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Lok Sabha Elections 2024: राहुल गांधी के चुनाव मैदान में उतरने से रायबरेली सीट सुर्खियों में

राहुल को अमेठी के बदले रायबरेली से चुनाव मैदान में उतारने के पीछे पार्टी का आकलन है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के लिए रायबरेली, अमेठी से बेहतर और सुरक्षित सीट है।

Last Updated- May 03, 2024 | 12:40 PM IST
Rahul Gandhi- राहुल गांधी
Congress leaders Rahul Gandhi (File Pic)

Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस द्वारा उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट पर अचानक राहुल गांधी को उम्मीदवार बनाये जाने से सुर्खियों में रहने वाला यह निर्वाचन क्षेत्र एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है। रायबरेली सीट को ‘वीवीआईपी’ सीट भी कहा जाता है, जहां से पहले दो आम चुनाव में राहुल के दादा फिरोज गांधी विजयी हुए थे।

रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र में फिरोज गांधी द्वारा रखी गयी मजबूत नींव को उनकी पत्नी व पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने और मजबूती प्रदान की तथा 1967, 1971 और 1980 के चुनाव में इस सीट पर जीत हासिल की। इंदिरा गांधी ने 1980 में दो सीट से चुनाव लड़ा, जिनमें रायबरेली और मेडक (तेलंगाना) लोकसभा सीट शामिल हैं हालांकि उन्होंने बाद में मेडक सीट अपने पास रखने का फैसला किया। उसके बाद अरुण नेहरू ने 1980 के उपचुनाव और 1984 के आम चुनाव में रायबरेली पर कांग्रेस का परचम लहराये रखा।

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के करीबी माने जाने वाले अरुण नेहरू से लेकर शीला कौल तक रायबरेली सीट गांधी परिवार के सदस्यों और उनके करीबियों के पास ही रही। फिरोज गांधी के निधन के बाद 1960 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के आर.पी. सिंह ने रायबरेली सीट पर जीत हासिल की थी वहीं 1962 के चुनाव में कांग्रेस नेता बैजनाथ कुरील ने इस सीट पर कब्जा जमाया था। इंदिरा गांधी की रिश्तेदार शीला कौल ने 1989 और 1991 में रायबरेली का प्रतिनिधित्व संसद में किया था।

गांधी परिवार के एक अन्य मित्र सतीश शर्मा ने 1999 में रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और उसके बाद सोनिया गांधी का राजनीति में प्रवेश हुआ। वर्ष 1977 में आपातकाल के बाद जनता पार्टी के राज नारायण ने इंदिरा गांधी को हराया था, जो उस समय प्रधानमंत्री थीं। वहीं 1996 और 1998 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अशोक सिंह ने कांग्रेस के उम्मीदवारों को शिकस्त दी थी। सोनिया गांधी ने चुनावी राजनीति में प्रवेश करने के लिए 1999 में अमेठी सीट चुनी थी, लेकिन 2004 में उन्होंने अमेठी सीट राहुल के लिए छोड़ दी। सोनिया गांधी ने 2004 से 2019 तक चार बार रायबरेली सीट पर जीत हासिल की हालांकि उनकी जीत का अंतर कम होने लगा था।

राहुल को अमेठी के बदले रायबरेली से चुनाव मैदान में उतारने के पीछे पार्टी का आकलन है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के लिए रायबरेली, अमेठी से बेहतर और सुरक्षित सीट है। उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी में भाजपा की स्मृति ईरानी से लगभग 50 हजार मतों से हार का सामना करना पड़ा था। अमेठी में स्मृति ईरानी के लिए मुकाबला आसान हो जाने को लेकर कांग्रेस की हो रही आलोचना के बीच सूत्रों ने बताया कि पार्टी का मानना है कि गांधी परिवार के लिए रायबरेली का ऐतिहासिक, भावनात्मक और चुनावी महत्व अमेठी से कही अधिक है।

सोनिया गांधी ने रायबरेली के लोगों को दिये अपने विदाई संदेश में विश्वास जताया था कि यह सीट हमेशा उनके व गांधी परिवार के साथ रही है और यहां की जनता भविष्य में भी उनके परिवार को समर्थन देती रहेगी।

First Published - May 3, 2024 | 12:40 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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