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NSE co-location case: सैट के आदेश से चित्रा को मिली राहत, नहीं होगी वसूली

सैट ने सेबी का आदेश रद्द करते हुए कहा कि एनएसई कोलोकेशन मामले में अनैतिक कार्य या गलत लाभ का नहीं मिला कोई सबूत

Last Updated- January 23, 2023 | 9:32 PM IST
Active users of NSE decreased for the tenth consecutive month, 1.5 million accounts decreased in April
BS

प्रतिभूति अपील पंचाट (सैट) ने नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और उसकी पूर्व प्रबंध निदेशक चित्रा रामकृष्ण तथा सीईओ रवि नारायण से कथित अनैतिक लाभ की वसूली का आदेश रद्द कर दिया। यह आदेश भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने दिया था। सैट ने अपने आदेश में कहा कि ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि एनएसई किसी अनैतिक कार्य में लिप्त थी या उसने अनुचित तरीके से धन कमाया था।

सेबी ने अप्रैल 2019 में जारी आदेश में एनएसई से कहा था कि स्टॉक एक्सचेंज एवं क्लियरिंग कॉरपोरेशन (एसईसीसी) नियमों के उल्लंघन के कारण उसे 625 करोड़ रुपये और उन पर 12 फीसदी ब्याज देना होगा। ब्याज अप्रैल, 2014 से लगाया जाना था। यह जुर्माना कोलोकेशन सुविधा में खामी के कारण लगाया गया था।

सैट ने यह जुर्माना रद्द कर दिया और एनएसई को 100 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया क्योंकि उसने अपने नियमों और निर्देशों के अनुपालन में ठीक से जांच-परख नहीं की थी। इस रकम में से एनएसई द्वारा पहले भरी गई रकम घटा दी जाएगी और यदि भरा गया जुर्माना ज्यादा हुआ तो सेबी 6 हफ्ते के भीतर एक्सचेंज को बाकी रकम लौटाएगा। ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है कि रवि नारायण अथवा चित्रा रामकृष्ण ने अनुचित तरीके से कोई लाभ हासिल किया।

रामकृष्ण और नारायण को पांच साल तक किसी भी सूचीबद्ध कंपनी या बाजार बुनियादी ढांचा संस्थान के साथ जुड़ने से रोक दिया गया था। मगर न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल की अध्यक्षता वाले पीठ ने इस मुकदमे की अवधि को उस पांच साल में से घटाकर दोनों को राहत प्रदान की। साथ ही पीठ ने रामकृष्ण और नारायण का 25 फीसदी वेतन रोकने का सेबी का आदेश भी खारिज कर दिया।

बाजार नियामक को लताड़ते हुए सैट ने कहा, ‘हमें ध्यान रखना चाहिए कि जब एनएसई जैसे प्रथम स्तर के नियामक के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए तो सेबी को कहीं अ​धिक सक्रियता एवं गंभीरता से जांच करनी चाहिए थी। हमने देखा कि सेबी का रवैया काफी सुस्त रहा। वास्तव में इससे एनएसई के कथित गलत कार्यों पर पर्दा डाल दिया।’

सैट ने यह भी पाया है कि एनएसई में सुस्ती के कारण सर्वर पर आईपी का असमान वितरण हुआ। ट्रिब्यूनल ने एनएसई के कर्मचारियों के खिलाफ जांच शुरू करने के सेबी के निर्देश को मंजूरी दे दी है। उसने सेबी को ओपीजी एवं उसके निदेशकों की एनएसई के कर्मचारियों अथवा अ​धिकारियों के साथ मिलीभगत के आरोप पर गौर करने का निर्देश दिया है।

ओपीजी द्वारा किए गए उल्लंघनों की पुष्टि हुई है। सेबी को नए सिरे से अवैध अथवा गलत तरीके के हुई आय की गणना करने के लिए चार महीने का समय दिया गया है। सैट ने कहा, ‘चेतावनी जारी करने के बजाय ओपीजी सेकंडरी स​र्वर से जुड़ा रहा।’ सेकंडरी सर्वर पर कम लोड होने के कारण ओपीजी को अन्य ब्रोकरों के मुकाबले जल्दी डेटा देखने का मौका मिल गया।

यह भी पढ़ें: एफपीओ की एंकर श्रेणी में म्युचुअल फंड, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की रुचि

सैट के पीठ ने कोलोकेशन मामले में सेबी द्वारा दिए गए विभिन्न आदेशों में कई खामियों पर गौर किया। ट्रिब्यूनल ने कहा कि एनएसई और ओपीजी के मामले में पूर्णकालिक सदस्य (डब्ल्यूटीएम) द्वारा निकाले गए निष्कर्षों में विरोधाभास था। सैट ने एनएसई को छह महीने के लिए प्रतिभूति बाजार से प्रतिबं​धित करने का सेबी के पूर्णकालिक सदस्य का निर्णय बरकरार रखा और नियमित अंतराल पर सिस्टम की लगातार जांच का भी निर्देश दिया। इस मामले में सेबी का पक्ष विधि फर्म द लॉ पॉइंट ने रखा और ओपीजी सिक्योरिटीज की ओर से परिणाम लॉ एसोसिएट्स के पार्टनर रविचंद्र हेगड़े आए।

कोलोकेशन मामले में शिकायत थी कि एनएसई अपने कुछ ग्राहकों को डेटा उपलब्ध कराने में प्राथमिकता दी, जिससे उन्हें ट्रेडिंग में लाभ मिला। एनएसई ने 2009 में कोलोकेशन सुविधा शुरू की थी, जिसमें व्यापारियों और ब्रोकरों को एनएसई डेटा सेंटर में अपना आईटी सर्वर स्थापित करने की अनुमति दी गई थी। एनएसई ने सैट के आदेश पर टिप्पणी करने से इनकार किया। सेबी ने इस बाबत जानकारी के लिए भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं दिया।

First Published - January 23, 2023 | 9:32 PM IST

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