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SEBI के अनंत नारायण ने CFO और मूल्यांकन प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने की दी सख्त चेतावनी

अनंत नारायण ने परिसंपत्तियों के मूल्यांकन में पारदर्शिता और CFO की जवाबदेही बढ़ाने पर जोर दिया, निवेशकों की सुरक्षा और वित्तीय रिपोर्टिंग सुधार के लिए कदम उठाने को कहा।

Last Updated- June 13, 2025 | 10:51 PM IST
SEBI
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण ने शुक्रवार को कुछ परिसंपत्तियों के मूल्यांकन के तरीकों पर चिंता जताई और मुख्य वित्त अधिकारियों से ज्यादा जवाबदेह वनने को कहा। ईटीसीएफओ नेक्स्टजेन समिट में नारायण ने भाव देखकर खरीदने, हितों के टकराव और लेखा परिपाटियों के चलन जैसे उन मसलों का जिक्र किया जो निवेशकों को गुमराह कर सकते हैं।

क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की अतीत की चुनौतियों के साथ तुलना करते हुए नारायण ने सुझाव दिया कि मूल्यांकन करने वालों को प्रमुख धारणाओं, संवेदनशीलता दायरों और ट्रैक रिकॉर्ड का खुलासा करना चाहिए और अगर इनमें ज्यादा परिवर्तन हो तो जवाबदेही का सामना करना चाहिए।  

उन्होंने हितों के संभावित टकराव की ओर इशारा किया क्योंकि मूल्यांकनकर्ताओं को अक्सर उन संस्थाओं द्वारा नियुक्त और भुगतान किया जाता है, जिनका वे मूल्यांकन करते हैं, लिहाजा पक्षपातपूर्ण मूल्यांकन हो सकता है।

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मूल्यांकनकर्ताओं के बीच अलग-अलग अवधारणाओं के कारण परिसंपत्तियों के मूल्यांकन में व्यापक भिन्नताएं पैदा हुई हैं और समय के साथ मूल्यांकन में नाटकीय परिवर्तन होने पर जवाबदेही बहुत कम रह गई है।

नारायण ने वित्तीय आंकड़ों में भरोसा मजबूत करने के लिए ऑडिट समितियों और लेखा परीक्षकों के साथ घनिष्ठ सहयोग की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने पारदर्शिता बढ़ाने के लिए वित्तीय परिणामों और सालाना रिपोर्टों के बीच मौजूदा 70-140 दिन के अंतराल को कम करने का सुझाव दिया।

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नारायण ने कहा, भरोसा आधार है, पूंजी निर्माण इंजन है और नियमन सुरक्षा कवच है। मुख्य वित्त अधिकारी इसके संचालक हैं। उन्होंने उनसे अनुपालन से आगे बढ़ने और लेखांकन मानकों की भावना को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने भेदिया कारोबार और रकम की हेराफेरी जैसी परिपाटियों के खिलाफ चेतावनी दी।

First Published - June 13, 2025 | 10:47 PM IST

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