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Budget 2025: रिन्यूएबल एनर्जी को लेकर क्या क्या हैं चुनौतियां? किन मुद्दों पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत

भारत के लिए नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र का विकास न केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देश की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक समृद्धि के लिए भी जरूरी है।

Last Updated- January 25, 2025 | 1:08 PM IST
renewable energy
प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Pexels

भारत सरकार आगामी संघीय बजट 2025-26 में न केवल आर्थिक वृद्धि और वित्तीय स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करेगी, बल्कि नवीकरणीय ऊर्जा (renewable energy) क्षेत्र को लिए भी कुछ नई घोषणाएं कर सकती है। हालांकि, इस क्षेत्र के विकास के लिए कई चुनौतियां सामने हैं जिसपर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।

अगर बात इस सेक्टर की चुनौतियों की करें तो नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए अभी सबसे बड़ी चुनौती भारी निवेश की कमी है। मौजूदा समय में निजी और सार्वजनिक दोनों ही सेक्टर में इस क्षेत्र में निवेश की कमी देखी जा रही है। सरकार को निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सही नीतियां और प्रोत्साहन की जरूरत होगी। इस क्षेत्र में विकास के लिए पूंजी बहुत जरूरी है, क्योंकि नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं, जैसे सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा, शुरू से काफी महंगी हैं। भारत में 2030 तक 500 GW नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन इसे साकार करने के लिए अरबों डॉलर के निवेश की आवश्यकता होगी।

टेक्नोलॉजी और इन्फ्रास्ट्रक्चर की समस्या

नवीकरणीय ऊर्जा का प्रभावी उपयोग करने के लिए उन्नत तकनीकी समाधान और बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए, सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा उत्पादन में अनियमितता होती है, जिससे ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति में समस्या उत्पन्न होती है। इसके समाधान के लिए स्मार्ट ग्रिड और बेहतर ऊर्जा भंडारण प्रणाली की जरूरत है। हालांकि, इन प्रणालियों को स्थापित करने में अधिक लागत और तकनीकी चुनौती आती है। अभी इस दिशा में पर्याप्त काम नहीं हुआ है, जो एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रहा है।

ऊर्जा भंडारण भी एक बड़ी चुनौती

नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली के लिए एक सबसे बड़ी चुनौती ऊर्जा भंडारण है। सौर और पवन ऊर्जा का उत्पादन दिन और रात के समय में अलग-अलग होता है, जिससे इन ऊर्जा स्रोतों से निरंतर बिजली आपूर्ति की योजना बनाना कठिन हो जाता है। यदि सही तरीके से ऊर्जा का भंडारण न हो तो इन स्रोतों से बिजली की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। इस समस्या के समाधान के लिए उन्नत बैटरी स्टोरेज तकनीकों और बड़े पैमाने पर स्टोरेज क्षमता की जरूरत है, जो अभी महंगी और सीमित हैं।

नियम और कानूनी बाधाएं

नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में नियम और कानूनी अस्पष्टता एक बड़ी चुनौती है। उदाहरण के लिए, सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं को कई तरह के कानून का पालन करने की जरूरत होती है, जिनमें भूमि अधिग्रहण, पर्यावरणीय मंजूरी और ग्रिड कनेक्शन जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं। इसके चलते यह प्रक्रिया धीमी और जटिल है, जो परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में रुकावट डाल सकती है। सरकार को इन प्रक्रियाओं को तेज करने के लिए स्पष्ट और समयबद्ध नीतियां बनानी होंगी।

संचालन और रखरखाव की लागत

नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों के लिए संचालन और रखरखाव की लागत भी एक बड़ी चुनौती है। इन प्रणालियों का लंबे समय तक इस्तेमाल करने के लिए नियमित रखरखाव जरूरी है, जिसके चलते खर्च बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए, पवन टरबाइनों (wind turbines) की मरम्मत और सौर पैनलों की सफाई और देखभाल की जरूरत होती है, जिससे अतिरिक्त लागत का सामना करना पड़ता है।

गौरतलब है कि भारत के लिए नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र का विकास न केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देश की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक समृद्धि के लिए भी जरूरी है। 2030 तक 500 GW की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य भारत सरकार ने निर्धारित किया है, लेकिन इसके लिए सरकार को वित्तीय, तकनीकी और नीतिगत चुनौतियों का समाधान करना होगा। उम्मीद की जा रही है कि बजट 2025-26 में इन मुद्दों को ध्यान में रखते हुए नीतियां और प्रोत्साहन दिए जाएंगे, ताकि नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र का सही दिशा में विकास हो सके और भारत अपने ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा कर सके।

First Published - January 25, 2025 | 1:04 PM IST

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