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बाजारों के लिए भूराजनीतिक जोखिम सबसे बड़ा खतरा: क्रिस्टोफर वुड

वुड ने कहा कि मिडकैप सेगमेंट में गिरावट की आशंका बनी हुई है। उनका मानना है कि निवेशकों के लिए निवेश के बजाय उपभोग के क्षेत्र में निवेश करने का लालच भी रहेगा।

Last Updated- June 28, 2024 | 10:19 PM IST
Christopher Wood at BS BFSI Summit 2023

जेफरीज में इक्विटी रणनीति के वैश्विक प्रमुख क्रिस्टोफर वुड (Christopher Wood) ने निवेशकों के लिए अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट ‘ग्रीड ऐंड फियर’ में लिखा है कि भूराजनीतिक, खासकर यूक्रेन टकराव बढ़ने का जोखिम बाजारों के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है।

वुड ने कहा, ‘जोखिम यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और डॉनल्ड ट्रम्प के फिर से जीतने की संभावना से पहले नाटो की सीधी भागीदारी को बढ़ाने की कोशिश यूक्रेन के हित में है।’

बोफा सिक्योरिटीज ने भी हाल में एक रिपोर्ट में सुझाव दिया था कि बाजारों के लिए सबसे बड़ा ‘टेल रिस्क’ भू-राजनीति है। मई में ब्रोकरेज के सर्वेक्षण में 18 प्रतिशत वैश्विक फंड प्रबंधकों ने इस पर सहमति जताई थी।

बोफा सिक्योरिटीज के विश्लेषकों ने एक ताजा फंड प्रबंधक सर्वे (एफएमएस) में कहा, ‘41 प्रतिशत फंड प्रबंधक निवेशकों के अनुसार ऊंची मुद्रास्फीति सबसे बड़ा ‘टेल रिस्क’ है। भूराजनीति को लेकर चिंताएं घटकर 18 प्रतिशत रह गईं (अप्रैल में 24 प्रतिशत थीं) लेकिन अभी भी दूसरे स्थान पर हैं। अप्रैल में आर्थिक मंदी 12 प्रतिशत से बढ़कर 15 प्रतिशत हो गई।’

642 अरब डॉलर की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों (AUM) के साथ 245 प्रतिभागियों ने 3 मई से 9 मई के बीच कराए गए इस सर्वे में हिस्सा लिया था।

वुड ने कहा कि मिडकैप सेगमेंट में गिरावट की आशंका बनी हुई है। उनका मानना है कि निवेशकों के लिए निवेश के बजाय उपभोग के क्षेत्र में निवेश करने का लालच भी रहेगा।

उनका मानना है कि नई राजग सरकार लोक-लुभाव उपायों पर जोर दे सकती है जिसकी पृष्ठभूमि में यह होने की संभावना है जबकि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के पिछले दस वर्षों की एक विशेषता यह रही है कि राजकोषीय घाटा हस्तांतरण भुगतान के बजाय भौतिक बुनियादी ढांचे पर खर्च करके संचालित होता रहा है। वुड ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फिर से बहाल करने के उपायों को मोदी 3.0 शासनकाल में प्राथमिकता मिल सकती है।

उनका मानना है कि लोक सभा चुनाव परिणाम ने संभवतः सरकार के स्वामित्व वाले उद्यमों (एसओई) में सुधार और सार्वजनिक क्षेत्र के विनिवेश की संभावनाओं को कम कर दिया है। इन दोनों को लेकर ग्रीड ऐंड फियर में मोदी से उम्मीद की गई है कि वह गठबंधन के दबावों से मुक्त होकर भाजपा सरकार के तीसरे कार्यकाल में सफल रहें।

First Published - June 28, 2024 | 9:54 PM IST

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