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‘पूंजीगत खर्च बढ़ाने के लिए PSU में तेजी का लाभ उठाए सरकार’

PSU Shares: लगभग सभी PSU शेयर पिछले एक साल में चढ़े हैं। इस शानदार प्रदर्शन से उनका संपूर्ण बाजार पूंजीकरण बढ़कर 67 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया

Last Updated- April 09, 2024 | 10:10 PM IST
‘पूंजीगत खर्च बढ़ाने के लिए PSU में तेजी का लाभ उठाए सरकार’, ‘Government should take advantage of the boom in PSUs to increase capital expenditure’

ऐक्सिस ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) ने एक रिपोर्ट में कहा है कि सरकार को अपना राजकोषीय घाटा कम करने और पूंजीगत खर्च की रफ्तार बरकरार रखने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसयू) के शेयरों में तेजी का लाभ उठाना चाहिए।

परिसंपत्ति प्रबंधक ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है, ‘व्यवस्थित तरीके से निवेश घटाकर, अपनी हिस्सेदारी हर साल 300 आधार अंक तक कम कर सरकार 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा (जीडीपी का 0.6 प्रतिशत) हासिल कर सकती है। इससे राजकोषीय घाटा कम करने और शुद्ध बाजार उधारी घटाने में मदद मिलेगी।’

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अच्छी तरह से क्रियान्वित पीएसयू विनिवेश रणनीति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी साबित हो सकती है। इससे विदेशी निवेश आकर्षित हो सकता है, कॉरपोरेट प्रशासनिक स्तर बढ़ सकता है और आगामी इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास एवं सामाजिक कल्याण विकास कार्यक्रमों के लिए कोष पैदा होगा। इससे अर्थव्यवस्था की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ेगी।’

लगभग सभी पीएसयू शेयर पिछले एक साल में चढ़े हैं। इस शानदार प्रदर्शन से उनका संपूर्ण बाजार पूंजीकरण बढ़कर 67 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो भारत के कुल बाजार पूंजीकरण का करीब 17 प्रतिशत है। 2023 के शुरू में पीएसयू शेयरों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण महज 37 लाख करोड़ रुपये था।

ऐक्सिस एमएफ का मानना है, ‘मौजूदा मजबूत बाजार परिवेश ने सरकार को लाभ उठाने का आकर्षक अवसर दिया है।’ ऐक्सिस एएमसी का मानना है कि इस बड़ी तेजी के बावजूद, निफ्टी के मुकाबले पीएसयू इंडेक्स का मूल्यांकन डिस्काउंट सिर्फ अपने दीर्घावधि औसत पर आ गया है।

ऐक्सिस एएमसी के मुख्य निवेश अधिकारी आशिष गुप्ता ने कहा कि पीएसयू शेयरों की रेटिंग में बदलाव और उनके दमदार प्रदर्शन को कई कारकों से मदद मिली। इनमें कोविड-19 महामारी के दौरान पारंपरिक आर्थिक क्षेत्रों के मजबूत वित्तीय प्रदर्शन, सरकारी नीतियां और सुधार, कॉरपोरेट प्रशासन पर जोर, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में बैलेंस शीट पुनर्गठन और विनिवेश रणनीति में बदलाव मुख्य रूप से शामिल हैं।

गुप्ता ने कहा, ‘इस ऋण मांग को पूरा करने के लिए भारत में बैंकों को विकास पूंजी की आवश्यकता बनी रहेगी। हमारे अनुमान से संकेत मिलता है कि पीएसयू बैंकों को अपनी मौजूदा ऋण वृद्धि दर बरकरार रखने के लिए अगले पांच साल के दौरान 2 लाख करोड़ रुपये की पूंजी की जरूरत हो सकती है।

मिस्टर मार्केट अब इन बैंकों को अपनी पूंजी बढ़ाने और वृद्धि संबंधित जरूरतें पूरी करने के लिए अनुकूल अवसर पेश कर रहा है। इसका अंदाजा सार्वजनिक बाजारों में कई पीएसयू बैंकों के पूंजी जुटाने के सफल प्रयासों से लगाया जा सकता है, जिन्होंने हाल के महीनों में अपनी बैलेंस शीट को काफी हद तक मजबूत किया है।’

First Published - April 9, 2024 | 10:10 PM IST

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