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Stock Market: बाजार में छोटे निवेशक बरत रहे हैं सतर्कता

Last Updated- June 05, 2023 | 12:08 AM IST
Investor

अपने लार्ज-कैप प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले अन्य प्रमुख सूचकांक तुलनात्मक तौर पर बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। शेयरखान बाई बीएनपी पारिबा में पूंजी बाजार रणनीति एवं निवेश के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गौरव दुआ ने पुनीत वाधवा के साथ बातचीत में कहा कि आप अब अच्छी गुणवत्ता वाले मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में निवेश पर ध्यान दे सकते हैं और इनमें अगले दो साल के दौरान प्रतिफल अच्छा मिल सकता है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

पिछले कुछ महीनों के दौरान बाजार का प्रदर्शन कैसा रहा?

जुलाई 2021 से, एनएसई का निफ्टी मुद्रास्फीति में तेजी और उसकी वजह से भारत तथा दुनियाभर में दर वृद्धि के बाद भी 16,000 और 18,000 के बीच सीमित रहा। बाद में, निफ्टी को कई वैश्विक इक्विटी बाजारों में तेजी की मदद से 18,000 से ऊपर पहुंचने में मदद मिली। विदेशी प्रवाह भी सकारात्मक हो गया है। पिछले 12 महीने के आधार पर, भारतीय इक्विटी बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) प्रवाह दिसंबर 2021 के बाद से पहली बार सकारात्मक रहा है। तिमाही परिणाम सीजन ने न तो निराश किया है और न ही वित्त वर्ष 2024 और वित्त वर्ष 2025 में निफ्टी के लिए आय अनुमानों में ज्यादा ‘डाउनग्रेड’ देखने को मिला है। अमेरिका में ऋण सीमा से संबधित अनिश्चितता, कमजोर मॉनसून और उपभोक्ता खर्च में सुस्ती से जुड़ी चिंताओं के बीच हम भारतीय इक्विटी बाजार पर आशान्वित बने हुए हैं।

वित्त वर्ष 2023 की जनवरी-मार्च तिमाही के नतीजों के बारे में आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

चौथी तिमाही में देसी उद्योग जगत का वित्तीय परिणाम मिश्रित रहा है और बैंकिंग तथा वाहन क्षेत्रों ने आय में मजबूत वृद्धि दर्ज की। इसके विपरीत, धातु, आईटी सेवाओं और अन्य वैश्विक जिंस कंपनियों से निफ्टी आय पर दबाव पड़ा। समेकित आधार पर, निफ्टी कंपनियों ने आय में 11-11.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जो काफी हद तक अनुमान के अनुरूप है। वहीं कई मिडकैप कंपनियों के नतीजे अनुमान से बेहतर रहे हैं। मॉनसून की चाल और आरबीआई के मौद्रिक रुख ऐसे प्रमुख कारक होंगे जो आय अनुमानों को प्रभावित कर सकते हैं।

मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों ने वित्त वर्ष 2024 में अपने बड़े प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले अब तक अच्छा प्रदर्शन किया है। इस बारे में आपका क्या नजरिया है?

भारी तेजी के बाद निफ्टी 18,000 से ऊपर बना हुआ है और प्रमुख बाजार में गतिविधि भी पिछले कुछ महीनों में बढ़ी है। इससे हमें किसी तरह का आश्चर्य नहीं हुआ है। पिछले अनुभवों से पता चलता है कि बाजार में एकतरफा तेजी औसत तौर पर 17-18 महीने तक बनी रहती है और उसके बाद 18-24 महीने का गिरावट का दौर देखने को मिला है। प्रमुख बाजार 18 महीने की गिरावट पहले ही दर्ज कर चुके हैं। मौजूदा हालात में बाजार में निचले स्तर और नई तेजी की शुरुआत को लेकर अनुमान लगाना कठिन होगा। हालांकि आप अब अच्छी गुणवत्ता वाली मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों में निवेश कर सकते हैं और इनमें अगले दो साल के दौरान अच्छा प्रतिफल मिल सकता है।

एफआईआई प्रवाह में बाद में बदलाव देखने को मिला है। हालांकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने बिकवाली की है। इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?

डीआईआई निचले स्तरों पर खरीदार रहे हैं और ऐसा लग रहा है कि कुछ मुनाफावसूली कर उन्होंने अपना नकदी स्तर बढ़ाने पर जोर दिया है। इसके अलावा, पिछले सर्वाधिक ऊंचे स्तरों के नजदीक बाजार पहुंचने पर भी कुछ बिकवाली हो सकती है।
वैकल्पिक तौर पर, विदेशी प्रवाह वैश्विक जोखिम-मुक्त कारोबार पर केंद्रित हो रहा है। अमेरिका और यूरोप में केंद्रीय बैंकों ने बैंकों की मदद करने के लिए तरलता के हालात को आसान बनाया है और बैंकिंग संकट के प्रसार को रोकने पर जोर दिया है।

घरेलू बाजार में छोटे निवेशकों का रुझान कैसा है?

छोटे निवेशक सतर्क बने हुए हैं, और इसका असर पिछले साल के दौरान उद्योग स्तर पर सक्रिय ग्राहक आधार में घटते रुझान के तौर पर दिखा है। बढ़ते प्रतिफल और रियल एस्टेट में निवेश के साथ निर्धारित आय योजनाओं से नए ग्राहक दूरी बना सकते हैं। हालांकि बाजार में बढ़ती गतिविधि की वजह से खुदरा भागीदारी में बाद में सुधार आया है। इसके अलावा, कई छोटे निवेशक इक्विटी बाजारों में निवेश की समझ से अवगत हो रहे हैं। एसआईपी योजनाओं में छोटे निवेशकों का प्रवाह मजबूत बना हुआ है।

इस कैलेंडर वर्ष में कौन से क्षेत्र/शेयर आपके पसंदीदा रहे हैं?

हम वाहन, इंजीनियरिंग और भवन निर्माण क्षेत्र पर सकारात्मक हैं और मान रहे हैं कि यह समय अमेरिका और भारत में ब्याज दर चक्र पूरा होने के अनुमानों के आधार पर आईटी सेवा तथा वित्तीय शेयरों में निवेश करने के लिहाज से उपयुक्त हैं। खपत क्षेत्र में, हमने चयन पर जोर दिया है। मूल्यांकन कंज्यूमर स्टैपल्स में अब सस्ते नहीं हैं, और अल्पावधि में उपभोक्ता खर्च में नरमी आने से कम जरूरी खर्च प्रभावित हो सकते हैं।

First Published - June 5, 2023 | 12:08 AM IST

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