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शेयर कीमतों पर म्यूचुअल फंडों और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का दिखा दबदबा

Last Updated- May 09, 2023 | 12:05 AM IST
FPIs' selling continues; withdraw Rs 7,300 cr from equities in a weekFPI की बिकवाली जारी; फरवरी के पहले सप्ताह में भारतीय शेयर बाजार से 7,342 करोड़ रुपये निकाले

कैलेंडर वर्ष 2023 की जनवरी-मार्च तिमाही बाजार प्रदर्शन के लिहाज से कमजोर रही। हालांकि उन शेयरों में कम गिरावट आई, जिनमें विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) और घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने निवेश बढ़ाया। वहीं जिनमें उन्होंने निवेश घटाया, उनमें गिरावट ज्यादा दर्ज की गई।

FPI ने NSE में सूचीबद्ध 609 कंपनियों में अपना निवेश बढ़ाया। प्राइम डेटाबेस के अनुसार, इन कंपनियों में 6.13 प्रतिशत की औसत गिरावट दर्ज की गई।

इस बीच, 714 शेयरों (जिनमें उन्होंने अपना निवेश घटाया) में औसत गिरावट 14.2 प्रतिशत रही। इसी तरह 529 और 417 शेयरों में DII और MF ने हिस्सेदारी बढ़ाई और इनमें औसत गिरावट 6 प्रतिशत रही। कम से कम 438 शेयरों में 12 प्रतिशत की कमजोरी दर्ज की गई, वहीं 290 शेयरों में MF ने अपना निवेश औसत तौर पर घटाया।

कैलेंडर वर्ष 2023 की पहली तिमाही में बीएसई का सेंसेक्स करीब 3 प्रतिशत कमजोर हुआ। आश्चर्यजनक बात यह है कि जिन शेयरों में रिटेल होल्डिंग यानी छोटे निवेशकों की भागीदारी बढ़ी, उनमें करीब 18 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, वहीं निवेश में तेजी से जुड़े शेयरों में 8 प्रतिशत से कम की बढ़त दर्ज की गई। इसके अलावा, जिन शेयरों में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने अपना निवेश बढ़ाया, उनमें इस बीमा कंपनी का निवेश घटने वाले शेयरों के मुकाबले ज्यादा गिरावट दर्ज की गई।

बाजार पर्यवेक्षकों का कहना है कि एमएफ और FPI द्वारा खरीद-बिक्री का अन्य निवेशक वर्गों की तुलना में बाजार पर ज्यादा असर पड़ता है।

First Published - May 8, 2023 | 9:46 PM IST

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