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Budget 2024: कंपनियों को मांग सुधरने का इंतजार, फर्मों के CEO ने बताया कैसे बढ़ेंगे रोजगार के अवसर

Budget 2024: अदाणी समूह के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने अपने अनुमानों के आधार पर अगले कुछ वर्षों में विस्तार योजनाओं पर आने वाले खर्च के लिए बंदोबस्त कर लिया है।

Last Updated- July 24, 2024 | 11:35 PM IST
टेक ग्रोथ कॉन्क्लेव में मिले 20,000 करोड़ के निवेश प्रस्ताव

Union Budget 2024: वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में पूंजीगत व्यय पर सरकार की पहल के बाद अब निजी क्षेत्र ने भी पूंजी निवेश बढ़ाने का इरादा जाहिर किया है। इस क्षेत्र की कंपनियों के प्रमुखों ने कहा कि सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में आधारभूत ढांचे के विकास पर 11.11 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की है, जिसके बाद उन्हें मांग बढ़ने की उम्मीद नजर आने लगी है।

श्री सीमेंट के चेयरमैन एच एम बांगड़ ने कहा,’पूंजीगत व्यय पर सरकार ने 11.11 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की बात कही है। इससे निजी क्षेत्र भी उत्साहित है और वह पूरे जोश-खरोश के साथ निवेश करने के लिए आगे आएगा। कंपनियों ने इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी हैं।’

पिछले कुछ वर्षों के दौरान पूंजीगत व्यय का सारा दारोमदार सरकार के कंधों पर ही रहा है वहीं, विनिर्माण क्षेत्र निजी निवेश की बाट जोहता रहा है। देसी बाजार में मांग की लचर स्थिति, दुनियाभर में मांग की कमी और चीन से सस्ता आयात निजी क्षेत्र की कंपनियां की हिचकिचाहट के प्रमुख कारण रहे हैं। सोमवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि मुनाफा बढ़ने के बाद भी भारतीय कंपनियां नई विनिर्माण परियोजनाओं या बौद्धिक संपदा उत्पादों में निवेश नहीं कर रही हैं।

इन कंपनियों के मुख्य कार्याधिकारियों (सीईओ) ने कहा कि विनिर्माण क्षमता बढ़ाना मांग की स्थिति पर निर्भर करता है।

सूचना-प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र की कंपनी मास्टेक के प्रबंध निदेशक अशांक देसाई ने कहा, ‘अगर मांग न हो तो निवेश करने का कोई मतलब नहीं रह जाता है। जो रकम हम निवेश करते हैं वे शेयरधारकों के होते हैं और उन्हें लाभ देना भी हमारी जिम्मेदारी बनती है। विनिर्माण क्षेत्र मुख्यतः मांग और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की चाल पर निर्भर रहता है।’

एलऐंडटी के मुख्य वित्तीय अधिकारी एवं पूर्णकालिक निदेशक आर शंकर रमण ने कहा कि उन्होंने अभी बजट की सूक्ष्म बातों पर नजर नहीं दौड़ाई है मगर कंपनियां नाप-तौल कर ही निवेश करेंगी और किसी तरह की हड़बड़ी नहीं दिखाएंगी।

रमण ने कहा, ‘डेटा केंद्रों, रियल एस्टेट, सेमीकंडक्टर और सीमेंट एवं इस्पात आदि खंडों में निवेश हो रहे हैं मगर पहले सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के दौरान निवेश में जो तेजी दिखी थी वैसी नहीं दिखेगी। कंपनियां जरूरत के हिसाब से ही पूंजी लगाएंगी।’

आर्थिक समीक्षा में निजी क्षेत्र से निवेश बढ़ाने की अपील पर रमण ने कहा, ‘सरकार यह संकेत देना चाह रही है कि केवल केंद्र सरकार से बोझ उठाने की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए और निजी क्षेत्र को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।’

केईसी इंटरनैशनल के मुख्य कार्याधिकारी एवं प्रबंध निदेशक विमल केजरीवाल ने कहा, ‘निजी निवेश बढ़ने से गतिविधियां तेजी हो जाती हैं और नई पहल होती हैं और नई तकनीक का इस्तेमाल भी बढ़ जाता है। इससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ती है और रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं। मगर निजी क्षेत्र सरकार से सहयोग मिलने पर ही पूंजीगत व्यय बढ़ा पाएगा। सरकार को कारोबार खड़ा करने एवं इसे चलाने का रास्ता आसान करने के साथ ही आवश्यक बुनियादी ढांचे में निवेश करना चाहिए और पूंजी की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए।’

इस साल की शुरुआत से बड़ी भारतीय कंपनियों ने दीर्घ अवधि के लिए भारी-भरकम निवेश की घोषणाएं की हैं। मॉर्गन स्टैनली के एक अनुमान के अनुसार देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज अगले दस वर्षों में 60 अरब डॉलर निवेश करेगी।

जून में जेएसडब्ल्यू ग्रुप ने अपनी निवेश योजना में संशोधन किया और अब कंपनी का कहना है कि वह 2030 तक नए बंदरगाह, इस्पात एवं बुनियादी परियोजनाओं पर 70 अरब डॉलर झोंकेगी। टाटा समूह विमानन कारोबार सहित अपनी विभिन्न कंपनियों में 120 अरब डॉलर निवेश करने जा रहा है।

अदाणी समूह भी अगले दस वर्षों के दौरान नए हवाई अड्डों, बंदरगाहों और हरित ऊर्जा परियोजनाओं पर 100 अरब डॉलर निवेश करने की बात कह चुका है। अदाणी समूह के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने अपने अनुमानों के आधार पर अगले कुछ वर्षों में विस्तार योजनाओं पर आने वाले खर्च के लिए बंदोबस्त कर लिया है।

आदित्य बिड़ला समूह ने भी नए निवेश के लिए कमर कस ली है। इस समूह की अल्ट्राटेक ने कहा है कि वह अगले तीन वर्षों के दौरान 32,400 करोड़ रुपये निवेश करेगी। इनमें कंपनी चालू वित्त वर्ष में 8,000 से 9,000 करोड़ रुपये निवेश करेगी। हालांकि, ये घोषणाएं देश की कुछ शीर्ष कंपनियों की तरफ से हुई हैं और ऐसी समूहों की फेहरिस्त काफी लंबी है जो पूंजी निवेश में सुस्त रही हैं।

जिंदल स्टेनलेस के प्रबंध निदेशक अभ्युदय जिंदल ने कहा, ‘हम अपना कारोबारी दायरा बढ़ाने के लिए पहले ही क्षमता विस्तार और नई इकाइयों के अधिग्रहण पर रकम खर्च कर रहे हैं।

First Published - July 24, 2024 | 11:32 PM IST

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