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11 में से 6 सरकारी बैंकों में चेयरमैन पद खाली

सरकारी बैंकों में चेयरमैन के पद खाली होने के मसले को रिजर्व बैंक के गवर्नर के साथ सरकारी बैंकों के बोर्ड सदस्यों के साथ पिछले माह हुई बैठक में उठाया गया था।

Last Updated- June 22, 2023 | 11:55 PM IST
भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के बदलते आयाम, Banking Credit: Changing Dimensions of the Indian Banking Sector

भारतीय रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों के बेहतर प्रशासन पर जोर दे रहा है, वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के 11 बैंकों में से 6 में गैर कार्यकारी चेयरमैन के पद खाली हैं। इनमें से कुछ बैंकों में 2 साल से ज्यादा समय से पद रिक्त पड़े हैं। यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, इंडियन बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में गैर कार्यकारी चेयरमैन नहीं हैं।

यूको बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 2015 में चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (एमडी) पद अलग किए जाने के बाद से ही अंशकालिक चेयरमैन नहीं बनाए गए हैं। ज्यादातर सरकारी बैंकों में स्वतंत्र निदेशकों की संख्या भी पर्याप्त नहीं है। ज्यादातर बैंकों में बोर्ड के सदस्यों में एमडी और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) और कार्यकारी निदेशक (ईडी) शामिल हैं।

कुछ बैंकों में 3 या 4 ईडी, रिजर्व बैंक और सरकार द्वारा नामित निदेशक, शेयरधारक निदेशक और एक या कुछ मामलों में 2 स्वतंत्र निदेशक हैं। सरकारी बैंकों में चेयरमैन के पद खाली होने के मसले को रिजर्व बैंक के गवर्नर के साथ सरकारी बैंकों के बोर्ड सदस्यों के साथ पिछले माह हुई बैठक में उठाया गया था।

अपनी तरह की पहली कवायद के तहत रिजर्व बैंक के गवर्नर और वरिष्ठ प्रबंधन ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैकों के सभी बोर्ड सदस्यों से मई में अलग-अलग मुलाकात की थी। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि उन्होंने बैंकों के निदेशक मंडल से नियामक से अपेक्षाओं को जानने का अवसर दिया और व्यक्तिगत निदेशकों की बहुआयामी जिम्मेदारियों के बारे में बताया।

जहाज के कैप्टन से बैंक के चेयरपर्सन की भूमिका की तुलना करते हुए दास ने कहा, ‘चेयरपर्सन को बोर्ड की चर्चा और कार्यों को सही दिशा में ले जाने में सक्षम होने के लिए अपेक्षित अनुभव, दक्षताएं और व्यक्तिगत गुण होने चाहिए।’
दास ने यह भी कहा कि बोर्ड का व्यापक मकसद बैंक स्पष्ट और स्थिर दिशा देना है।

उन्होंने कहा, ‘बोर्ड का यह दायित्व है कि वह सुनिश्चित करे कि बैंक की प्रक्रिया और व्यवस्था से प्रभावी निर्णय करने की क्षमता विकसित हो, बेहतर प्रशासन हो।’

बैंकरों ने निदेशकों खासकर एमडी और सीईओ की देयताओं का मसला भी उठाया और कहा कि सरकारी बैंको के प्रमुखों को मिलने वाला पारिश्रमिक उनके निजी क्षेत्र के समकक्षों की तुलना में कम है। बैंकरों ने कहा कि रिजर्व बैंक के अधिकारी पारिश्रमिक के मसले पर सहमत हैं, लेकिन कहा कि इस तरह के मसलों पर सरकार द्वारा फैसला किया जाता है।

First Published - June 22, 2023 | 10:42 PM IST

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