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इंटरनेट बैंकिंग की इंटर ऑपरेबिलिटी जल्द, ऑनलाइन भुगतान का जल्द होगा निपटान

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि इसे 2024 के अंत तक चालू होने की उम्मीद है।

Last Updated- March 04, 2024 | 11:02 PM IST
RBI

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि आरबीआई इंटरनेट बैंकिंग लेनदेन के लिए इंटरऑपरेबिलिटी की अनुमति देने पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसे 2024 के अंत तक चालू होने की उम्मीद है। इसका उद्देश्य व्यापारियों द्वारा भुगतान के बाद रकम मिलने में देरी जैसी समस्या को खत्म करना है। यह कदम बैंकिंग नियामक के पेमेंट विजन 2025 का एक हिस्सा है।

दास ने आरबीआई के डिजिटल भुगतान जागरूकता सप्ताह समारोह के दौरान कहा, ‘हमने इंटरनेट बैंकिंग लेनदेन के लिए इंटरऑपरेबल भुगतान प्रणाली की परिकल्पना की थी। हम उम्मीद करते हैं कि चालू कैलेंडर वर्ष में इंटरनेट बैंकिंग के लिए इस इंटरऑपरेबल भुगतान प्रणाली शुरू हो जाएगी। नई प्रणाली व्यापारियों के लिए त्वरित निपटान की सुविधा प्रदान करेगी।’

आरबीआई ने एनपीसीआई भारत बिलपे लिमिटेड (एनबीबीएल) को ऐसी इंटरऑपरेबल प्रणाली लागू करने की मंजूरी दे दी है। दास ने कहा कि व्यापारियों को ऑनलाइन भुगतान के लिए इंटरनेट बैंकिंग सबसे पुरानी व्यवस्था रही है। फिलहाल भुगतान एग्रीगेटरों के जरिये प्रॉसेस किए गए लेनदेन इंटरऑपरेबल नहीं हैं। बैंक को अलग-अलग व्यापारियों के हरेक भुगतान एग्रीगेटर को अलग से एकीकृत करने की जरूरत पड़ती है।

इंटरऑपरेबिलिटी की जरूरत के बारे में बताते हुए दास ने कहा, ‘अगर कोई ग्राहक अपने बैंक खाते से किसी व्यापारी को भुगतान करना चाहता है तो व्यापारी के भुगतान एग्रीगेटर और ग्राहक के बैंक के बीच व्यवस्था अवश्य होनी चाहिए। भुगतान एग्रीगेटरों की संख्या अ​धिक होने के कारण हरेक बैंक को हरेक भुगतान एग्रीगेटर के साथ तालमेल बिठाना कठिन होता है। इसके अलावा भुगतान प्रणाली और इस प्रकार के लेनदेन के लिए नियमों के अभाव में व्यापारियों को रकम प्राप्त होने में देरी होती है और निपटान का जो​खिम बरकरार रहता है।’

सुर​​क्षित डिजिटल लेनदेन की आवश्यकता पर जोर देते हुए दास ने कहा कि अ​धिकृत भुगतान प्रणालियों के सभी ऑपरेटरों और भागीदारों के लिए विफल होने वाले लेनदेन को समयबद्ध तरीके से निपटाना आवश्यक है। उन्होंने भुगतान ऑपरेटरों को चेताते हुए कहा, ‘अगर ऐसा नहीं किया गया तो उन्हें उपयोगकर्ताओं को मुआवजे का भुगतान करना पड़ सकता है।’ उन्होंने कहा कि आरबीआई ने एक वेब आधारित भुगतान धोखाधड़ी रिपोर्टिंग समाधान- सेंट्रल पमेंट्स फ्रॉड इन्फॉर्मेशन रजिस्ट्री- को लागू किया है।

दास ने एक साल के दौरान डिजिटल लेनदेन में हुई भारी वृद्धि को दर्शाने के लिए आंकड़े साझा किए। उन्होंने कहा कि भारत में खुदरा डिजिटल भुगतान वित्त वर्ष 2012-13 में 162 करोड़ लेनदेन से बढ़कर 2023-24 (फरवरी 2024 तक) में 14,726 करोड़ से अधिक लेनदेन तक पहुंच चुका है जो 12 वर्षों में करीब 90 गुना वृद्धि है।

उन्होंने कहा, ‘आज, दुनिया के लगभग 46 फीसदी डिजिटल लेनदेन भारत में होते हैं। डिजिटल भुगतान में जबरदस्त वृद्धि की झलक आरबीआई के डिजिटल भुगतान सूचकांक में भी मिलती है। इस सूचकांक में पिछले 5 वर्षों के दौरान चार गुना वृद्धि दर्ज की गई है।’

भारत में डिजिटल भुगतान को यूपीआई से सबसे अ​धिक रफ्तार मिल रही है। दास ने कहा कि यूपीआई डिजिटल भुगतान 2023 में करीब 80 फीसदी तक पहुंच गया। यूपीआई लेनदेन की संख्या कैलेंडर वर्ष 2017 में 43 करोड़ थी जो बढ़कर 2023 में 11,761 करोड़ हो गई।

First Published - March 4, 2024 | 11:02 PM IST

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