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Bond yields: बॉन्ड प्रतिफल पर दबाव बने रहने के आसार

बॉन्ड प्रतिफल में ताजा वृद्धि अमेरिकी अर्थव्यवस्था से संबंधित कुछ खास घटनाओं और कुछ तकनीकी कारकों की वजह से आई है

Last Updated- August 21, 2023 | 10:20 PM IST
'Bond yields could stay under pressure over the next 6 months'

अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक के हाल में जारी निष्कर्ष, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और घरेलू स्तर पर बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति ने बाजार धारणा को कमजोर किया है। एसबीआई म्युचुअल फंड में फिक्स्ड इनकम के मुख्य निवेश अ​धिकारी राजीव राधाकृष्णन ने एक ईमेल साक्षात्कार में पुनीत वाधवा को बताया कि मौजूदा समय में, शुद्ध ऋण स्कीम की तुलना में मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड खुदरा निवेशकों के लिए लोकप्रिय बने हुए हैं। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

क्या बॉन्ड बाजारों को नियंत्रित करने के लिए वै​श्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा ज्यादा ठोस कदम उठाए जा सकते हैं?

बॉन्ड प्रतिफल में ताजा वृद्धि अमेरिकी अर्थव्यवस्था से संबंधित कुछ खास घटनाओं और कुछ तकनीकी कारकों की वजह से आई है। एक प्रमुख कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी कम होने की बढ़ती संभावना है। इसका मतलब यह है कि मुद्रास्फीति कम हो रही है, अर्थव्यवस्था अभी भी काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही है और नौकरियां बरकरार हैं। इस वजह से, इसकी संभावना कम है कि फेडरल रिजर्व को मौद्रिक नीतियों को आसान बनाने के उपायों को जल्दी से लागू करने की आवश्यकता होगी।

इसके अलावा, कुछ अन्य चीजें भी हुई हैं। अमेरिकी सरकार ज्यादा बॉन्ड जारी कर रही है, और यह भी संभावना है कि जापान अपनी सामान्य मौद्रिक नीतियों पर लौटना शुरू कर सकता है, जो अमेरिकी बॉन्ड में उसके निवेश को प्रभावित कर सकता है। गौर करने वाली बात यह है कि जापान अमेरिकी बॉन्ड में बहुत ज्यादा निवेश करता रहा है। बाजार बिना किसी बड़ी समस्या के इन नए बदलावों का आदी हो रहा है, इसलिए केंद्रीय बैंकों को अभी किसी योजना पर मिलकर काम करने की कोई ज़रूरत नहीं है।

अगले 3 से 6 महीनों में प्रतिफल पर आपका नजरिया क्या है?

जब बॉन्ड प्रतिफल बढ़ने की उम्मीद हो, तो निवेश पोर्टफोलियो में कम अवधि के निवेश और पर्याप्त पैसा होना महत्वपूर्ण है। अगले छह महीनों में, रोजमर्रा की वस्तुओं की ऊंची कीमतों (मुद्रास्फीति) के कारण देश के भीतर बॉन्ड प्रतिफल पर थोड़ा दबाव बढ़ सकता है। भले ही यह आंशिक रूप से खाद्य कीमतों के कारण है लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वित्त वर्ष 2024 के लिए औसत मुद्रास्फीति अभी भी 5.4 फीसदी के आसपास रहने का अनुमान है। इसके बावजूद इस दौरान अर्थव्यवस्था के अपेक्षाकृत मजबूत रहने की उम्मीद है। केंद्रीय बैंक का लक्ष्य मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत के करीब लाना है, लेकिन क्योंकि मुद्रास्फीति ज्यादा बार और बड़ी मात्रा में बढ़ रही है, उन्हें धन और तरलता को नियंत्रित करने वाली नीतियों को सख्त रखने की जरूरत पड़ सकती है।

क्या आरबीआई मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए अप्रत्याशित कदम उठा सकता है?

निकट अवधि में, आरबीआई से अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त धन का प्रबंधन जारी रखने की उम्मीद है। वे इस उद्देश्य के लिए वृद्धिशील नकदीआरक्षी अनुपात (सीआरआर) का उपयोग कर रहे हैं। साथ ही, इस बात की भी थोड़ी संभावना है कि वे ब्याज दरों में थोड़ी वृद्धि कर सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि अर्थव्यवस्था अभी भी काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही है, और 4 प्रतिशत की अपेक्षित मुद्रास्फीति और वास्तविक मुद्रास्फीति के बीच उल्लेखनीय अंतर है। कुल मिलाकर, यह संभावना है कि इन परिस्थितियों में धन और बैंकिंग से संबंधित नियम कुछ समय के लिए सख्त बने रहेंगे।

रुपया और कितना नीचे जा सकता है?

अगर दुनियाभर में अमेरिकी डॉलर मजबूत होता है तो अल्पाव​धि में रुपये में गिरावट जारी रह सकती है। केंद्रीय बैंक संभवतः रुपये के मूल्य में बड़े उतार-चढ़ाव को समायोजित करता रहेगा, जिससे मुद्रा की स्थिति के हालिया रुझानों पर नजर रखी जा सकेगी। लेकिन इन तकनीकी चीजों के अलावा, रुपया अच्छा प्रदर्शन कर रहा है क्योंकि हाल ही में समग्र आर्थिक स्थिरता ध्यान देने योग्य है। हमारा अनुमान है कि अगले साल रुपये की वैल्यू थोड़ा बढ़ सकती है।

क्या निवेशक जिंस कीमतें बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं?

खाद्य कीमतों और कच्चे तेल की कीमतों दोनों पर नजर रखें। हालांकि विकसित बाज़ारों में सुधार होता दिख रहा है और उनमें हल्की आर्थिक मंदी हो सकती है, चीन की आर्थिक स्थिति के कारण जिंस की कीमतें कम हो सकती हैं। यदि चीन अपनी मौद्रिक नीतियों को आसान बनाने का विकल्प चुनता है, तो यह कुछ समय के लिए जिंस कीमतों को बहुत अधिक गिरने से रोक सकता है।

क्या निवेशकों को हाइब्रिड योजनाओं में अधिक निवेश की उम्मीद दिख रही है?

ये योजनाएं अभी भी उन निवेशकों के लिए आकर्षक हैं जो सुरक्षित विकल्प पसंद करते हैं। जो लोग कुछ हद तक जोखिम लेना पसंद करते हैं, वे अपना पैसा संतुलित तरीके से डेट और इक्विटी के मिश्रण में लगा रहे हैं। यह मिश्रण उन्हें समय के साथ धीरे-धीरे वृद्धि दे सकता है, भले ही उन्हें सभी कर लाभ न मिलें। ऐसे फंड जो अपने निवेश को विभिन्न प्रकार की परिसंप​त्तियों में लगाते हैं और शेयरों में लगभग 35 प्रतिशत रखते हैं, वे भी नियमित निवेशकों के लिए एक अच्छा विकल्प हैं, खासकर उन विकल्पों की तुलना में जो केवल सुरक्षित डेट निवेश पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

First Published - August 21, 2023 | 10:20 PM IST

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