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Interview: स्मॉलकैप बुलबुले जैसी स्थिति में नहीं, IIFL Securities के चेयरमैन ने कहा- मौद्रिक नरमी से मिलेगी बाजारों को मदद

भारतीय अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ रही है। सबसे कमजोर परिवेश में भी यह आराम से 6 प्रतिशत से ऊपर बनी रह सकती है।

Last Updated- March 03, 2024 | 11:29 PM IST
‘Smallcaps not in extreme bubble territory’ Interview: स्मॉलकैप बुलबुले जैसी स्थिति में नहीं, IIFL Security के चेयरमैन ने कहा- वैश्विक तौर पर मौद्रिक नरमी से मिलेगी बाजारों को मदद

सभी सेक्टर में स्मॉलकैप शेयरों ने पिछले दो दशक में लार्जकैप शेयरों के मुकाबले ज्यादा आय वृद्धि का लगातार प्रदर्शन किया है। आईआईएफएल सिक्योरिटीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक आर वेंकटरामन ने सुंदर सेतुरामन को ईमेल साक्षात्कार में बताया कि इससे कुछ हद तक लगता है कि हम अभी बुलबुले जैसे हालात में नहीं हैं। उनका मानना है कि बाजारों को वैश्विक तौर पर मौद्रिक नरमी से भी मदद मिलेगी। संपादित अंश:

बाजारों में बड़ी तेजी आशावाद की वजह से आई है। आपकी इस पर क्या राय है? क्या बाजार अत्यधिक उत्साहित हो गए हैं या भारत की विकास संभावनाओँ के लिहाज से यह मूल्यांकन ठीक हैं?

भारतीय अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ रही है। सबसे कमजोर परिवेश में भी यह आराम से 6 प्रतिशत से ऊपर बनी रह सकती है। डॉलर के खिलाफ रुपये की मजबूती को देखते हुए अमेरिकी डॉलर में जीडीपी 10 प्रतिशत से ऊपर रह सकता है जो कई अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से अधिक होगा। वित्त वर्ष 2024 से वित्त वर्ष 2026 के लिए निफ्टी की आय वृद्धि (तेल को छोड़कर) 14 प्रतिशत से ऊपर रहने का अनुमान है।

क्या आप मानते हैं कि मिडकैप और स्मॉलकैप ज्यादा महंगे हो गए हैं? कई म्युचुअल फंडों ने स्मॉलकैप योजनाओं में निवेश पर सीमाएं लगा दी हैं। क्या आप निवेशकों को सतर्कता बरतने की सलाह देंगे?

बाजार पूंजीकरण के लिहाज से वर्गीकरण के बजाय गति वाले क्षेत्रों का आकलन करना और उनके मूल्यांकन की तुलना करना ज्यादा उचित है। हालांकि मिडकैप में मूल्यांकन और प्रदर्शन बढ़ा है। इसकी वजह से ज्यादा निवेशक इनके प्रति आकर्षक हुए हैं और कुछ का कमजोर प्रदर्शन हुआ तो इन शेयरों पर दबाव आ सकता है। दिलचस्प बात यह है कि सभी क्षेत्रों के स्मॉलकैप शेयरों ने पिछले 20 साल के दौरान लार्ज कैप के मुकाबले लगातार मजबूत आय वृद्धि दर्ज की है। इससे भी कुछ हद तक यह जाहिर होता है कि हम बुलबुले जैसी स्थिति में नहीं है। इसके अलावा कई पीएसयू ने भी निजी कंपनियों के मुकाबले ज्यादा प्रतिफल दिया है। उदाहरण के लिए, कोल इंडिया इक्विटी पर 36 प्रतिशत का रिटर्न बरकरार रखे हुए है।

किसी को मौजूदा हालात में बाजार में क्या रणनीति अपनानी चाहिए? क्या ऐसे कोई थीम या क्षेत्र हैं जिनमें संभावना बची हुई है?

सीमेंट, बिल्डिंग मैटेरियल, एनबीएफसी, चुनिंदा वाहन, फार्मा और बैंकिंग सभी में संभावनाएं हैं। पूंजीगत वस्तु और इस्पात भी अच्छे अवसर पेश कर रहे हैं। इसके विपरीत एफएमसीजी, कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी के कई शेयर और आईटी कंपनियों को लेकर अनिश्चितता है।

क्या पीएसयू में तेज आ चुकी है?

पीएसयू की रेटिंग में बदलाव आया है और उनकी औसत आय दमदार है। हमारा मानना है कि कई पीएसयू में अभी भी मजबूत संभावनाएं बरकरार हैं। 50 करोड़ डॉलर या अधिक के मारकेट कैप के साथ पीएसयू श्रेणी में औसत मार्केट कैप 9 अरब डॉलर (सरकार की 66 प्रतिशत हिस्सेदारी) है। पिछले 12 महीनों में कीमत प्रदर्शन 151 प्रतिशत, पीबी अनुपात 3.9 गुना और वित्त वर्ष 2025 के लिए ईवी-एबिटा 17 गुना रहा है। हमने एसबीआई, कोल इंडिया, एनएमडीसी, पेट्रोनेट एलएनजी, गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स ऐंड इंजीनियर्स की बेहद बेहद आकर्षक कीमत वाले पीएसयू के रूप में पहचान की है।

अर्थव्यवस्था और बाजार के लिए प्रमुख अनुकूल परिस्थितियां क्या हैं?

रिटर्न आन इक्विटी (आरओई) महामारी के निचले स्तरों से सुधरा है। हालांकि यह अभी पिछली ऊंचाइयों तक नहीं पहुंचा है। बैंकों और कंपनियों दोनों की अपेक्षाकृत हल्की बैलेंस शीट हैं। निजी निवेश एवं खपत में सीमित गति के बावजूद अर्थव्यवस्था अपनी मजबूत रफ्तार बनाए हुए है। मुद्रास्फीति में नरमी, जिंस कीमतों में गिरावट से मदद और वैश्विक वृद्धि में नरमी से योगदान मिल रहा है। भारत में हमें ब्याज दरों में धीरे धीरे कमी आने का अनुमान है। हमारा मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के बाद आरबीआई भी दर कटौती शुरू कर देगा। इसकी शुरुआत जून में की जा सकती है।

अक्टूबर-दिसंबर तिमाही की आय से क्या संकेत मिला है और वित्त वर्ष 2025 तथा वित्त वर्ष 2025 के लिए वृद्धि के अनुमान क्या हैं?

वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में, बीएसई 500 की 478 कंपनियों ने सालाना आधार पर 3 प्रतिशत/19 प्रतिशत/23 प्रतिशत की बिक्री/एबिटा/शुद्ध लाभ वृद्धि दर्ज की। हालांकि तिमाही आधार पर एबिटा/कर बाद लाभ करीब 5 प्रतिशत तक घटा। हालांकि बिक्री में 5 प्रतिशत तक की तेजी दर्ज की गई। समेकित एबिटा मार्जिन में बदलाव 200 आधार अंक रहा।

First Published - March 3, 2024 | 11:16 PM IST

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