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भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर EY का बड़ा एनालिसिस, GDP, Revenue को लेकर कही बड़ी बात

EY India Economy Watch report में कहा गया है कि पिछले तीन साल में, सकल कर राजस्व में उछाल धीरे-धीरे कम हुआ है।

Last Updated- February 26, 2025 | 6:06 PM IST
Adani Group Auditor Ernst & Young
प्रतीकात्मक तस्वीर

लेखा और परामर्श कंपनी EY (Ernst & Young) ने बुधवार को कहा कि भारत को 6.5 से 7.0 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने के लिए सकल घरेलू उत्पादन (GDP) में बदलाव के अनुपात में कर राजस्व में वृद्धि यानी कर में 1.2 से 1.5 उछाल की जरूरत है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार को राजस्व संग्रह को मजबूत करने की आवश्यकता है, विशेष रूप से कर-से-जीडीपी अनुपात को वित्त वर्ष 2025-26 के बजट अनुमान (Budget Estimates) में अनुमानित 12 प्रतिशत से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2030-31 तक 14 प्रतिशत करना होगा।

EY ने कहा कि भारत की राजकोषीय रणनीति (fiscal strategy) को जीडीपी में बदलाव के अनुपात में कर राजस्व बढ़ाने, विवेकपूर्ण व्यय प्रबंधन (prudent expenditure management) और सतत वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए निरंतर संरचनात्मक सुधारों (structural reforms ) पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार (EY India Chief Policy Advisor) डी के श्रीवास्तव ने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 का बजट रणनीतिक रूप से विकास की अनिवार्यताओं के साथ राजकोषीय मजबूती को संतुलित करता है। श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘हालांकि, भारत को 6.5 से 7.0 प्रतिशत की मध्यम अवधि की वृद्धि दर हासिल करने और अपने विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए, यह सुनिश्चित करना होगा कि कर उछाल 1.2 से 1.5 के दायरे में बना रहे। इससे बुनियादी ढांचे के विस्तार में तेजी लाने, सामाजिक क्षेत्र के खर्च को बढ़ाने और राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने के लिए आवश्यक राजकोषीय गुंजाइश बनाने में मदद मिलेगी।’’

ईवाई इंडिया इकनॉमी वॉच की रिपोर्ट (EY India Economy Watch report ) में कहा गया है कि पिछले तीन साल में, सकल कर राजस्व में उछाल धीरे-धीरे कम हुआ है। वित्त वर्ष 2023-24 में यह 1.4 से वित्त वर्ष 2024-25 के संशोधित अनुमान के अनुसार 1.15 पर आ गया। वहीं वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में इसके 1.07 रहने का अनुमान है।

ईवाई रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘कर उछाल 1.2 से 1.5 प्रतिशत के दायरे में बनाए रखने से भारत सरकार को 6.5 से 7.0 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि दर हासिल करने में मदद मिल सकती है।’’ अगले वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर 6.3 से 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर (GDP growth) 6.4 प्रतिशत रहने की संभावना है।

RBI के Indian economy outlook 2025 में क्या कहा गया ?

Indian economy outlook 2025 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा था कि जीडीपी वृद्धि दर में हालिया सुस्ती के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाएं बेहतर होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा था कि उपभोक्ता और कारोबारी विश्वास उच्च बना हुआ है जिससे अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी। मल्होत्रा ने आरबीआई की वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट, दिसंबर 2024 की प्रस्तावना में यह बात कही थी।

दिसंबर, 2024 को जारी रिपोर्ट में आरबीआई गर्वनर ने कहा था, ‘वैश्विक वृहद वित्तीय मोर्चे पर छाई अनिश्चितताओं के बावजूद 2024-25 की पहली छमाही में आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार सुस्त रहने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाओं में सुधार होने की उम्मीद है। आगामी वर्ष के लिए उपभोक्ता एवं कारोबारी विश्वास उच्च बना हुआ है और निवेश परिदृश्य भी बेहतर है क्योंकि कंपनियां मजबूत बहीखाते एवं उच्च लाभप्रदता के साथ 2025 में कदम रखने जा रही हैं।’

रिपोर्ट में कहा गया है कि हालिया सुस्ती के बावजूद वृद्धि के ढांचागत वाहकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। घरेलू वाहकों, मुख्य रूप से सार्वजनिक उपभोग एवं निवेश, सेवाओं का दमदार निर्यात और आसान वित्तीय स्थितियों में तेजी के कारण 2024-25 की तीसरी और चौथी तिमाही के दौरान वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर के पटरी पर आने की उम्मीद है। जहां तक गिरावट के जोखिमों का सवाल है तो उसमें विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र की औद्योगिक गतिविधियों में नरमी, शहरी मांग में गिरावट, वैश्विक चुनौतियां और व्यापार संरक्षण एवं औद्योगिक नीति जैसे कारक शामिल हैं।

रिपोर्ट में मुद्रास्फीति के बारे में कहा गया है कि खाद्य कीमतों में नरमी और बेस इफेक्ट के कारण नवंबर में समग्र मुद्रास्फीति को 5.5 फीसदी तक सीमित करने में मदद मिली। मगर मुख्य मुद्रास्फीति मई 2024 के बाद 64 आधार अंकों की बढ़त के साथ नवंबर में 3.7 फीसदी हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘आगे बंपर खरीफ और रबी फसल की संभावनाओं के कारण खाद्यान्न की कीमतों में नरमी आने की उम्मीद है।’ चरम मौसम स्थितियां बढ़ने से मुद्रास्फीति का जोखिम बढ़ जाता है।

Moody’s Ratings का कहना – ‘एशिया-प्रशांत में भारत पर अमेरिकी शुल्कों का जोखिम कम’

मूडीज रेटिंग्स (Moody’s Ratings) ने 25 फरवरी, 2025 को कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र के अन्य देशों की तुलना में भारत पर अमेरिकी शुल्कों का जोखिम कम है। हालांकि खाद्य, कपड़ा और दवा जैसे कुछ क्षेत्रों को जोखिम का सामना करना पड़ रहा है। मूडीज ने कहा कि उसके रेटेड पोर्टफोलियो में ज्यादातर कंपनियां घरेलू रूप से केंद्रित हैं, जिनका अमेरिकी बाजार में कारोबार सीमित है। जवाबी शुल्क के दबाव को कम करने के लिए, अमेरिका और भारत कथित तौर पर चुनिंदा अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क कम करने, अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए बाजार पहुंच बढ़ाने और अमेरिकी ऊर्जा खरीद बढ़ाने के लिए बातचीत कर रहे हैं, जबकि वर्ष 2025 की शरद ऋतु तक व्यापार समझौता शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं।

मूडीज ने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत, वियतनाम और थाइलैंड जैसे विकासशील देशों में अमेरिका की तुलना में दरों में सबसे ज्यादा अंतर है। कम निर्यात मांग से होने वाली मार के अलावा, इस क्षेत्र में उभरती अर्थव्यवस्थाओं के सामने एक प्रमुख जोखिम यह है कि चीन और अन्य उन्नत एपीएसी अर्थव्यवस्थाओं के समान निर्यात-आधारित विकास मॉडल को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखने वालों को तेजी से हस्तक्षेप करने वाले व्यापार वातावरण में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल होगा।

(एजेंसी इनपुट के साथ) 

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First Published - February 26, 2025 | 5:58 PM IST

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