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Budget 2024: ‘चीन से निवेश का सुझाव खारिज नहीं कर रहे’; वित्त मंत्री, वित्त सचिव ने प्रेस कांफ्रेस में दिए इन सवालों के जवाब

Union Budget 2024: जस्व केवल कर से नहीं आता है। कर के अलावा पीएसयू के लाभांश, संपत्तियों के मुद्रीकरण और नए क्षेत्रों से भी राजस्व आता है। इसीलिए...

Last Updated- July 23, 2024 | 11:01 PM IST
Union Budget 2024: 'We are not rejecting the suggestion of investment from China', Finance Minister answered these questions in the press conference Union Budget 2024: 'चीन से निवेश का सुझाव खारिज नहीं कर रहे', वित्त मंत्री ने प्रेस कांफ्रेस में दिए इन सवालों के जवाब

Union Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करने के बाद संवाददाता सम्मेलन में अपनी टीम के साथ उसके खास पहलुओं पर रोशनी डाली। उन्होंने ऋण-जीडीपी अनुपात कम करने और कर के साहसिक उपाय अपनाने की सरकार की योजना पर भी बात की।

पूंजीगत लाभ कर घटाने से राजस्व कम नहीं हो जाएगा?

वित्त मंत्री: राजस्व केवल कर से नहीं आता है। कर के अलावा पीएसयू के लाभांश, संपत्तियों के मुद्रीकरण और नए क्षेत्रों से भी राजस्व आता है। इसीलिए कुल मिलाकर बेहतर राजस्व आएगा और राजस्व में जो कमी हो रही है, उसकी भरपाई हो जाएगी।

राजस्व सचिव: इससे राजस्व पर करीब 37,000 करोड़ रुपये की चोट पड़ेगी। प्रत्यक्ष कर में करीब 29,000 करोड़ रुपये का इजाफा होगा मगर अप्रत्यक्ष कर में करीब 8,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। प्रत्यक्ष कर में इजाफा प्रतिभूति लेनदेन कर, लाभांश कर बढ़ाने, बायबैक जैसे प्रस्तावों से होगा। एसटीटी से करीब 4,000 करोड़ रुपये मिलेंगे और 15,000 करोड़ रुपये पूंजीगत लाभ कर से। इसी तरह अप्रत्यक्ष कर के मोर्चे पर सोने जैसी कई जिंसों पर सीमा शुल्क में कटौती से खजाने पर करीब 8,000 करोड़ रुपये की चोट पड़ेगी। स्टैंडर्ड डिडक्शन और आयकर में राहत देने से भी सरकारी खजाने को कुछ नुकसान होगा।

कर्ज-जीडीपी अनुपात किस तरह से घटेगा?

वित्त सचिव: हमारा इरादा घाटे के आंकड़ों पर ध्यान देना नहीं बल्कि इस पर गौर करना है कि सामान्य वर्षों में हमारा कर्ज-जीडीपी अनुपात किस तरह से कम हो। इसकी वजह यह है कि अतीत में एफआरबीएम अधिनियम के जरिए जो आंकड़ा तय हुआ था, उसमें भारत जैसी तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था की खासियत को ध्यान में नहीं रखा गया था। किसी एक वर्ष में कर्ज बढ़ाए बिना हम घाटे को जिस स्तर पर ला सकते हैं, वह 3 फीसदी नहीं होगा, उससे काफी ज्यादा ही होगा। यह शायद 4.5 फीसदी से थोड़ा कम होगा। ज्यादा विस्तार में गए बिना मैं यही कहूंगा कि हां यह एक नया रवैया है

जिसकी बात सरकार कर रही है। इसलिए हर साल का बदलाव इस बात पर निर्भर करेगा कि ऐसा क्या तय फीसदी होगा जो हमारे कर्ज को नीचे की ओर ले जाए।

छोटी बचतों के घटते जाने के अनुमान पर क्या कहेंगे?

