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फेड की दर कटौती का भारत पर कम ही असर की संभावना : CEA वी अनंत नागेश्वरन

आ​र्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने इस मुद्दे पर पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि फेड की दर कटौती का भारत में आने वाली विदेशी पूंजी पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

Last Updated- September 19, 2024 | 9:50 PM IST
Special focus will be on deregulation in Economic Review 2024-25: CEA V Anant Nageswaran आर्थिक समीक्षा 2024-25 में नियमन हटाने पर रहेगा विशेष ध्यानः CEA वी अनंत नागेश्वरन

मुख्य आ​र्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने गुरुवार को कहा कि भारत में अमेरिकी फेड की दर कटौती का प्रभाव कम पड़ सकता है क्योंकि इसका असर पहले ही दिख चुका है। आ​र्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने इस मुद्दे पर पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि फेड की दर कटौती का भारत में आने वाली विदेशी पूंजी पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

सेठ ने कहा, ‘यह भारत समेत वै​श्विक अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक है। यह उच्च स्तर से 50 आधार अंक की कटौती है। मुझे नहीं लगता कि इससे निवेश पर कोई खास असर पड़ेगा। हमें यह देखना होगा कि अमेरिकी ब्याज दरों का स्तर कहां पर है। हमें यह भी देखना होगा कि अन्य अर्थव्यवस्थाओं के बाजार किस तरह से व्यवहार करते हैं।’

अमेरिकी फेडरल ओपन मार्केट कमेटी ने बुधवार को फेडरल फंड दर लक्ष्य सीमा 5.25-5.50 प्रतिशत से 50 आधार अंक घटाकर 4.75-5.00 प्रतिशत करने पर सहमति जताई।

डेलॉयट गवर्नमेंट समिट 2024 को संबो​धित करते हुए सीईए ने कहा कि भारतीय शेयर बाजार पहले से ही निवेशकों की दिलचस्पी आकर्षित कर रहा है और कुल मिलाकर दर कटौती उभारते बाजारों के लिए सकारात्मक है। नागेश्वरन ने कहा, ‘ब्याज दरों में कटौती से पहले ही शेयर बाजार बढ़ चुके थे। यह अनुमान लगाना कठिन है कि ब्याज दरों में कटौती वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए कोई प्रोत्साहन होगी या नहीं, क्योंकि अन्य चीजें स्थिर नहीं हैं।’

नागेश्वरन सुस्त वै​श्विक अर्थव्यवस्था के बीच भूराजनीतिक टकराव बरकरार रहने का जिक्र कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘यदि सब कुछ ठीक रहा तो दर कटौती सकारात्मक रह सकती है क्योंकि इससे पूंजी की डॉलर में लागत घटेगी और दुनिया में डॉलर में तरलता बढ़ेगी।’ उन्होंने कहा कि विकासशील देशों समेत कई देशों को डॉलर की तरलता से राहत मिलेगी क्योंकि वे 2022 और 2023 के बीच अमेरिका में ब्याज दरों में सख्ती से प्रभावित हुए हैं।

अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने 14 महीने तक ब्याज दरों को दो दशक के ऊंचे स्तर पर पर बनाए रखा था। फेड की घोषणाएं 7-9 अक्टूबर को होने वाली भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक से कुछ दिन पहले आई हैं।

जब उनसे पूछा गया कि क्या आरबीआई ब्याज दरें घटाना शुरू करेगा, तो डीईए सचिव ने कहा कि इसके लिए एमपीसी को उचित समय पर निर्णय लेना होगा। सेठ ने कहा, ‘उनका निर्णय इस पर आधारित होता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए क्या अच्छा है।’ आरबीआई ने फरवरी 2023 के बाद से दरों में कोई बदलाव नहीं किया है।

First Published - September 19, 2024 | 9:50 PM IST

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