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पेट्रोलियम पर बनी संसद की स्थायी समिति ने की अधिक प्रकार के कच्चे तेल के आयात की सिफारिश

रूस से रोजाना 19.6 लाख बैरल तेल की आपूर्ति हुई। पश्चिम एशिया से कच्चे तेल की लागत आमतौर पर ज्यादा होती है। इसका कारण यह है कि एशिया के देशों पर शुल्क लगाया जाता है।

Last Updated- December 31, 2023 | 10:32 PM IST
Import more crude grades to cut basket price: Parliamentary panel

पेट्रोलियम की संसद की स्थायी समिति ने भारत के तेल बास्केट की लागत घटाने के लिए कच्चे तेल के कई ग्रेड्स को आयात करने की जरूरत पर जोर दिया है। संसद में हाल में पेश की गई रिपोर्ट में तेल क्षेत्र के सार्वजनिक उद्यम निगमों की पुरानी तेलशोधन इकाइयों को कई तरह के कच्चे तेल को परिष्कृत करने के लिए आधुनिक बनाने की नसीहत भी दी गई है।

भारत की कच्चे तेल की बास्केट में बीते वित्त वर्ष में सोर ग्रेड (ओमान और दुबई का औसत) और स्वीट ग्रेड (ब्रेंट डेटेड) थे। भारत की तेल शोधन इकाइयों में इन ग्रेड्स का (घरेलू और आयातित) प्रसंस्करण किया गया था। हर महीने की गणना के अनुसार सोर ग्रेड का कच्चा तेल (ओमान और दुबई का औसत) 75.62 प्रतिशत और स्वीट ग्रेड (ब्रेंट डेटेड) कच्चे तेल का हिस्सा 24.38 प्रतिशत था।

समिति के अनुसार, वैश्विक कच्चे तेल के बाजार में करीब 250 ग्रेड्स का कारोबार होता है लेकिन इसमें से भारत की कच्चे तेल की परिशोधन इकाइयों ने इस साल केवल 50 ग्रेड खरीदे। हालांकि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने इस ओर संकेत किया कि तेल परिशोधन इकाइयों की संरचना, मौसमी मांग, कच्चे तेल के दाम, उत्पाद की जरूरत, परिचालन संबंधित अनिवार्यता आदि के आधार पर कच्चे तेल की खरीद की जाती है।

भारत के कच्चे तेल की बास्केट को देश में आयात किए जाने वाले कच्चे तेल के दाम का संकेतक माना जाता है। सरकार घरेलू दाम का मूल्यांकन करने के दौरान इस सूचकांक पर नजर रखती है।

उद्योग से जुड़े कुछ लोगों ने बास्केट के दाम की गणना के तरीके को बदलने की आवाज उठाई है। इसका खास कारण यह है कि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद नियमित रूप से रूस से व्यापक तौर पर कच्चे तेल का आयात किया जा रहा है। मई, 2023 में रूस भारत का सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है।

रूस से रोजाना 19.6 लाख बैरल तेल की आपूर्ति हुई। पश्चिम एशिया से कच्चे तेल की लागत आमतौर पर ज्यादा होती है। इसका कारण यह है कि एशिया के देशों पर शुल्क लगाया जाता है।

पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन (ओपेक) एशिया के देशों को बिक्री करने पर वास्तविक बिक्री मूल्य के ऊपर अतिरिक्त शुल्क लगाता है। वैसे मंत्रालय ने इस पर जोर दिया कि कच्चे तेल के आयात ग्रेड की संख्या अलग-अलग कच्चा तेल ग्रेड में तकनीकी और आर्थिक प्रतिस्पर्धा पर भी आधारित होती है।

First Published - December 31, 2023 | 10:32 PM IST

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