व्यय बढ़ाने में करने की जरूरत है। भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने गुरुवार को जारी इकनॉमिक आउटलुक सर्वे में कहा है कि सरकार को इसका इस्तेमाल खासकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समर्थन देने में करना चाहिए।

फिक्की के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य इस साल के शुरुआत में अंतरिम बजट में अनुमानित 5.1 प्रतिशत से थोड़ा कम किए जाने की जरूरत है। सरकार ने वित्त वर्ष 2025 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.1 प्रतिशत यानी 16.85 लाख करोड़ रुपये रखा है।

साथ ही वित्त वर्ष 24 का संशोधित अनुमान 5.8 प्रतिशत कर दिया था, जबकि पहले 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। बाद में वित्त वर्ष 2024 का राजकोषीय घाटा कम होकर 5.6 प्रतिशत रह गया।

सर्वे में वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान सालाना औसत जीडीपी वृद्धि 7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। साथ ही कहा गया है कि आगामी बजट में समग्र कदमों की उम्मीद है, जिससे रोजगार को बढ़ावा मिले और कर्मचारियों की क्षमता बढ़ सके। ऐसे कदमों में रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की तरह शहरों के लिए योजना लाना शामिल है।

अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि कृषि क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिए जाने की संभावना है। फिक्की के सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि कृषि क्षेत्र की वृद्धि इस वित्त वर्ष में सुधरकर 3.7 प्रतिशत रह सकती है, जो वित्त वर्ष 2023-24 मे 1.4 प्रतिशत थी। इस सर्वे में फिक्की के 30 अर्थशास्त्रियों से प्रतिक्रिया ली गई थी, जो उद्योग, बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र से जुड़े हैं।

कृषि सुधारों और कुशलता बढ़ाने के लिए अर्थशास्त्रियों ने राज्यों के लिए सुधार से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं बनाने का प्रस्ताव किया है। अर्थशास्त्रियों ने जलवायु के असर को लेकर अनुकूलन के उपाय लागू करने, भंडारण से जुड़े बुनियादी ढांचे में सुधार और गैर एमएसपी फसलों के लिए मूल्यों के पहले से अनुमान लगाने का तंत्र विकसित करने के भी सुझाव दिए हैं। अर्थशास्त्रियों ने कर की दरों में बदलाव करने का भी पक्ष लिया है, जिससे खासकर कम आमदनी वाले लोगों के हाथों में खर्च किए जाने योग्य आमदनी आ सके।

First Published - July 18, 2024 | 10:51 PM IST

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