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लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों ने Google पर झोंके विज्ञापन, करीब 100 करोड़ पहुंचा खर्च; UP टॉप पर

तीन महीनों के दौरान गूगल पर राजनीतिक विज्ञापनों का औसत खर्च वर्ष 2019 (जब से गूगल ने आंकड़े एकत्र करने शुरू किए) के बाद से सबसे अ​धिक रहा है।

Last Updated- March 18, 2024 | 11:42 PM IST
Political ad spends on Google already up 9x ahead of Lok Sabha polls लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों ने Google पर झोंके विज्ञापन, करीब 100 करोड़ पहुंचा खर्च; UP टॉप पर

वि​भिन्न राजनीतिक दलों ने पिछले कुछ महीनों के दौरान गूगल के माध्यम से विज्ञापन पर खर्च बढ़ा दिया है। विशेष तौर पर राजनीतिक विज्ञापनों पर बीते तीन महीने में मार्च तक खर्च लगभग 100 करोड़ रुपये पहुंच चुका है। यह धनरा​शि पिछले साल की इसी अव​धि के 11 करोड़ रुपये से नौ गुना अ​धिक है। ये वे विज्ञापन हैं, जिन्हें राजनीतिक लेबल के साथ चलाया जाता है और ये डिजिटल माध्यम से मतदाताओं तक पहुंच बनाने के संपूर्ण परिदृश्य से अलग हैं, लेकिन इनसे व्यापक रुझानों का पता चल सकता है।

ये आंकड़े 17 मार्च तक के हैं। गूगल ऐसे विज्ञापनों को चुनावी विज्ञापन के तौर पर चि​​ह्नित करती है, जो राजनीति दल अथवा प्रत्याशी अथवा मौजूदा लोक सभा या विधान सभा सदस्यों द्वारा चलाए जाते हैं।

निर्वाचन आयोग ने बीते शनिवार को चुनाव की तारीखों का ऐलान किया है, जिसके अनुसार लोक सभा चुनाव 19 अप्रैल से 1 जून के बीच सात चरणों में संपन्न कराए जाएंगे। केंद्र में नई सरकार बनाने के लिए इन चुनावों में लगभग 97 करोड़ मतदाता अपने मता​धिकार का इस्तेमाल करेंगे।

तीन महीनों के दौरान गूगल पर राजनीतिक विज्ञापनों का औसत खर्च वर्ष 2019 (जब से गूगल ने आंकड़े एकत्र करने शुरू किए) के बाद से सबसे अ​धिक रहा है। इन आंकड़ों में सर्च, डिस्प्ले, यूट्यूब और जीमेल पर दिखाए गए विज्ञापनों से आया राजस्व शामिल है।

गूगल को उत्तर प्रदेश से सबसे अ​धिक राजनीतिक विज्ञापन दिया गया। इसके बाद ओडिशा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात का नंबर है। कुल विज्ञापन खर्च का 40 फीसदी शीर्ष पांच राज्यों से आया है।


गूगल के आंकड़ों के अनुसार जनवरी के बाद से अब तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सबसे अ​धिक विज्ञापन दिए। आंकड़ों के मुताबिक पार्टी ने गूगल पर विज्ञापन पर 30.9 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इस दौरान कांग्रेस ने केवल 18.8 लाख रुपये ही खर्चे हैं। कुल धनरा​शि का 86.4 प्रतिशत वीडियो विज्ञापन पर खर्च किया गया है। शेष 13.6 प्रतिशत धनरा​शि तस्वीर फार्मेट में विज्ञापन पर खर्च की गई। वहीं लेखन सामग्री पर नगण्य खर्च रहा।

वेस्लेयन यूनिवर्सिटी के एरिका फ्रैंकलिन फाउलर, बाउडोइन कॉलेज के मिकाइल एम फ्रैंज, स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी के ग्रेगरी जे मार्टिन, इमोरी यूनिवर्सिटी के वा​शिंगटन जैकरी पेस्कोविज और वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के ट्रेविस एन रिडाउट द्वारा अगस्त 2020 में 'राजनीतिक विज्ञापन ऑनलाइन और ऑफलाइन' शीर्षक से तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल माध्यम से विज्ञापन का बहुत अ​धिक असर होता है और प्रत्या​शियों के लिए अपने

ल​क्षित वर्ग तक पहुंचने में टेलीविजन जैसे अन्य पारंपरिक मीडिया की अपेक्षा अ​धिक सुगम है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'ऑनलाइन विज्ञापन पर कम लागत और ज्यादा स्पष्टता के साथ ल​क्षित वर्ग तक अपनी बात पहुंचाने की क्षमता के कारण उम्मीदवारों को गूगल पर विज्ञापन देने के लिए प्रेरित कर सकता है, ताकि टीवी के मुकाबले अ​धिक दर्शकों तक उनका संदेश आसानी से पहुंच सके।'

First Published - March 18, 2024 | 11:28 PM IST

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