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Digital Public Infra: विकसित देश कर रहे DPI का विरोध!

भारत के यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) व्यवस्था को हाल में कई देशों ने स्वीकार किया है

Last Updated- July 16, 2023 | 11:55 PM IST
Digital identity project
Business Standard

भारत के यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) को ज्यादा देश स्वीकार कर रहे हैं वहीं जी-20 में भारत के वैश्विक डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) ढांचे के प्रस्ताव को कुछ विकसित देशों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उनका मानना है कि यह वैश्विक प्राइवेट पेमेंट प्रॉसेसर्स के विकास में बाधा पैदा कर सकता है।

भारत के यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) व्यवस्था को हाल में कई देशों ने स्वीकार किया है। इस साल मार्च में सिंगापुर की भुगतान व्यवस्था के एकीकरण के बाद पिछले सप्ताह संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और फ्रांस के साथ समझौते हुए हैं।

यूपीआई और अमेरिका के निजी भुगतान नेटवर्कों जैसे वीसा और मास्टटरकार्ड की बाजार हिस्सेदारी के हाल के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2018 में एक ब्लॉग में कहा था कि दोनों अमेरिकी कंपनियां भारत में बाजार हिस्सेदारी गंवा रही हैं क्योंकि भारत में विकसित भुगतान व्यवस्था यूपीआई और रुपे कार्ड का प्रसार हो हो रहा है, जिनकी डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड से भुगतान में हिस्सेदारी 65 प्रतिशत पहुंच गई है।

अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के विचार से अवगत जी-20 के एक अधिकारी से यह पूछे जाने पर कि क्या भारत की वैश्विक डीपीआई के प्रस्ताव को देखते हुए वीजा और मास्टरकार्ड की UPI से हिस्सेदारी गंवाना चिंता का विषय है, अधिकारी ने कहा, ‘यह समझने की जरूरत है कि डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को सार्वजनिक होना जरूरी है। लेकिन इसमें निजी क्षेत्र के लिए भी जगह बनाने की जरूरत है।’

यह पूछे जाने पर कि क्या डीपीआई को इंटरऑपरेबल बनाए जाने के प्रस्ताव पर आम सहमति है, बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ एक साक्षात्कार में भारत के जी-20 के शेरपा अमिताभ कांत ने कहा कि इंटरऑपरेबिलिटी डीपीआई में अंतर्निहित है, हालांकि इसकी सीमा संबंधित देश पर निर्भर होगी।

उन्होंने कहा, ‘डिजिटल इकोनॉमी वर्किंग ग्रुप के माध्यम से यह देखने की कवायद हो रही है कि क्या जी-20 को डीपीआई के सुझाए गए ढांचे पर सहमत किया जा सकता है। मूलतः डीपीआई क्या है? जैसे जैसे विभिन्न देश डीपीआई की प्रभावशीलता को लेकर भरोसा कर लेंगे, सीमा पार डेटा का प्रवाह बढ़ेगा और इंटरऑपरेबिलिटी संभव हो जाएगी।’

First Published - July 16, 2023 | 11:55 PM IST

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