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सेंसेक्स के मुकाबले मिडकैप और स्मॉलकैप का प्रीमियम सिकुड़ा, एनालिस्ट ने बताई बड़ी वजह

बीएसई मिडकैप सूचकांक वर्तमान में पिछले भाव और आय के 26.2 गुना मल्टीपल पर कारोबार कर रहा है जबकि बीएसई स्मॉलकैप 29 गुना पीई पर कारोबार कर रहा है।

Last Updated- March 14, 2024 | 10:57 PM IST
स्मॉलकैप फंडों से तीस महीने में पहली बार निवेश निकासी. Investment withdrawal from small cap funds for the first time in thirty months

बेंचमार्क बीएसई सेंसेक्स की तुलना में बीएसई स्मॉल और मिडकैप सूचकांकों के मूल्यांकन का प्रीमियम पिछले एक साल में सबसे कम रह गया है। स्मॉल और मिडकैप सूचकांकों में हालिया गिरावट के बीच शेयरों का भाव घटने से प्रीमियम पर असर पड़ा है। बीएसई मिडकैप सूचकांक वर्तमान में पिछले भाव और आय के 26.2 गुना मल्टीपल पर कारोबार कर रहा है जबकि बीएसई स्मॉलकैप 29 गुना पीई पर कारोबार कर रहा है। इसकी तुलना में सेंसेक्स का लार्ज कैप 25 गुना पीई मल्टीपल पर कारोबार कर रहा है।

इस साल मार्च में मिडकैप सूचकांक 4.5 फीसदी नीचे आ चुका है और स्मॉलकैप सूचकांक में करीब 10 फीसदी की गिरावट आई है। इसकी तुलना में सेंसेक्स इस महीने अभी तक 0.4 फीसदी चढ़ा है।

पिछले साल मार्च में मिड और स्मॉलकैप सूचकांक सेंसेक्स की तुलना में थोड़ा कम मूल्यांकन पर कारोबार कर रहे थे। बीएसई मिडकैप पिछले साल मार्च में अपने प्रति शेयर आय के करीब 12.9 गुना पर कारोबार कर रहा था जबकि स्मॉलकैप 22.1 गुना पर कारोबार कर रहा था।

यह सेंसेक्स के 22.4 गुना पीई मल्टीपल से कम था। लंबी अव​धि के आंकड़ों से पता चलता है कि मिड और स्मॉलकैप शेयर अ​धिकतर मौकों पर बेंचमार्क सूचकांक की तुलना में ऊंचे मूल्यांकन पर कारोबार किया है। अप्रैल 2015 से जब बीएसई ने पहली बार सूचकांक के लिए मूल्यांकन अनुपात प्रका​शित करना शुरू किया था, बीएसई सूचकांक का औसत पीई मल्टीपल 28 गुना है। इसी अव​धि में स्मॉलकैप का पीई 42.6 गुना रहा।

हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि स्मॉल और मिडकैप के पिछले मूल्यांकन प्रीमियम की तुलना लार्ज कैप शेयरों से करना शायद उचित नहीं होगा क्योंकि स्मॉल और मिडकैप शेयरों की आय में भारी उतार-चढ़ाव रहा है। इ​क्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी के संस्थापक एवं मुख्य कार्या​धिकारी जी चोकालिंगम ने कहा, ‘मिड और स्मॉलकैप कंपनियां अच्छे समय में ज्यादा मुनाफा वृद्धि दर्ज करती हैं मगर कोविड महामारी जैसी विषम आ​र्थिक हालात में इनकी कमाई में भी तेजी से गिरावट आती है।’

उदाहरण के लिए पिछले एक वर्ष में बीएसई मिडकैप सूचकांक की ईपीएस 30 प्रतिशत बढ़कर बुधवार को 1,432.60 रुपये हो गई जो अप्रैल 2023 के अंत में 1,097.40 रुपये थी। इसी अवधि के दौरान बीएसई स्मॉलकैप की ईपीएस17.1 प्रतिशत ऊपर जा चुकी है। अब यह 1,203 रुपये से बढ़कर 1409.70 रुपये हो गई है। इसकी तुलना में सेंसेक्स की ईपीएस मात्र 8.5 प्रतिशत बढ़कर बुधवार को 2929 रुपये हो गई जो पहले 2697 रुपये थी। छोटी कंपनियों के लिए आय में तेज वृद्धि का कारण संभवतः कमजोर आधार रहा। सूचकांकों की ईपीएस इसका हिस्सा रहीं कंपनियों के संयुक्त शुद्ध मुनाफे से तय होती है।

बीएसई स्म़ॉलकैप सूचकांक की ईपीएस अप्रैल 2025 में तीन बार ऋणात्मक हो गई थी और कोविड महामारी के दौरान इसकी आय महामारी से पूर्व के उच्च स्तर से 130 प्रतिशत कमजोर थी। इसी तरह मिडकैप सूचकांक कोविड पूर्व के ऊंचे स्तरों से कमजोर होकर महामारी के दौरान 95 प्रतिशत नीचे चला गया था। इसकी तुलना में सेंसेक्स कंपनियों का संयुक्त शुद्ध मुनाफा कोविड महामारी से पूर्व के स्तर से मात्र 25 प्रतिशत नरम हुआ था।

First Published - March 14, 2024 | 10:57 PM IST

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