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स्वास्थ्य देखभाल पर व्यय को बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 2.5 प्रतिशत तक करने पर जोर दे रहा है।

Last Updated- January 07, 2025 | 8:47 PM IST
Budget 2024: India in final stages of introducing national policy to promote R&D in pharma-medical devices sectors

स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र ने आगामी बजट के लिए मांगों की जबरदस्त सूची तैयार की है। इन मांगों में स्वास्थ्य व्यय में वृद्धि, अस्पतालों का विस्तार और केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) तथा आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजय) जैसी सरकारी बीमा योजनाओं के तहत व्यावहारिक प्रतिपूर्ति दरें प्रमुख रूप से शामिल हैं।

नैटहेल्थ-हॉस्पिटल फेडरेशन ऑफ इंडिया के अनुसार यह क्षेत्र स्वास्थ्य देखभाल पर व्यय को बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 2.5 प्रतिशत तक करने पर जोर दे रहा है जिसमें कैंसर उपचार की लागत कम करने और टीबी उन्मूलन पर ज्यादा जोर दिया गया है। संस्था का कहना है कि देश में कैंसर के मामलों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है और आशंका है कि ऐसे मामले साल 2020 के 13 लाख की तुलना में बढ़कर साल 2025 में 15 लाख हो जाएंगे। भारत की मौजूदा आबादी करीब 1.35 अरब है जिसको कैंसर के इलाज का पर्याप्त कवरेज सुनिश्चित करने के लिए बचाव वाले लगभग 7,500 उच्च-स्तरीय चिकित्सा उपकरणों की जरूरत है। अभी भारत में इस समय ऐसे केवल 750 से 800 उपकरण ही हैं।’

हॉस्पिटल एसोसिएशनों का दावा है कि सीमा शुल्क हटाने और लीनियर एक्सेलरेटर (लिनऐक) जैसे ऑन्कोलॉजी रेडिएशन उपकरणों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) घटाकर पांच प्रतिशत करने से वंचित क्षेत्रों में कैंसर उपचार क्षमता का विस्तार हो सकता है। क्षेत्र को सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के लिए प्रतिपूर्ति दरों में संशोधन की भी उम्मीदें हैं। उसकी मांग है कि दरों को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) से जोड़ा जाए ताकि वित्तीय व्यावहारिकता सुनिश्चित की जा सके क्योंकि कई दरों में लगभग एक दशक से बदलाव नहीं हुआ है। यह मांग ऐसे समय की जा रही है, जब अस्पताल पहले भी योजना से संबंधित भुगतान में देरी की शिकायत कर चुके हैं।

एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रवाइडर्स ऑफ इंडिया (एएचपीआई) के महानिदेशक गिरिधर ज्ञानी ने मसले उठाते हुए कहा कि आयुष्मान भारत के तहत समय पर और पर्याप्त भुगतान की आवश्यकता है जिसमें देर से किए जाने वाले भुगतानों के लिए ब्याज भुगतान और महंगाई से जुड़ी दरों की व्यापक समीक्षा शामिल है। उद्योग के निकायों ने अस्पतालों की ऊंचाई को भवन संहिता की मौजूदा 45 मीटर या उससे कम की सीमा को बढ़ाकर देश भर में 60 मीटर तक करने की अनुमति देने की मांग करते हुए अस्पतालों के विस्तार को प्रोत्साहित करने पर भी जोर दिया है ताकि ऊंची इमारतों के विस्तार से स्वास्थ्य सेवा के महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढांचे का निर्माण हो सके।

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First Published - December 25, 2024 | 9:42 PM IST

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