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RBI report: मैन्युफैक्चरिंग और निवेश में ग्लोबल वृद्धि धीमी  

कठोर नीतिगत रुख के कारण भविष्य में ब्याज दर में वृद्धि की उम्मीदें बढ़ गई हैं, जिसके परिणामस्वरूप फ्लैट इक्विटी कीमतें और बॉन्ड प्रतिफल में वृद्धि हुई है।

Last Updated- July 17, 2023 | 9:53 PM IST
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ग्लोबल आर्थिक वृद्धि धीमी हो रही है, विशेष रूप से मैन्युफैक्चरिंग और निवेश क्षेत्रों में यह देखा जा रहा है। हालांकि समग्र मुद्रास्फीति दर स्थिर है। RBI द्वारा जारी एक बुलेटिन में यह जानकारी दी गई। बुलेटिन के मुताबिक, यह ध्यान देने योग्य है कि मुख्य मुद्रास्फीति, जिसमें अस्थिर कारकों को शामिल नहीं किया गया है, लगातार ऊंची बनी हुई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘कठोर नीतिगत रुख’ के कारण भविष्य में ब्याज दर में वृद्धि की उम्मीदें बढ़ गई हैं, जिसके परिणामस्वरूप फ्लैट इक्विटी कीमतें और बॉन्ड प्रतिफल में वृद्धि हुई है। भारत में चक्रवात से उत्पन्न उतार-चढ़ाव के कारण वर्षा की कमी कम हो रही है। जून में थोड़ी नरमी के बावजूद, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों सेक्टरों का विस्तार जारी है। इसके अलावा, वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में भुगतान संतुलन (balance of payments) में सुधार हुआ, फाइनैशियल फ्लो चालू खाते से आगे निकल गया।

अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर अपडेट के साथ, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में ‘When Circumspection is the Better Part of Communication.’ नाम की एक रिपोर्ट पब्लिश की है। यह रिपोर्ट “आगे के मार्गदर्शन” (Forward Guidance) के बारे में बात करती है, जो केंद्रीय बैंकों का अर्थव्यवस्था के लिए अपनी योजनाओं के बारे में लोगों के साथ संवाद करने का एक तरीका है। असामान्य या कठिन समय के दौरान यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

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आगे का मार्गदर्शन (Forward Guidance) लोगों को यह संकेत देने जैसा है कि केंद्रीय बैंक भविष्य में ब्याज दरों के साथ क्या कर सकता है। यह इस बात को प्रभावित कर सकता है कि लोग लंबी अवधि में ब्याज दरों में बदलाव के बारे में कैसे सोचते हैं और उम्मीद करते हैं। हालांकि, रिपोर्ट यह भी दिखाती है कि जब केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ाना चाहता है तो आगे के मार्गदर्शन की कुछ सीमाएं होती हैं।

एक और लेख है जिसका नाम है ‘A Prototype Dynamic Stochastic General Equilibrium Model for India’, यह लेख एक विशेष मॉडल के बारे में बात करता है जो हमें यह समझने में मदद करता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था कैसे काम करती है। यह देखता है कि अर्थव्यवस्था कैसे बदलती है और बड़ी घटनाओं से ब्याज दरें और महंगाई जैसी महत्वपूर्ण चीजें कितनी प्रभावित होती हैं।

इस मॉडल में, उन्होंने पाया कि जब वास्तविक दुनिया में ब्याज दरें बदलती हैं, तो लोगों के खर्च और अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं की कुल मांग में बहुत बदलाव होता है।

फिलिप्स वक्र मॉडल के हिसाब से बात करें, जो हमें यह समझने में मदद करता है कि मुद्रास्फीति कैसे होती है। मॉडल से पता चला कि यह वक्र सपाट हो गया है, जिसका अर्थ है कि भविष्य में मुद्रास्फीति को कम करना या कीमतों को धीमा करना कठिन हो सकता है।

सार्वजनिक व्यय और आर्थिक विकास की गुणवत्ता: सब-नैशनल लेवल पर एक अनुभव आधारित मूल्यांकन’ रिपोर्ट आर्थिक विकास का समर्थन करने के लिए सार्वजनिक व्यय की गुणवत्ता में सुधार के महत्व पर प्रकाश डालती है। विश्लेषण बेहतर व्यय गुणवत्ता और उच्च सकल राज्य-घरेलू उत्पाद (GSDP) वृद्धि के बीच पॉजिटिव संबंध दिखाता है। यह समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में राज्य-स्तरीय खर्च की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देता है।

अंत में, ‘इंडिया@100’ भारत के लिए 2047-48 तक उच्च आय वाले देश का दर्जा हासिल करने के लिए एक रोडमैप की रूपरेखा तैयार करता है। लेख में अगले 25 वर्षों में भारत की वास्तविक जीडीपी को 7.6 फीसदी सालाना की दर से बढ़ने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

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इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, भारत को अपनी आर्थिक संरचना को पुनर्संतुलित करना होगा, औद्योगिक क्षेत्र को मजबूत करना होगा और सेवा क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देना होगा। विकास के अवसरों का लाभ उठाने के लिए संरचनात्मक सुधारों, बुनियादी ढांचे के विकास, डिजिटलीकरण और वर्कफोर्स को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करने वाला बहु-आयामी दृष्टिकोण आवश्यक माना जाता है।

First Published - July 17, 2023 | 9:53 PM IST

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