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पूरे एशिया की समस्या है सितंबर तिमाही में सुस्त आय: नोमूरा

लार्जकैप इंडेक्स के शेयरों (खास तौर से एमएससीआई जापान) का आय सीजन अब तक अच्छा रहा है।

Last Updated- November 19, 2024 | 9:44 PM IST
Nomura upgrades Indian stock market category

नोमूरा के विश्लेषकों ने कहा है कि सितंबर 2024 की तिमाही में आय में सुस्त वृद्धि सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है बल्कि ज्यादातर एशियाई बाजारों (जापान को छोड़कर) के साथ भी सितंबर तिमाही में ऐसा ही हुआ। नोमूरा के विश्लेषकों चेतन सेठ, अंकित यादव और अंशुमन अग्रवाल ने हालिया नोट में कहा कि सितंबर 2024 की तिमाही का आय सीजन एशियाई बाजारों (जापान को छोड़कर) के लिए उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा और यह अनुमानों से कम रहा।

हालांकि भारांकित आधार पर नतीजे का सीजन उतना भी खराब नहीं रहा है, जितना अनुमान से बेहतर करने वालों और अनुमान से पीछे रहने वालों के अनुपात से पता चलता है। लार्जकैप इंडेक्स के शेयरों (खास तौर से एमएससीआई जापान) का आय सीजन अब तक अच्छा रहा है।

नोमूरा के कवरेज के दायरे वाली 87 भारतीय कंपनियां एमएससीआई सूचकांकों का भी हिस्सा है और इनसे संबंधित कम से कम तीन विश्लेषकों के अनुमान सामने हैं। इसके मुताबिक सितंबर तिमाही में 48 कंपनियां आय के अनुमान से पीछे रहीं जबकि 29 फर्मों ने अनुमान को पीछे छोड़ा। इसके अलावा 29 कंपनियों ने आय अनुमान को मात दी और 10 ने अनुमान के मुताबिक नतीजे पेश किए।

चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए प्रोत्साहन उपायों का ऐलान किया है। उसकी 87 में से 49 कंपनियां अनुमान से पीछे रहीं। नोमूरा के आंकड़े बताते हैं कि भारत को एकमात्र राहत यह रही कि अनुमान को मात देने वाली और अनुमान से पीछे रहने वाली कंपनियों का अनुपात एशिया (जापान को छोड़कर) में सबसे कम -22 फीसदी रहा।

नोमूरा की रिपोर्ट में कहा गया है कि सामान्य गिनती के आधार पर एशिया (जापान को छोड़कर) में अनुमान को मात देने वाली कंपनियों की संख्या अनुमान में पिछड़ी फर्मों से कम रही। लेकिन चीन में लार्जकैप टेक कंपनियों के नतीजे सामान्य रूप से उम्मीद से बेहतर रहे हैं। एमएससीआई चीन की वहां की कंपनियों के लिए आय में संशोधन अब तक के लिहाज से सकारात्मक तिमाही रही है और कैलेंडर वर्ष 24 की समायोजित आय 1.7 फीसदी ऊपर रही है।

इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक और शोध प्रमुख जी. चोकालिंगम ने कहा कि ज्यादातर एशियाई देशों में आय पर उच्च ब्याज दरों का असर पड़ा और महंगाई से अर्थव्यवस्था में नरमी आई। उन्होंने कहा कि ज्यादातर एशियाई अर्थव्यवस्थाओं को पिछले कुछ महीनों में कई तरह की परेशानियों से निपटना पड़ा – ऊंची ब्याज दर, ऊंची महंगाई, भूराजनीतिक मसले और इनसे अर्थव्यवस्था कुल मिलाकर सुस्त रही। इन सभी चीजों ने मांग पर असर डाला जिससे ज्यादातर
एशियाई कंपनियों व शेयर बाजारों में कॉरपोरेट आय पर भी असर पड़ा।

इस बीच, एक्सचेंजों पर निफ्टी-50 इंडेक्स अपने सर्वोच्च स्तर से करीब 11 फीसदी टूटा है। मिड और स्मॉलकैप में गिरावट और भी तेज रही है और ये सूचकांक 11-11 फीसदी से ज्यादा टूट गए हैं। नोमूरा के विश्लेषकों का हालांकि मानना है कि एशियाई बाजार जरूरत से ज्यादा बिकवाली वाले अपने स्तरों से सुधार दर्ज कर सकते हैं।

घरेलू निवेशकों को हालांकि तब तक रिकवरी की संभावना नहीं दिखती है जब तक कि एफआईआई की बिकवाली जारी रहती है। जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार के मुकाबिक ऐसा तभी हो सकता है जब आय में सुधार हो।

First Published - November 19, 2024 | 9:44 PM IST

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