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भारतीयों को 10 मिनट में चाहिए होम डिलीवरी, छोटे दुकानदार की बढ़ रही मुसीबत

Goldman Sachs ने अप्रैल में कहा कि तेज़ डिलीवरी वर्तमान में भारत के 11 बिलियन डॉलर के ऑनलाइन किराना बाजार में से 5 बिलियन डॉलर, यानी 45 प्रतिशत का हिस्सा है।

Last Updated- June 11, 2024 | 12:29 PM IST
Swiggy Vs Zomato
Representative Image

मुंबई के एक मध्यवर्गीय उपनगर में स्विगी (Swiggy) के वेयरहाउस में ऑर्डर डिलीवर करने को लेकर काफी भागमभाग मची हुई है। सॉफ्टबैंक समर्थित स्विगी (Swiggy) के किराना गोदाम के कर्मचारी 10 मिनट के अंदर ऑर्डर डिलीवर करने के लिए समय से मुकाबला कर रहे हैं। साथ ही उनकी स्पीड को ऐप की स्क्रीन पर ट्रैक भी किया जा सकता है और अगर ऑर्डर डिले होता है तो उसक बारे में भी ऐप पर शो हो जाता है।

बाहर भीषण गर्मी में, स्विगी के बाइकर्स, तेजी से पैक किए गए किराना ऑर्डर इकट्ठा कर पास में डिलीवर करते हैं। वहीं, अन्य बाइकर्स वापस आकर अपने ऐप पर असाइन किए गए अगले शिपमेंट को संभालने के लिए तैयार रहते हैं।

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गोदाम प्रबंधक प्रतीक सालुंके ने कहा, “आदर्श रूप से, पूरे (पिकअप) प्रक्रिया को 1 मिनट 30 सेकंड में पूरा करना चाहिए।”

तेजी से खुल रहे Swiggy के गोदाम

इंस्टेंट डिलीवरी सर्विस देने के लिए, स्विगी के गोदाम पूरे भारत में तेजी से खुल रहे हैं, जो दूध और केले से लेकर कंडोम और गुलाब तक सब कुछ मिनटों में डिलीवर कर रहे हैं – यह बिजनेस मॉडल भारतीयों की खरीदारी के तरीके को बदल रहा है।

यह उन लाखों मॉम-एंड-पॉप स्टोर्स (छोटे दुकानदारों) के लिए भी खतरा बन रहा है, जिन्होंने दशकों से उस देश में किराना व्यापार पर प्रभुत्व बनाए रखा है, जहां बड़े सुपरमार्केट अपेक्षाकृत कम हैं और अधिक समृद्ध इलाकों या मॉल में स्थित हैं।

Amazon और वॉलमार्ट के Flipkart के आने से पहले भारतीय लंबे समय तक अपने पास के किराना स्टोर से ही घर का सामान खरीदते थे।
लेकिन अमेरिकी दिग्गज कंपनियां, जो लोकल एरिया में एक ही दिन या अगले दिन डिलीवरी की पेशकश करती हैं, किराना सामान के मामले में स्विगी और उसके प्रतिस्पर्धी ज़ेप्टो और
ज़ोमैटो की ब्लिंकिट जितने तेज़ नहीं हैं, जो “क्विक कॉमर्स” के बूम को आगे बढ़ा रहे हैं।

Goldman Sachs ने अप्रैल में कहा कि तेज़ डिलीवरी वर्तमान में भारत के 11 बिलियन डॉलर के ऑनलाइन किराना बाजार में से 5 बिलियन डॉलर, यानी 45 प्रतिशत का हिस्सा है। गोल्डमैन सैक्स ने यह भी अनुमान लगाया कि जैसे-जैसे खरीदार सुविधा और गति को प्राथमिकता देंगे, क्विक कॉमर्स 2030 तक 60 बिलियन डॉलर के ऑनलाइन किराना बाजार का 70 प्रतिशत हिस्सा बन जाएगा।

