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भारत में जर्मनी की कंपनी करेगी $1.5 बिलियन का बड़ा निवेश! बोले गोयल- निवेशकों का आत्मविश्वास बढ़ रहा है

गोयल ने कहा कि अधिक से अधिक कंपनियां भारत में व्यापार के अवसरों को तलाशने के लिए आ रही हैं।

Last Updated- March 29, 2025 | 4:31 PM IST
Piyush Goyal
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल | फोटो क्रेडिट: PTI

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को कहा कि जर्मनी की एक रसायन क्षेत्र की कंपनी ने भारत में 1.5 बिलियन डॉलर (लगभग 150 करोड़ डॉलर) का निवेश करने का फैसला किया है। साथ ही एक राज्य ने इसके लिए जमीन भी चिह्नित कर ली गई है। हालांकि मंत्री ने कंपनी का नाम या राज्य का नाम नहीं बताया, लेकिन उन्होंने कहा कि कंपनी का प्रमुख रविवार को उस राज्य के मुख्यमंत्री से मिलने वाला है।

गोयल ने यूनियन इंटरनेशनेल डेस एवोकेट्स (UIA) के एक सत्र को संबोधित करते हुए कहा, “जमीन का आवंटन उसके हाथ में होगा, और हमारे देश में अगले 12 महीनों में डेढ़ बिलियन डॉलर का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) आएगा।”  कंपनी एक ऐसी जमीन की तलाश में है, जो लगभग 250 एकड़ की हो और किसी बंदरगाह के पास हो। जर्मनी भारत में नौवां सबसे बड़ा निवेशक देश है। अप्रैल 2000 से दिसंबर 2024 के बीच देश को लगभग 15 बिलियन डॉलर का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) मिला है। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक कंपनियां भारत में व्यापार के अवसरों को तलाशने के लिए आ रही हैं। सरकार ने देश के व्यापारिक माहौल को बेहतर करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे अनुपालन बोझ को कम करना और छोटे अपराधों को कम करना आदि।

उन्होंने कहा कि ये कदम निवेशकों में एक नया आत्मविश्वास पैदा कर रहे हैं और अगर कोई कानून अनावश्यक रुकावट पैदा कर रहा हो तो सरकार उनकी मदद के लिए तैयार है। मध्यस्थता के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा तरीका है जो न्यायिक देरी को बहुत कम कर सकता है, बशर्ते दोनों पक्ष मध्यस्थता के परिणामों को ईमानदारी से स्वीकार करें।

गोयल ने कहा, “बेशक, कभी-कभी मध्यस्थता की गुणवत्ता को लेकर चिंताएं होती हैं, इसलिए यह हमारे लिए सरकार में दो कारणों से गहरी चिंता का विषय है – पहला, क्या सरकार अपने पक्ष को मध्यस्थों (Arbitrators) के सामने स्मार्ट और अच्छी तरह से पेश कर पाई, और दूसरा, क्या मध्यस्थता में वास्तव में न्याय हुआ या यह बड़े कॉरपोरेट्स या अंतरराष्ट्रीय सोच के प्रभाव से अधिक प्रभावित हुई।” उन्होंने जोर देकर कहा कि मध्यस्थता को और मजबूत करने की जरूरत है ताकि यह सभी हितधारकों में भरोसा पैदा कर सके।

उन्होंने कहा, “मध्यस्थता और मेल-मिलाप (Mediation) को हमारे कामकाज में कहीं ज्यादा लोकप्रिय बनाने की जरूरत है। मेरा मानना है कि अगर भारत इसी तरह बढ़ता रहा जैसा अभी बढ़ रहा है, और हम अपने विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को जिस तरह से मजबूत करना चाहते हैं, करते रहे, तो जाहिर है कि विवाद होंगे, असहमतियां होंगी, और अगर हम अदालतों को अव्यवस्थित रख सकें, तो वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की हमारी इच्छा को बड़ा बढ़ावा मिलेगा।”

First Published - March 29, 2025 | 4:26 PM IST

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