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इजरायल-ईरान तनातनी के बीच वाणिज्य मंत्रालय ने शिपिंग कंपनियों के साथ की बैठक, ‘स्ट्रेट ऑफ होर्मुज’ संकट पर हुई चर्चा

ईरान-इजरायल तनाव पर वाणिज्य मंत्रालय ने बुलाई बैठक, ‘स्ट्रेट ऑफ होर्मुज’ और लाल सागर के जरिए भारत के व्यापार, तेल आपूर्ति और शिपिंग लागत पर असर की समीक्षा हुई।

Last Updated- June 20, 2025 | 7:42 PM IST
Trade
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

Iran Israel Conflict: इजरायल-ईरान तनातनी के बीच शुक्रवार को वाणिज्य मंत्रालय ने एक अहम बैठक बुलाई, जिसमें शिपिंग कंपनियों, निर्यातकों, कंटेनर कंपनियों और अन्य विभागों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस बैठक में इस तनाव के चलते भारत के विदेशी व्यापार पर पड़ने वाले असर पर चर्चा हुई। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने इस बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में मौजूदा हालात का जायजा लेने और इसके व्यापार पर प्रभाव को समझने पर जोर दिया गया। 

बैठक में बताया गया कि अभी ‘स्ट्रेट ऑफ होर्मुज’ में स्थिति स्थिर है और वहां जहाजों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए एक शिप रिपोर्टिंग सिस्टम काम कर रहा है। साथ ही, माल ढुलाई और बीमा की दरों पर भी करीबी नजर रखी जा रही है। वाणिज्य सचिव ने कहा कि स्थिति को लगातार आंकने और इसके लिए वैकल्पिक रास्तों पर विचार करने की जरूरत है। निर्यातकों ने चेतावनी दी कि अगर यह तनाव और बढ़ता है, तो वैश्विक व्यापार पर बुरा असर पड़ेगा और हवाई व समुद्री माल ढुलाई की लागत बढ़ सकती है। 

भारत के लिए ‘स्ट्रेट ऑफ होर्मुज’ बेहद अहम है, क्योंकि देश का करीब दो-तिहाई कच्चा तेल और आधा LNG इसी रास्ते से आता है। ‘स्ट्रेट ऑफ होर्मुज’ वैश्विक तेल व्यापार का लगभग पांचवां हिस्सा संभालता है। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए 80 फीसदी से ज्यादा आयात पर निर्भर है। थिंक टैंक GTRI के मुताबिक, अगर ‘स्ट्रेट ऑफ होर्मुज’ में कोई सैन्य रुकावट आती है या इसे बंद किया जाता है, तो तेल की कीमतें, शिपिंग लागत और बीमा प्रीमियम में तेज उछाल आएगा। इससे महंगाई बढ़ेगी, रुपये पर दबाव पड़ेगा और भारत की आर्थिक स्थिति जटिल हो सकती है। 

Also Read: Israel Iran Conflict: क्या है ‘स्ट्रेट ऑफ होर्मुज’ और भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए यह क्यों है अहम? विस्तार से समझें

लाल सागर वाला रास्ता पहले से प्रभावित!

भारत के यूरोप और अमेरिका के साथ व्यापार का अहम रास्ता लाल सागर पहले से ही यमन के हूती विद्रोहियों के हमलों की वजह से प्रभावित है। लाल सागर से भारत का 80 फीसदी यूरोप के साथ व्यापार और अमेरिका के साथ भी काफी व्यापार होता है। यह रास्ता वैश्विक कंटेनर ट्रैफिक का 30 फीसदी और विश्व व्यापार का 12 फीसदी हिस्सा संभालता है। 2023 में हूती विद्रोहियों के हमलों की वजह से रेड सी के रास्ते माल ढुलाई ठप हो गई थी। 

ईरान और इजरायल के साथ भारत के व्यापार पर भी इस तनाव का असर दिख रहा है। 2024-25 में इजरायल को भारत का निर्यात 4.5 अरब डॉलर से घटकर 2.1 अरब डॉलर हो गया। इजरायल से आयात भी 2 अरब डॉलर से घटकर 1.6 अरब डॉलर रहा। वहीं, ईरान को निर्यात 1.4 अरब डॉलर पर स्थिर रहा, लेकिन आयात 625 मिलियन डॉलर से घटकर 441 मिलियन डॉलर हो गया। 

वैश्विक व्यापार पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हाई टैरिफ की घोषणा से दबाव में है। विश्व व्यापार संगठन ने अनुमान लगाया है कि 2025 में वैश्विक व्यापार 0.2 फीसदी सिकुड़ेगा, जबकि पहले 2.7 फीसदी बढ़ोतरी का अनुमान था। इस बीच, भारत का कुल निर्यात 2024-25 में 6 फीसदी बढ़कर 825 अरब डॉलर तक पहुंचा। 

(पीटीआई के इनपुट के साथ)

First Published - June 20, 2025 | 7:10 PM IST

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