आईपीओ के लिए तैयार स्विगी ने 2014 में एक रेस्तरां फूड डिलीवरी व्यवसाय के रूप में शुरुआत की थी और इसकी मूल्यांकन 10 बिलियन डॉलर है। लेकिन अब यह भारत में “अंतिम समय” किराना व्यवसाय पर अधिक दांव लगाने के लिए अपने गियर बदल रहा है, जो चीन और संयुक्त राज्य के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रिटेल बाजार है।
रॉयटर्स की रिपर्ट के मुताबिक, “हम अपने Instamart सेवा के माध्यम से भोजन से कहीं बड़े बाजार पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपनी टीम को प्रशिक्षण दे रहे हैं।”

Swiggy के गोपनीय दस्तावेज के मुताबिक, कंपनी का लक्ष्य “21-35 साल के लोगों को टारगेट करने का है जो ऑनलाइन सुविधा को महत्व देते हैं।”

स्विगी ने दस्तावेज़ या अपनी व्यापक रणनीति पर टिप्पणी के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया।

Swiggy ने बढ़ाई वेयरहाउस की संख्या

कंपनी ने पिछले साल 25 शहरों में अपने वेयरहाउस की संख्या दोगुनी कर 500 कर दी और अप्रैल 2025 से पहले इसे 750 तक बढ़ाने की योजना है। इसकी जानकारी स्विगी के एक वित्तीय निवेशक के एक कार्यकारी ने दी।

क्विक कॉमर्स उछाल के शिकार

क्विक कॉमर्स के उदय का मतलब है कि कई छोटे खुदरा स्टोर दबाव में हैं। मुंबई के उपनगर में किराना दुकान चलाने वाले प्रेम पटेल का व्यवसाय हाल के वर्षों में फल-फूल रहा था, जिससे उन्हें अपनी दुकान को नया रूप देने और एयर कंडीशनिंग लगाने की अनुमति मिली। लेकिन अब वह खुश नहीं हैं।

प्रेम पटेल ने कहा, “कोई भी दूध मॉल्स और सुपरमार्केट से नहीं खरीदता था। यही हमारी विशिष्टता थी। लेकिन इन ऐप्स ने खेल बदल दिया है।” पटेल की दैनिक बिक्री लगभग आधी होकर लगभग 25,000 रुपये ($300) रह गई है।

बिक्री में तगड़ी गिरावट

भारत के चार राज्यों में चार रिटेलर संघों ने, जो देश के अनुमानित 1.3 करोड़ किराना दुकानों में से 90,000 का प्रतिनिधित्व करते हैं, रॉयटर्स को बताया कि क्विक कॉमर्स ऐप्स के बढ़ने के कारण कुछ दुकानों की मासिक बिक्री 10 प्रतिशत से 60 प्रतिशत तक गिर रही है।

हालांकि, कुछ पारंपरिक स्टोर ने खुद को टेक-सेवी के रूप में ढालने की कोशिश शुरू कर दी है।

गुजरात राज्य में एक रिटेल एसोसिएशन के अध्यक्ष हीरेन गांधी ने सदस्यों से आग्रह किया है कि वे व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर ऑर्डर लें और 6.4 किमी (4 मील) के दायरे में तेजी से सामान डिलीवर करें।

ब्लिंकिट दे रहा टक्कर

स्विगी के मुख्य प्रतिद्वंद्वी, ज़ोमैटो, भारत का सबसे बड़ा फूड डिलीवरी व्यवसाय है, लेकिन उसने 2022 में क्विक कॉमर्स कंपनी ब्लिंकिट का अधिग्रहण किया। गोल्डमैन सैक्स ने कहा कि ब्लिंकिट ज़ोमैटो के लिए फूड डिलीवरी से अधिक मूल्यवान है और इस वर्ष $2.7 बिलियन के ऑर्डर प्राप्त करने का अनुमान है, जो पिछले साल के अनुमान से लगभग 60 प्रतिशत अधिक है।

First Published - June 11, 2024 | 12:29 PM IST

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