वित्त सचिव: संशोधित अनुमान और वित्त वर्ष 2024के वास्तविक आंकड़ों के बीच थोड़ी गिरावट दिख रही है। इस गिरावट को ध्यान में रखते हुए हमने यह अनुमान लगाया है कि हमारी अपेक्षाएं मौजूदा वित्त वर्ष में पूरी नहीं हो सकतीं। इसके लिए कई अन्य कारक जिम्मेदार हैं- शेयर बाजार जैसे हमारे निवेशों का आकर्षण घटा है, बैंक जमा की दरें बढ़ रही हैं। राजकोषीय घाटे में कमी के लिए हमने तय अवधि की प्रतिभूतियों की बजाय मुख्यत: ट्रेजरी बिल खंड में कमी लाने का फैसला किया। यह अल्प अवधि के ट्रेजरी बिल में निवेश घटाने का हमारा सचेत प्रयास है।

चीन से एफडीआई पर आप क्या सोचती हैं?

वित्त मंत्री: आर्थिक समीक्षा ने चीन से होने वाले निवेश पर नजरिया पेश कर दिया है। आज जो हालात हैं उनके अनुसार तो निवेश चीन से आए या किसी अन्य पड़ोसी देश से उसे प्रेस नोट तीन की प्रक्रिया से गुजरना होता है। आर्थिक समीक्षा ने संकेत दिया है कि अब शायद हमारे लिए और खुलापन लाने का वक्त आ गया है। समीक्षा बजट से अलग है लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि मैं इस सुझाव को अस्वीकार कर रही हूं।

एफडीआई उदार बनाने पर क्या कहना है?

वित्त मंत्री: हम साल 2014 से ही भारत में कारोबारी सुगमता बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की नीति को हम लगातार उदार बनाने की कोशिश कर रहे हैं। पहले इसे अलग-अलग क्षेत्र में किया गया और फिर इसे स्वचालित प्रक्रिया में अपनाया गया। अगर जरूरी हुआ तो हम इसे और सरल बनाएंगे।

बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष सहायता दी जा रही है…

वित्त मंत्री: मैं बजट भाषण में पहले ही कह चुकी हूं कि 15,000 करोड़ रुपये की राशि बहुपक्षीय विकास सहायता के रूप में आ रही है। इसे हम बहुपक्षीय बैंकों से ऋण के रूप में लेंगे। मैंने उस पैराग्राफ के अंत में भी कहा है कि सहायता को और बढ़ाया जाएगा। इसकी कोई निश्चित राशि नहीं है।

कराधान व्यवस्था को सरल बनाने की क्या योजना है?

वित्त मंत्री: हम धीरे-धीरे सरल कराधान व्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं और निश्चित तौर जब हम इस बारे में बात कर रहे हैं तो करों का बोझ कम करने की बात भी हो रही है। इसमें कोई नया संदर्भ नहीं है लेकिन एक संदर्भ ऐसा है जो लंबे समय से बना हुआ है। ऐसे में हम समीक्षा कर रहे हैं। यह कब और कैसे लागू होगा इस बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी। मैंने छह महीने का समय दिया है।

विनिवेश के बारे में क्या विचार है?

दीपम सचिव: हमारी समग्र विनिवेश नीति मूल्य निर्माण पर केंद्रित है। हम सोच समझकर विनिवेश कर रहे हैं परंतु मुख्य रूप से हमारा ध्यान मूल्य निर्माण पर है। हम जिन प्राथमिक पहलुओं पर गौर कर रहे हैं वे हैं: सीपीएसई का प्रदर्शन, उनका पूंजीगत व्यय और लाभांश नीति। इस वर्ष भी हमने 50,000 करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा है।

नॉमिनल जीडीपी सिर्फ 10.5% पर रहने पर क्या कहेंगे?

वित्त सचिव: 10.5 फीसदी वृद्धि का यह जो अनुमान है वह 7 फीसदी वृद्धि और 3.5 फीसदी जीडीपी डिफ्लेटर (अपस्फीतिकारक) को दिखाता है। हां यह थोड़ा संयत दायरा जरूर है, लेकिन ज्यादा नहीं। हम आंकड़े हासिल करने को प्राथमिकता देना चाहेंगे।

First Published - July 23, 2024 | 10:32 PM IST

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