facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

बंदरगाह तक कोयले की ढुलाई की दर घटाएगा रेलवे

अधिकारी ने कहा कि भारतीय रेलवे के आधार भाड़ा में बदलाव नहीं होगा, टेलीस्कोपिक दरें लागू करके ढुलाई की दर कम की जाएगी

Last Updated- July 30, 2023 | 11:26 PM IST
coal import
BS

कोयला और रेल मंत्रालयों ने कोयले की रेल-समुद्र-रेल (आरएसआर) मोड में ढुलाई के लिए रेल से माल ढुलाई की दर में कमी करने के ढांचे को अंतिम रूप दिया है। बिजनेस स्टैंडर्ड को मिली जानकारी के मुताबिक कोयला खदान से बंदरगाह तक कोयला पहुंचाने के लिए रेल मंत्रालय कम दरों की पेशकश करेगा और उसके बाद बंदरगाहों से बिजली संयंत्रों तक कोयला पहुंचाया जाएगा।

कुछ राज्यों ने शिकायत की थी कि आरएसआर मोड में थर्मल कोयले की ढुलाई की दर सिर्फ रेल से ढुलाई की तुलना में कम है, भले ही रेल की तुलना में शिपिंग सस्ती है। इस शिकायत के बाद माल ढुलाई का नया ढांचा बनाया गया है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि भारतीय रेलवे के आधार भाड़ा में कोई बदलाव नहीं होगा, टेलीस्कोपिक दरें लागू करके ढुलाई की दर कम की जाएगी।

टेलीस्कोपिक फ्रेट का मतलब यह है कि कोयला खदान से बंदरगाह और उसके बाद बंदरगाह से बिजली संयंत्र तक कोयला पहुंचाने को एक कंसाइनमेंट माना जाएगा, जिससे अंतिम में ढुलाई की लागत कम आएगी।

इस समय खदान से बंदरगाह तक रेल से ढुलाई को अलग और बंदरगाह से बिजली घर तक ढुलाई अलग ली जाती है, जिससे यह उल्लेखनीय रूप से महंगा हो जाता है। कोयला मंत्रालय द्वारा तटीय शिपिंग के आकलन में पाया गया कि रेलवे द्वारा शुरू और आखिर में आने वाली लागत प्रमुख वजह है, जिसके कारण आरएसआर मॉडल असफल हो रहा है।

कोयला लॉजिस्टिक्स नीति 2022 के मसौदे में मंत्रालय ने पाया था कि रेल द्वारा शुरुआती और आखिर की कनेक्टिविटी की लागत आरएसआर मॉडल में कुल लॉजिस्टिक्स लागत का 71 प्रतिशत है। इस तरह से रेलवे के शुल्क को तार्किक बनाने से कोयले की ढुलाई में आरएसआर मॉडल की व्यावहारिकता बढ़ेगी।

उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा, ‘कोयला मंत्रालय से कहा गया है कि वह बंदरगाहों का ब्योरा दे, जो टेलीस्कोपिक फ्रेट स्कीम के लाभार्थी होंगे। उसके बाद नई दरों की आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।’

First Published - July 30, 2023 | 11:26 PM IST

संबंधित पोस्ट