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CLSA ने पोर्टफोलियो में शामिल किए TATA Motors, NTPC समेत ये 14 स्टॉक्स; HDFC बैंक बाहर

कंपनी ने टाटा मोटर्स, NTPC, नेस्ले और ब्रिटानिया जैसे दिग्गजों को शामिल किया है, जबकि देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक HDFC बैंक को लिस्ट से बाहर कर दिया है।

Last Updated- January 06, 2025 | 5:25 PM IST
Tata Motors

हांगकांग की फाइनेंशियल कंपनी CLSA ने 2025 के लिए अपने इंडिया स्टॉक पोर्टफोलियो में जबरदस्त बदलाव किए हैं। कंपनी ने टाटा मोटर्स, NTPC, नेस्ले और ब्रिटानिया जैसे दिग्गजों को शामिल किया है, जबकि देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक HDFC बैंक को लिस्ट से बाहर कर दिया है।

CLSA के पोर्टफोलियो में रिलायंस इंडस्ट्रीज, TCS, ICICI बैंक, ITC, एक्सिस बैंक, और ONGC जैसे बड़े नाम भी शामिल किए गए हैं। वहीं, SBI लाइफ, हिंडाल्को, जिंदल स्टील एंड पावर और इंडसइंड बैंक भी जगह बनाने में कामयाब रहे। CLSA ने इन दिग्गज कंपनियों को अपने रणनीतिक पोर्टफोलियो में शामिल कर निवेशकों के लिए एक मजबूत विकल्प तैयार किया है।

क्या कहते हैं CLSA के जानकार?

CLSA के विशेषज्ञों ने कहा, “हमने उन बड़े स्टॉक्स पर फोकस किया है, जो 20% से ज्यादा गिरे हैं। टाटा मोटर्स, NTPC, नेस्ले और ब्रिटानिया अब बेहतर स्थिति में हैं। HDFC बैंक को बाहर कर, हमने पोर्टफोलियो को और मजबूत किया है।”

क्या है CLSA का मास्टरप्लान?

CLSA का कहना है कि बाजार में हाल की गिरावट ने नए मौके पैदा किए हैं। NSE 200 के 50% से ज्यादा स्टॉक्स अपने 52 हफ्ते के हाई से 20% नीचे ट्रेड कर रहे हैं। CLSA ने इसमें से कुछ ‘स्टॉक्स’ छांटे हैं।

  • टाटा मोटर्स: 35% की बड़ी गिरावट के बाद कंपनी अब बेहतर हालात में है। JLR और कमर्शियल वाहन सेक्टर की चुनौतियां अब काफी हद तक संभल चुकी हैं।
  • NTPC: बिजली उत्पादन कंपनी की गिरावट ने इसे एक शानदार एंट्री पॉइंट बना दिया है। CLSA को उम्मीद है कि 2025 की शुरुआत में पावर सेक्टर चमकेगा।
  • नेस्ले और ब्रिटानिया: सरकार की सस्ती उपभोग योजनाओं का सीधा फायदा नेस्ले और ब्रिटानिया जैसे FMCG दिग्गजों को होगा।

HDFC बैंक को क्यों हटाया?

CLSA ने HDFC बैंक को बाहर कर दिया और बैंकों पर फोकस कम कर दिया है। वजह? RBI से उम्मीद की जा रही संभावित रेट कट्स देखने को मिल सकते हैं, जो बैंकों की कमाई को धीमा कर सकती है।

CLSA का कहना है कि वो अभी भी कमोडिटी और इंश्योरेंस सेक्टर में ओवरवेट है। दूसरी ओर, IT, डिस्क्रेशनरी, इंडस्ट्रियल्स और हेल्थकेयर जैसे सेक्टरों को अंडरवेट कर दिया गया है।

2025 में भारत को वैश्विक और घरेलू आर्थिक हालात के बीच संतुलन बनाना होगा। एक तरफ नए मौके हैं, तो दूसरी तरफ चुनौतियां भी हैं जो निवेशकों को सोचने का समय दे रही हैं।

वैश्विक मोर्चे पर क्या है खेल?

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के साथ व्यापार प्रतिबंधों का खेल फिर से चर्चा में है। अगर प्रतिबंध हल्के रहते हैं, तो चीन जैसे देशों में निवेश बढ़ सकता है, और भारत पीछे छूट सकता है। लेकिन अगर प्रतिबंध सख्त हुए, तो भारत को इसका फायदा मिल सकता है।

उधर, अमेरिकी फेडरल रिजर्व के संकेत बताते हैं कि 2025 में ब्याज दरों में बड़ी कटौती की उम्मीद नहीं है। इसका मतलब है कि डॉलर मजबूत रहेगा, जिससे उभरते बाजारों, खासकर भारत को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

भारत की घरेलू रणनीति

देश के भीतर तस्वीर थोड़ी बेहतर नजर आ रही है। RBI में नई लीडरशिप और महंगाई दर में संभावित गिरावट के चलते ब्याज दरों में कटौती की संभावना बन रही है। लेकिन 2024 में भारतीय रुपये और बॉन्ड की ऊंची वैल्यूएशन के चलते बॉन्ड यील्ड्स में बड़ी गिरावट मुश्किल है।

सरकार के कल्याणकारी खर्च, अच्छे मानसून और फसलों की बेहतर बुवाई के चलते ग्रामीण इलाकों में आय बढ़ने की उम्मीद है। इसका सीधा फायदा सस्ते उपभोग वाले उत्पादों के बाजार को मिलेगा।

सस्ते उपभोग वाले स्टॉक्स बनेंगे स्टार?

हाल की गिरावट के बाद, बड़े उपभोग स्टॉक्स अब आकर्षक कीमतों पर उपलब्ध हैं। इनके मुकाबले निवेश और कैपेक्स स्टॉक्स अब भी महंगे हैं। सरकार का कैपेक्स खर्च घटा है, जिससे निवेश का झुकाव नेस्ले और ब्रिटानिया जैसे उपभोग स्टॉक्स की ओर बढ़ रहा है।

2025 में बाजार का प्रदर्शन काफी कुछ वैश्विक और घरेलू परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। लेकिन निवेशकों के लिए सस्ते उपभोग वाले स्टॉक्स एक सुरक्षित और फायदेमंद दांव साबित हो सकते हैं।

First Published - January 6, 2025 | 5:25 PM IST

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