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Stock Market: बढ़त को लेकर ठीक नहीं हालात, सावधानी बरतने का समय

वैश्विक स्तर पर भूराजनीतिक तनाव और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में अमेरिकी आर्थिक नीतियों को लेकर अनिश्चितता अवरोध पैदा करती है।

Last Updated- December 01, 2024 | 10:25 PM IST
Nifty50

विश्लेषक बाजार की लगातार गति और यहां तक कि मौजूदा स्तरों पर एकीकरण की संभावना को लेकर बढ़ते जोखिमों की चेतावनी दे रहे हैं। घरेलू स्तर पर बाजार कई चुनौतियों से जूझ रहा है, जिनमें धीमी अर्थव्यवस्था भी शामिल है, जैसा कि 2024-25 की जुलाई-सितंबर तिमाही के नवीनतम सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आंकड़े, मुद्रास्फीति, रुपये में उतार-चढ़ाव, घटती खपत और उच्च ब्याज दरों से संकेत मिलता है।

वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाहीत में भारत की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर सालाना आधार पर सात तिमाही के निचले स्तर 5.4 फीसदी पर आ गई, जो वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही के 6.7 फीसदी से कम है और 6.5 फीसदी के औसत अनुमान के साथ बाजार की उम्मीदों से भी कम है।

सेंसेक्स और निफ्टी सूचकांक लगभग 22 गुने के पीई अनुपात के साथ अधिक आकर्षक हो गए हैं, इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक और शोध प्रमुख जी. चोकालिंगम ने पाया है कि स्मॉल और मिडकैप शेयरों का मूल्यांकन अभी भी जरूरत से ज्यादा है।

उन्होंने कहा, तात्कालिक लिहाज से भारतीय इक्विटी को लेकर जोखिम हैं। हमें नहीं पता कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक कब भारतीय इक्विटी के शुद्ध खरीदार बनेंगे। कमजोर रुपये, प्रतिकूल वैश्विक संकेतों (जैसे भूराजनीतिक तनाव) और मजबूत अमेरिकी अर्थव्यवस्था और डॉलर के कारण वे अल्पावधि में बिकवाली जारी रख सकते हैं। इससे फिलहाल मनोबल नरम रह सकता है।

अहम संकेत

वैश्विक स्तर पर भूराजनीतिक तनाव और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में अमेरिकी आर्थिक नीतियों को लेकर अनिश्चितता अवरोध पैदा करती है। विश्लेषकों का मानना है कि मौजूदा उतारचढ़ाव के बीच ये कारक अल्पावधि से मध्यम अवधि में बाजार की धारणा को कमजोर कर सकते हैं। भारत हालांकि अन्य खुली एशियाई अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में टैरिफ जोखिमों के प्रति कम संवेदनशील है।

First Published - December 1, 2024 | 10:25 PM IST

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