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1 अक्टूबर से बदल जाएगी NSE, BSE की ट्रांजैक्शन फीस, ब्रोकर या निवेशकों को शेयर खरीदारी पर कितना करना होगा पेमेंट?

NSE and BSE revised transaction fees: ट्रांजैक्शन फीस NSE और BSE पर अलग-अलग हैं। NSE कैश और डेरिवेटिव सेगमेंट के लिए एक नया फी स्ट्रक्चर लेकर आया है।

Last Updated- September 29, 2024 | 6:39 PM IST
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NSE and BSE revised transaction fees: शेयर बाजार में निवेश करने वालों को अगले महीने की शुरुआत से यानी 1 अक्टूबर से ट्रांजैक्शन फीस में बदलाव देखने को मिलेगा। भारत के टॉप 2 बड़े एक्सचेंज यानी BSE और NSE ने एक अक्टूबर की तारीख से ट्रांजैक्शन चार्ज को रिवाइज किया है। यह रिवीजन सेबी के 1 जुलाई 2024 के सर्कुलर के तहत है।

एक्सचेंजों की ट्रांजैक्शन फीस की बात की जाए तो यह NSE और BSE पर अलग-अलग हैं। NSE कैश और डेरिवेटिव सेगमेंट के लिए एक नया फी स्ट्रक्चर लेकर आया है। जबकि, BSE ने इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट के सेंसेक्स और बैंकेक्स ऑप्शन्स कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए बदलाव का ऐलान किया।

सेबी के सर्कुलर के तहत हो रहा ट्रांजैक्शन फीस में बदलाव

1 जुलाई 2024 के मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के सर्कुलर में मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (MII) को निर्देश दिया गया था कि वे ट्रेडिंग वॉल्यूम के आधार पर स्लैब-वाइज फी स्ट्रक्चर (slab-wise fee structure) को बंद करें। उसकी जगह वे सभी मेंबर्स के लिए एक समान फी स्ट्रक्चर (uniform fee structure) लागू करें। बता दें कि MIIs के तहत स्टॉक एक्सचेंज, क्लियरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरीज आते हैं।

BSE, NSE के नए और पुराने फी स्ट्रक्चर में क्या है अंतर?

यूनिफॉर्म फी स्ट्रक्चर के तहत इन्वेस्टर्स को एक समान शुल्क का पेमेंट करना पड़ेगा, चाहे वह ब्रोकर हो या आम निवेशक। किसी भी तरह के या किसी भी साइज के इन्वेस्टमेंट पर फीस सबके लिए एक समान ही होगी। स्लैब वाइज फी स्ट्रक्चर के तहत ब्रोकर्स को ज्यादा फायदा मिलता था। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्रोकर्स की तरफ से किया गया ट्रांजैक्शन अमाउंट काफी ज्यादा होता था और हाई ट्रेडिंग वॉल्यूम के कारण ट्रांजैक्शन फीस कम हो जाती थी और ग्राहकों से वसूली गई फीस ज्यादा होती थी। ऐसे में पेमेंट कम और वसूली ज्यादा होने से अंतर बढ़ जाता था और ब्रोकर्स को फायदा हो जाता था।

क्या है BSE, NSE की ट्रांजैक्शन फीस

NSE ने अलग-अलग सेगमेंट के लिए नई ट्रांजैक्शन फीस पेश की है। कैश मार्केट में, हर 1 लाख लाख ट्रेड किए गए मूल्य पर 2.97 रुपये की फीस दोनों पक्षों (ब्रोकर और इन्वेस्टर) से ली जाएगी। इक्विटी फ्यूचर्स में हर एक लाख ट्रेड किए गए मूल्य पर 1.73 रुपये की फीस लगेगी।

इक्विटी ऑप्शंस के लिए, प्रीमियम वैल्यू के हर एक लाख रुपये पर 35.03 रुपये की फीस दोनों पक्षों से ली जाएगी। NSE करेंसी फ्यूचर्स के लिए, हर एक लाख ट्रेड किए गए मूल्य पर 0.35 रुपये का ट्रांजैक्शन चार्ज दोनों पक्षों से लिया जाएगा। करेंसी ऑप्शंस और इंटरेस्ट रेट ऑप्शंस के लिए, प्रीमियम मूल्य के हर एक लाख पर 31.10 रुपये का चार्ज दोनों पक्षों के लिए लागू होगा।

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) ने इक्विटी डेरिवेटिव्स सेगमेंट में सेंसेक्स और बैंकेक्स ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए ट्रांजैक्शन फीस को रिवाइज करके हर एक करोड़ रुपये के प्रीमियम टर्नओवर पर 3,250 रुपये कर दिया है।

वहीं, इक्विटी डेरिवेटिव्स सेगमेंट के अन्य कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए ट्रांजैक्शन फीस में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सेंसेक्स 50 ऑप्शंस और स्टॉक ऑप्शंस के लिए, BSE हर एक करोड़ प्रीमियम टर्नओवर पर 500 रुपये की ट्रांजैक्शन फीस लगाता है। इसमें इंडेक्स और स्टॉक फ्यूचर्स के लिए कोई ट्रांजैक्शन फीस नहीं है।

First Published - September 29, 2024 | 6:32 PM IST

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