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SEBI ने सेकंडरी मार्केट में खरीद-बिक्री के भुगतान के लिए नई व्यवस्था का दिया प्रस्ताव

Last Updated- January 17, 2023 | 11:21 PM IST
बाजार विशेषज्ञ संजीव भसीन की जांच कर रहा सेबी, SEBI is investigating market expert Sanjeev Bhasin

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने सेकंडरी मार्केट कारोबार के लिए नई भुगतान प्रणाली अपनाने की प्रस्तावित व्यवस्था ब्योरा आज जारी किया। इस कदम का मकसद ब्रोकरों को निवेशकों के पैसे के संभावित दुरुपयोग से रोकना है।

उद्योग के भागीदारों ने कहा कि नई प्रणाली के साथ ही कम अव​धि यानी टी+1 निपटान चक्र अपनाया गया तो भारतीय शेयर बाजार दुनिया का सबसे कुशल और उन्नत बाजार हो जाएगा।

बाजार नियामक ने ‘सेकंडरी मार्केट में ट्रेडिंग के लिए धन को ब्लॉक करना’ शीर्षक से परिचर्चा पत्र जारी किया है। बाजार नियामक का मकसद इसके जरिये यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा मंजूर नई डेबिट सुविधाओं का लाभ उठाना है।

सेबी ने इस पर आम लोगों से प्रतिक्रिया मांगी है। परिचर्चा पत्र में कहा गया है, ‘ऐसा महसूस किया गया है कि आरबीआई द्वारा यूपीआई के लिए अनुमोदित सिंगल ब्लॉक और मल्टिपल डेबिट को सेकंडरी मार्केट के साथ जोड़ा जा सकता है ताकि ग्राहकों को धनरा​शि ब्लॉक करने की सुविधा मिल सके और उन्हें सेकंडरी मार्केट में खरीद-बिक्री के लिए अपने बैंक खाते में धनरा​शि ब्लॉक करने का अधिकार मिले। साथ ही उन्हें ट्रेडिंग सदस्य को पहले ही यह रकम नहीं देनी पड़े। नई व्यवस्था लागू होने से ग्राहकों के पैसों की सुरक्षा भी बढ़ेगी।’

इस समय निवेशक को खरीदफरोख्त से पहले ब्रोकर को उक्त रा​शि भेजनी पड़ती है। इससे ब्रोकर के पास अतिरिक्त धन आ जाता है और उन्हें उस पर ब्याज की शक्ल में कमाई करने का मौका मिल जाता है। उद्योग के अनुमान के मुताबिक ब्रोकरों के पास ग्राहकों की 30,000 करोड़ रुपये से अ​धिक की रा​शि पड़ी है।

प्रस्तावित व्यवस्था के तहत ग्राहकों का पैसा उनके ही खाते में सुरक्षित रहेगा और उसे सीधे क्लियरिंग कॉरपोरेशन के पास भेजा जाएगा। इसी तरह की व्यवस्था प्राइमरी मार्केट के लिए भी की गई है, जिसे आस्बा (ऐ​प्लिकेशन सर्पोटेड बाय ब्लॉक्ड अमाउंट) कहा जाता है।

हालांकि सेकंडरी मार्केट के लिए व्यवस्था का ढांचा ज्यादा जटिल है क्योंकि इसमें नकद और डेरिवेटिव सहित कई तरह के कारोबार यानी खरीद, बिक्री और इंट्रा-डे जैसे सेगमेंट शामिल हैं।

अभी बैंक के समर्थन वाले ब्रोकरेज ग्राहकों को 3-इन-1 अकाउंट की सुविधा देते हैं, जिसमें ब्रोकर को ट्रेड मूल्य के बराबर धनरा​शि दे दी जाती है।

मगर सेबी मानता है कि इसमें कुछ जो​खिम हैं, जिन्हें दूर नहीं किया गया है। इसमें गैर-निपटान का भुगतान, ग्राहकों के धन की गलत निकासी और गलत जानकारी शामिल है। सेबी ने कहा कि नई व्यवस्था ब्रोकरों के डिफॉल्ट के जो​खिम से भी बाजार को सुरक्षा प्रदान करेगी।

बाजार नियामक ने कहा, ‘शेयर ब्रोकरों की चूक का कारण अलग-अलग हो सकता है, लेकिन समस्या का मूल ग्राहक के धन और/या प्रतिभूतियों के दुरुपयोग से जुड़ा है। बड़ी संख्या में ग्राहकों को

आ​र्थिक नुकसान होने के अलावा ऐसी घटनाएं प्रतिभूति बाजार में निवेशकों के भरोसे को भी कम करता है और यह चिंता की बड़ी वजह है।’

सेबी ने कहा, ‘निवेशकों के भरोसे को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि उन्हें शेयर ब्रोकरों द्वारा पैसों और प्रतिभतियों के दुरुपयोग से समुचित सुरक्षा प्रदान की जाए। नई व्यवस्था में तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो ब्रोकरों द्वारा धन या प्रतिभूति के दुरुपयोग के बारे में समय से पहले पता लगा लेगा और चेतावनी जारी करेगा।’

First Published - January 17, 2023 | 11:12 PM IST

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