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भारत का सेवा कारोबार अधिशेष रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा, चालू खाते के घाटे में कमी की उम्मीद

2030 तक 2 लाख करोड़ रुपये के सेवा निर्यात का लक्ष्य

Last Updated- February 14, 2024 | 10:08 PM IST
पहली बार होगा सर्विस सेक्टर का सर्वेक्षण, जीडीपी आधार वर्ष में संशोधन की तैयारी, साल के अंत तक आएंगे नतीजे Survey of service sector will be done for the first time, preparation for amendment in GDP base year, results will come by the end of the year

वित्त वर्ष 2024 की दिसंबर तिमाही में भारत का सेवा कारोबार अधिशेष पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 16 फीसदी बढ़कर 44.9 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। इससे वैश्विक उथल-पुथल के बीच व्यापार में मजबूती का पता चलता है। इससे दिसंबर तिमाही के चालू खाते के घाटे में कमी आने की संभावना है।

भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक सेवा निर्यात दिसंबर तिमाही में 5.2 फीसदी बढ़कर 87.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया है, जबकि इस दौरान सेवा का आयात 4.3 फीसदी घटकर 42.8 अरब डॉलर हो गया।

वित्त वर्ष 2024 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान भारत का चालू खाते का घाटा पिछले वित्त वर्ष 2023 की समान अवधि की तुलना में कम होकर जीडीपी का 1 फीसदी रह गया है। कम वस्तु व्यापार घाटे और सेवा से शुद्ध प्राप्तियां अधिक होने के कारण ऐसा हुआ है।

फिच रेटिंग ने अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 2024 और वित्त वर्ष 2025 में चालू खाते का घाटा कम होकर जीडीपी का 1.4 फीसदी रह जाएगा, जो वित्त वर्ष 2023 में 2 फीसदी था। सेवा क्षेत्र के मासिक अधिशेष को देखते हुए आईडीएफसी बैंक ने अपना सीएडी अनुमान जीडीपी के 1.5 फीसदी से घटाकर 1.2 फीसदी कर दिया है।

अंतरिम बजट के पहले जारी अर्थव्यवस्था की समीक्षा रिपोर्ट में वित्त मंत्रालय ने पिछले महीने कहा था कि सेवा निर्यात वित्त वर्ष 2012 से वित्त वर्ष 2023 के बीच 7.1 फीसदी चक्रवृदि्ध सालाना वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा है, जबकि इस दौरान रेमिटेंस का सीएजीआर 4.5 फीसदी रहा है। इससे भारत का चालू खाते का संतुलन ठीक रखने में मदद मिली है।

भारत के सेवा निर्यात में सूचना तकनीक (आईटी) से लेकर डॉक्टरों और नर्सों द्वारा विदेश में दी जा रही सेवाएं शामिल हैं। रिजर्व बैंक अलग-अलग सेवाओं के निर्यात के मासिक आंकड़े नहीं जारी करता है, सेवा निर्यात का वर्गीकरण भुगतान संतुलन के आंकड़ों के साथ 3 महीने पर जारी होता है।

इसमें परिवहन, यात्रा, निर्माण, बीमा और पेंशन, वित्तीय सेवा, दूरसंचार, कंप्यूटर और सूचना सेवाएं और व्यक्तिगत, सांस्कृतिक और मनोरंजन गतिविधियां व अन्य कारोबारी सेवाएं शामिल हैं।

भारत के सेवा निर्यात में सॉफ्टवेयर निर्यात सबसे ज्यादा है। वहीं अन्य कारोबारी सेवाओं के निर्यात में वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) आदि की भूमिका हाल में बढ़ी है। वित्त वर्ष 2024 की पहली छमाही में (अप्रैल-सितंबर) इनकी कुल सेवा निर्यात में हिस्सेदारी बढ़कर 26.4 फीसदी हो गई है, जो वित्त वर्ष 2014 में 19 फीसदी थी।

अर्थव्यवस्था की समीक्षा में कहा गया है कि जीसीसी की हिस्सेदारी भारत की जीडीपी में 1 फीसदी से ज्यादा है, इससे सेवा निर्यात को लचीलापन मिलता है।

इसमें कहा गया है, ‘कारोबारी सेवा निर्यात में तेज वृद्धि में वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) के तेज प्रसार की भी भूमिका है। शोध व नवोन्मेष में सक्षम उच्च कुशल कार्यबल की उपलब्धता और प्रबंधकीय कौशल रखने वाले कुशल कार्यबल के

कारण भारत में जीसीसी स्थापित करने में मदद मिली है। इसके साथ ही बड़े पैमाने पर डिजिटल और भौतिक बुनियादी ढांचे में सुधार के कारण भारत जीसीसी के लिए पसंदीदा गंतव्य बनकर उभरा है और इसे प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिली है।’
जीसीसी और अन्य कारोबारी सेवाओं के माध्यम से भारत पेशेवर कारोबारी सेवाओं का भी निर्यात करता है। इसमें शोध एवं विकास (आरऐंडडी), प्रबंधन परामर्श और पब्लिक रिलेशंस, इंजीनियरिंग सेवाएं व अन्य शामिल हैं।

डिजिटलीकरण की बढ़ी मांग और महामारी के बाद ऑनलाइन डिलिवरी सेवाओं की बढ़ी मांग के काऱण व्यापारिक सेवाओं के निर्यात को प्रोत्साहन मिला है। सरकार ने 2030 तक 2 लाख करोड़ रुपये के कुल निर्यात का लक्ष्य तय किया है।

विश्व व्यापार संगठन के 2021 के आंकड़ों के मुताबिक वैश्विक व्यापारिक सेवाओं में भारत की हिस्सेदारी 4 फीसदी और वैश्विक व्यापारिक सेवाओं के आयात में हिस्सेदारी 3.52 फीसदी है। कुल वैश्विक वाणिज्यिक निर्यात व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 1.77 फीसदी और आयात में हिस्सेदारी 2.54 फीसदी है।

First Published - February 14, 2024 | 10:08 PM IST

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