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भारतीय शेयर बाजार का सुनहरा दौर खत्म हो गया है? जानिए वेणुगोपाल मंगत ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से इंटरव्यू में क्या कहा

एचएसबीसी म्युचुअल फंड में इक्विटी के मुख्य निवेश अधिकारी वेणुगोपाल मंगत ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में उन्होंने अपनी अधिकांश योजनाओं में नकदी स्तर में इजाफा किया है।

Last Updated- March 24, 2025 | 10:10 PM IST
Venugopal Manghat
एचएसबीसी म्युचुअल फंड में इक्विटी के मुख्य निवेश अधिकारी वेणुगोपाल मंगत

गिरते बाजार ने रिटेल निवेशकों की धारणा पर असर डाला है। इक्विटी म्युचुअल फंड (एमएफ) योजनाओं में निवेश में गिरावट से यह जाहिर होता है। एचएसबीसी म्युचुअल फंड  में इक्विटी के मुख्य निवेश अधिकारी वेणुगोपाल मंगत ने पुनीत वाधवा को ईमेल साक्षात्कार में बताया कि पिछले कुछ महीनों में उन्होंने अपनी अधिकांश योजनाओं में नकदी स्तर में इजाफा किया है। उनका कहना है कि इस नकदी का इस्तेमाल पोर्टफोलियो को दुरुस्त करने या अवसरों का लाभ उठाने के लिए किया जा सकता है। बातचीत के मुख्य अंश:

क्या आपको लगता है कि कीमतों में गिरावट के बाद भारतीय शेयर बाजार में समय-समय पर दाम में गिरावट आएगी?

पिछले कुछ महीनों में बाजार में काफी गिरावट आई है और कीमतों की अधिकता भी अब घट गई है। निफ्टी इस समय अपने दीर्घावधि औसत मूल्यांकन से 18 गुना नीचे  है, जिससे 2025-26 में मध्यम आय वृद्धि की उम्मीद है। साथ ही, नकदी की तंगी और वैश्विक चिंताओं से अर्थव्यवस्था धीमी पड़ गई है, जिसके परिणामस्वरूप इस वित्त वर्ष में आय वृद्धि कम हुई है। मंदी के कई कारण हैं, लेकिन इसे लेकर स्पष्टता सीमित है कि अर्थव्यवस्था और आय वृद्धि पिछले ऊंचे स्तरों पर कब वापस आएगी। वैश्विक अनिश्चितता अभी बनी हुई है।  इस वजह से बाजार कुछ समय, संभवतः कुछ महीनों तक एक दायरे के भीतर मजबूती ले सकते हैं। 

क्या आपको लगता है कि यह तेजी वाले बाजार में बीच बीच में आने वाली गिरावट है या फिर भारतीय बाजारों का अच्छा दौर खत्म हो चुका है?

भारत के दीर्घावधि विकास की स्थिति मजबूत बनी हुई है और अर्थव्यवस्था अभी भी विस्तार के दौर में है। हालांकि कई वर्षों तक 7 फीसदी से अधिक की मजबूत जीडीपी वृद्धि के बाद वित्त वर्ष 2025-वित्त वर्ष 2026 में यह वृद्धि नरम पड़ कर 6-7 फीसदी रह जाने का अनुमान है। धीमी वृद्धि मुख्य रूप से केंद्र और राज्यों के चुनावों के कारण पूंजीगत व्यय में कमी, तरलता की कमजोर स्थिति तथा सब्जियों और दालों की बढ़ती कीमतों के कारण ऊंची मुद्रास्फीति से जुड़ी हुई है। 

भारतीय उद्योग जगत के मार्च 2025 अवधि के नतीजों से आपकी क्या उम्मीदें हैं? 

कॉरपोरेट आय संपूर्ण अर्थव्यवस्था में देखी गई आर्थिक रफ्तार या मंदी को दर्शाती है और वित्त वर्ष 2025 की आय वृद्धि अब एक अंक में रहने की उम्मीद है। जहां इस वर्ष के पहले दो महीनों में कुछ हाई-फ्रिक्वेंसी इंडिकेटर में सुधार दिखा है, वहीं हम इस वित्त वर्ष में कॉरपोरेट भारत के लिए आय के सुस्त सीजन की उम्मीद कर रहे हैं।

निवेशक अपने पोर्टफोलियो को ट्रंप के नीतिगत झटकों से कैसे बचा सकते हैं? क्या विदेशी बाजारों में निवेश का समय आ गया है?

चूंकि नीतियों और समय-सीमा को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। इसलिए इस दृष्टिकोण से पोर्टफोलियो को बचाने की कोशिश करना बेकार है। भारत में निवेश का सबसे अच्छा अवसर बरकरार है। पिछले कुछ महीनों में भारतीय बाजार में काफी गिरावट आई है और उसने वैश्विक बाजारों, खासकर अमेरिका के मुकाबले खराब प्रदर्शन किया है। कीमतें भी अब घट गई हैं। कई घरेलू चिंताएं दूर हुई हैं और मेरा मानना है कि इस गिरावट को पोर्टफोलियो बनाने के अवसर के तौर पर देखना चाहिए। 

First Published - March 24, 2025 | 10:10 PM IST

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