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भारत का MSCI EM इंडेक्स में भार घटा, चीन-ताइवान से पिछड़ा

1 लाख करोड़ डॉलर की बिकवाली से सूचकांक में तीसरे स्थान पर खिसका भारत

Last Updated- February 18, 2025 | 10:21 PM IST
MSCI सूचकांक में बढ़ा देसी बाजार का भार, चीन व भारत का अंतर घटकर 400 आधार अंक रह गया Weight of domestic market increased in MSCI index, difference between China and India reduced to 400 basis points

व्यापक रूप से ट्रैक किए जाने वाले एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट (ईएम) सूचकांक में भारत का भार कम हुआ है। एमएससीआई ईएम और एसएससीआई ईएम आईएमआई सूचकांकों में भारत का भार 200 आधार अंक घटकर 20 फीसदी से नीचे आ गया है।

जनवरी के अंत में मुख्य एमएससीआई ईएम सूचकांक में भारतीय कंपनियों का कुल भार 18.41 फीसदी रहा जो सितंबर की शुरुआत में 20.8 फीसदी था। इसी तरह एमएससीआई ईएम आईएमआई (निवेशयोग्य बाजार सूचकांक) में उसका भार 22.3 फीसदी से घटकर 19.7 फीसदी रह गया। अगस्त में भारत चीन को पीछे छोड़ते हुए आईएमआई में पहले स्थान पर पहुंच गया था। मगर अब दोनों सूचकांक में भारत का भार घटा है और यह चीन और ताइवान के बाद तीसरे स्थान पर खिसक गया है।

सूचकांक में भार घटने की मुख्य वजह हाल के समय में चीन के शेयरों में आई तेजी है। एमएससीआई ईएम सूचकांक में चीन का भार 300 आधार अंक बढ़कर 27.52 फीसदी और आईएमआई में 25 फीसदी पहुंच गया।
घरेलू शेयर बाजार में गिरावट बनी हुई है जिससे सूचकांक में भारत का भार घट रहा है।

एमएससीआई के वैश्विक सूचकांकों में भार कम होने का मतलब है कि भारत के लिए वैश्विक निवेश प्रवाह में कम हिस्सेदारी। अगर कोई निवेशक ईएम बास्केट में 100 डॉलर निवेश के लिए आवंटित करता है तो भारत को केवल 18.4 डॉलर ही मिलेंगे जबकि सितंबर में उसे 21 डॉलर मिल रहे थे।

वैश्विक सूचकांक में भार का निर्धारण फ्री फ्लोट या निवेश योग्य बाजार पूंजीकरण द्वारा किया जाता है। भारत का कुल बाजार पूंजीकरण सितंबर के उच्च स्तर से 1 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा कम होकर 4.58 लाख करोड़ डॉलर रह गया है। अक्टूबर से अभी तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा 20 अरब डॉलर की निकासी के कारण बाजार में तेज गिरावट आई है।

एचएसबीसी में इक्विटी स्ट्रैटजी, एशिया पैसिफिक के प्रमुख हेरल्ड वान डेर लिंडे ने कहा, ‘भारत में कमाई में तेज वृद्धि मुख्य आकर्षण था मगर अब ऐसा नहीं दिख रहा है। अमेरिकी बॉन्ड यील्ड बढ़ रही है जिससे एफपीआई ने उभरते बाजारों से पैसा निकालना शुरू कर दिया है। इसका असर भारत के शेयर बाजार में भी दिख रहा है। एफपीआई के नजरिये से आप उस बाजार में बिकवाली करते हैं जहां शेयर बेचने में आसानी हो और भारत उनमें शामिल है।’

मैक्वायरी कैपिटल में वैश्विक रणनीतिकार विक्टर श्वेट्स ने कहा, ‘चीन को छोड़कर लगभग सभी उभरते बाजारों में जनवरी के दौरान भारी बिकवाली हुई है। भारत में करीब 8 अरब डॉलर की बिकवाली हुई। कोरिया, ताइवान, मलेशिया और दक्षिण अफ्रीका में अपेक्षाकृत कम बिकवाली हुई।’ आईआईएफएल कैपिटल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीराम वेलायुधन का मानना है कि आगे चलकर ईएम सूचकांक में भारत की स्थिति में सुधार हो सकता है।

First Published - February 18, 2025 | 10:21 PM IST

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