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Interview: PM मोदी के प्रदर्शन पर पड़ेंगे वोट, धर्मेंद्र प्रधान ने कहा- इस बार का चुनाव उड़िया अस्मिता की रक्षा की लड़ाई

'मोदी सरकार 400 सीटों के साथ लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए चुनी जाएगी। ओडिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता 90 प्रतिशत है।'

Last Updated- April 29, 2024 | 10:09 AM IST
Education minister Dharmendra Pradhan

Lok Sabha Election 2024: ओडिशा के संबलपुर से लोक सभा चुनाव लड़ रहे केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान कहते हैं कि इस बार का चुनाव उड़िया अस्मिता की रक्षा की लड़ाई है। रमणी रंजन महापात्र के साथ विशेष बातचीत में प्रधान ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के 400 सीट हासिल करने के लक्ष्य, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की ऊर्जा परिवर्तन पहल और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर खुलकर बात की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश:

इस बार चुनाव को दिशा देने वाले खास मुद्दे क्या हैं?

यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार 400 सीटों के साथ लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए चुनी जाएगी। ओडिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता 90 प्रतिशत है। वर्ष 2019 के लोक सभा चुनाव में भाजपा ने ओडिशा की 21 में से 8 सीट जीती थीं। इस बार यहां से सभी 21 सांसद भाजपा के होंगे।

मोदी सरकार ने वर्ष 2014 से 2024 के बीच ओडिशा के लिए 18 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जबकि पिछली संप्रग सरकार ने अपने 10 साल के कार्यकाल में केवल 3 लाख करोड़ ही राज्य को दिए थे।

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ओडिशा में लगभग 34 लाख लोगों को पक्के मकान दिए गए हैं। यहां रेलवे, एयरपोर्ट, मनरेगा, कोविड प्रबंधन और मुफ्त चावल योजना के लिए भी खूब धनराशि दी गई है।

राज्य में लगातार 24 साल से भारी बहुमत से सरकार चला रहे पटनायक स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, पलायन और महिला सुरक्षा जैसे पांच प्रमुख क्षेत्रों में बुरी तरह विफल रहे हैं।

आप पेट्रोलियम मंत्री भी रह चुके हैं। पश्चिम एशिया में संघर्ष की स्थिति बनने से कच्चे तेल की कीमतों में इजाफे जैसी समस्या से भारत कैसे निपटेगा?

यह बहुत चुनौतीपूर्ण स्थिति है। लेकिन, मेरा मानना है कि ऊर्जा परिवर्तन यानी ऊर्जा के दूसरे स्रोतों की तरफ मुड़ना महत्त्वपूर्ण होगा।

केंद्र ने पीएम सूर्यघर योजना शुरू की है, जो देश में गरीबों को मुफ्त बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करती है। ऊर्जा प्रबंधन भविष्य का और लंबी अवधि की प्रक्रिया है। भारत को वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोत मिल चुके हैं और हम इसी योजना को लेकर आगे बढ़ेंगे।

शिक्षा मंत्री के तौर पर आपकी उपलब्धियां क्या हैं? क्या राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर छिड़ी बहस का कोई नतीजा निकला?

बहस जैसी कोई बात नहीं रही। मेरा मानना है कि आजादी के बाद पहली बात हम एक ऐसा दस्तावेज पेश करने में कामयाब हुए जो इतने व्यापक स्तर पर सुझावों पर आधारित है। सभी राज्यों ने इसे स्वीकार किया है। नई शिक्षा नीति शिक्षा के बदलते पैमाने को प्रदर्शित करती है और यह आत्मनिर्भरता और स्वरोजगार की बात करती है।

आपके पास कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय की जिम्मेदारी भी है। कई सर्वेक्षण कहते हैं कि इस बार चुनाव में बेरोजगारी प्रमुख मुद्दा है। आप कैसे देखते हैं?

हालिया आंकड़े बेरोजगारी दर में गिरावट का संकेत देते हैं। यह ऐसा विषय है जिस पर हमेशा ध्यान दिए जाने की जरूरत है। नवोन्मेष, प्रौद्योगिकी, नई अर्थव्यवस्था जैसी चीजें सब रोजगार से जुड़े हुए हैं।

मोदी सरकार ने इस मोर्चे पर जीत हासिल करने के लिए लंबी अवधि की कार्ययोजना तैयार की है। भारत दुनिया के प्रमुख स्टार्टअप केंद्रों में शामिल है। यहां लगभग 1,20,000 स्टार्टअप हैं। संबलपुर में ही 20 से 25 स्टार्टअप कार्यरत हैं। दरअसल, अब नौकरी-रोजगार की प्रकृति बदल रही है।

ओडिशा के प्रमुख विपक्षी दल के तौर पर बीजद के साथ गठबंधन के लिए बातचीत नहीं हुई? मिलकर चुनाव लड़ने का मामला कहां अटक गया?

हम ओडिशा में अकेले चुनाव लड़ रहे हैं। हमारी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन समल ने एक्स पर एक पोस्ट लिख इस बारे में स्थिति पूरी तरह स्पष्ट कर दी थी। हम कभी गठबंधन में चुनाव लड़ना नहीं चाहते थे। हां, बीजद को इसकी जरूरत थी।

बीजद ने संसद में कुछ राष्ट्रीय हितों के मुद्दों पर हमारी सरकार का समर्थन किया। इसके लिए हमारे प्रदेश अध्यक्ष ने बीजद का धन्यवाद भी किया। केवल मोदी सरकार में ही ओडिशा में गरीबों का भला हो सकेगा। हमारे पास ओडिशा की संस्कृति, अस्मिता और पहचान को लेकर स्पष्ट दृष्टिकोण है। हम उसी अनुसार आगे बढ़ रहे हैं।

वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने पटनायक सरकार पर चारों तरफ से तगड़ा हमला बोला था। लेकिन, नतीजों के बाद पार्टी का रुख बदल गया। इस बार भी कुछ ऐसा ही माहौल है। क्या इससे मतदाता भ्रमित नहीं होते?

मतदाताओं में किसी तरह के भ्रम की स्थिति नहीं है। वे इस बात को लेकर पूरी तरह स्पष्ट हैं कि उन्हें बहुमत वाली मोदी सरकार के लिए वोट करना है।

भाजपा इस बार बहुत कमजोर सहयोगियों के साथ चुनाव मैदान में है। ऐसे में ‘अबकी बार, 400 पार’ का नारा कितना सही है?

हम 400 सीटें जीतने के प्रति पूरी तरह आश्वस्त हैं। महाराष्ट्र में हमारे साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित) और शिवसेना (शिंदे) हैं। बिहार में हम नीतीश कुमार के साथ हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा मजबूत सामाजिक आधार वाले दलों के साथ मैदान में है।

भाजपा के लिए साल 2014 एक मानक है। प्रधानमंत्री मोदी के विकास कार्यों की बदौलत हम 2014 से सबसे बड़े दल के तौर पर उभर कर सामने आते हैं। इस बार मतदाता मोदी सरकार के प्रदर्शन पर वोट डालेंगे।

First Published - April 29, 2024 | 10:09 AM IST

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