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Value Fund 2020 से दे रहे बढ़िया रिटर्न, बिना प्लानिंग पैसा लगाना खतरे की घंटी; जानें निवेश से पहले किन बातों का रखें ध्यान

निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिए कुछ निवेश वैल्यू फंडों में भी करना चाहिए क्योंकि इनका झुकाव अक्सर ग्रोथ फंड की ओर होता है।

Last Updated- April 11, 2025 | 7:28 AM IST
Mutual Fund

वैल्यू फंड का प्रदर्शन 2020 से ही अच्छा रहा है। मगर निवेशकों को लघु अवधि में इसी तरह के फायदे की उम्मीद के साथ इन फंडों में निवेश नहीं करना चाहिए। इसके बजाय उन्हें अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिए कुछ निवेश वैल्यू फंडों में भी करना चाहिए क्योंकि इनका झुकाव अक्सर ग्रोथ फंड की ओर होता है।

फंड की रणनीति

वैल्यू फंड उन शेयरों में निवेश करते हैं जो अपने वास्तविक मूल्य से नीचे कारोबार कर रहे होते हैं। महिंद्रा मनुलाइफ म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी (इक्विटी) कृष्ण सांघवी ने कहा, ‘किसी शेयर के मूल्य में अक्सर उतार-चढ़ाव होता रहता है और तमाम कारकों के प्रभाव से वह अपने वास्तविक मूल्य से नीचे चला जाता है। मूल्य में इसी अंतर पर वैल्यू फंड की नजर होती है और उसका फायदा उठाना ही फंड मैनेजर का लक्ष्य होता है।’ महिंद्रा मनुलाइफ म्युचुअल फंड ने हाल में इस श्रेणी में एक नया फंड लॉन्च किया है।

वैल्यू फंड के फंड मैनेजरों का मानना है कि कम मूल्यांकन एक अस्थायी मामला है और थोड़े समय में बाद उसमें सुधार होगा। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड के वरिष्ठ फंड मैनेजर इहाब दलवई ने कहा, ‘बाजार धारणा अथवा क्षेत्र विशेष के कमजोर प्रदर्शन जैसे गैर-बुनियादी कारणों से इन शेयरों के मूल्यांकन में अस्थायी नरमी हो सकती है।

वैल्यू फंड मैनेजर प्राइस टू अर्निंग (पी/ई), प्राइस टू बुक (पी/बी) और लाभांश यील्ड जैसे मानदंडों पर भरोसा करते हैं। वे मूल्यांकन के मौजूदा स्तर की तुलना ऐतिहासिक औसत से करते हैं। वे वास्तविक मूल्य की भी गणना करते हैं और उसकी तुलना मौजूदा भाव से करते हैं।

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आय वृद्धि से लाभ

आकर्षक मूल्यांकन पर निवेश करते हुए फंड मैनेजर दोहरा लाभ कमाते हैं। सांघवी ने कहा, ‘इन फंडों को आय में वृद्धि का लाभ मिलने के साथ-साथ कारोबार की नई रेटिंग से भी फायदा होता है।’

वैल्यू फंड उन शेयरों में निवेश करते हैं जहां सुरक्षा की एक गुंजाइश रहती है। बड़ौदा बीएनपी पारिबा म्युचुअल फंड के वरिष्ठ फंड मैनेजर (इक्विटी) शिव चनानी ने कहा, ‘इससे पोर्टफोलियो के जोखिम प्रोफाइल को कम करने और बेहतर जोखिम-समायोजित रिटर्न प्रदान करने में मदद मिलती है।’

वैल्यू फंड पोर्टफोलियो को विविध बनाने में भी मदद करते हैं। दलवई ने कहा, ‘इसमें उन क्षेत्रों के शेयर शामिल होते हैं जिनका प्रतिनिधित्व आम तौर पर ग्रोथ-हैवी पोर्टफोलियो में कम होता है।’

वैल्यू ट्रैप से रहें सावधान

इन फंडों में निवेश करने का सबसे बड़ा जोखिम वैल्यू ट्रैप में फंसना है। दलवई ने कहा, ‘ये ऐसे शेयर हो सकते हैं जिनका मूल्यांकन किसी कारण से कम हो। उदाहरण के लिए, कारोबार की बुनियादी बातों में गिरावट के कारण मूल्यांकन में कमी।’

निप्पॉन इंडिया म्युचुअल फंड के प्रमुख (उत्पाद) राजेश जयरामन ने कहा कि तकनीकी व्यवधान भी आपको वैल्यू ट्रैप में फंसा सकते हैं। कम मूल्यांकन वाले शेयरों को रिटर्न देने में समय लग सकता है। फंड्सइंडिया के प्रमुख (अनुसंधान) अरुण कुमार ने कहा कि 2016 से 2019 तक वैल्यू फंडों ने काफी संघर्ष किया है।

बाजार में तेजी के दौरान ये फंड पिछड़ सकते हैं क्योंकि ऐसा बाजार ग्रोथ स्टॉक के लिए अनुकूल होता है। चनानी ने कहा कि ऐसा हो सकता है कि इन फंड को हाई-ग्रोथ के उभरते रुझान में फायदा न मिले।

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कब करें निवेश?

हालिया बढ़त के बावजूद फंड मैनेजरों को इन फंडों में अवसर दिख रहा है। जयरामन ने कहा, ‘वैल्यू फंडों की मोलभाव वाली खरीद रणनीति के लिए क्षेत्रवार परिवर्तन और वृहद बदलाव के दौरान अवसर दिख सकता है।’

इन बातों का रखें ध्यान

बाजार के मौजूदा मूल्यांकन को देखते हुए जयरामन ने निवेशकों को सलाह दी है कि वे वैल्यू फंड में निवेश को लंबी अवधि तक बरकरार रखें। कई बार वास्तविक मूल्यांकन पर पहुंचने में उम्मीद से अधिक समय लग सकता है। सांघवी ने कहा, ‘निवेशकों को इन फंडों का पूरा लाभ उठाने के लिए धैर्य रखना चाहिए।’

निवेश का समय भी काफी मायने रखता है। कुमार ने निवेश रणनीति में विविधता लाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि निवेश करते समय गुणवत्ता, मूल्य, उचित मूल्य पर वृद्धि, स्मॉलकैप एवं मिडकैप और वैश्विक फंड आदि पर गौर करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘ऐसा करने से आपके पोर्टफोलियो में हमेशा रिटर्न सुनिश्चित होगा क्योंकि हर समय किसी न किसी शैली का प्रदर्शन बेहतर रहता है।’

वैल्यू इंडेक्स पर आधारित फैक्टर फंड उपलब्ध हैं मगर विशेषज्ञ ऐक्टिव फंड में निवेश की सलाह देते हैं। कुमार ने कहा, ‘ऐक्टिव फंड मैनेजर अस्थायी रूप से कम मूल्य वाले शेयरों और ढांचागत समस्या वाले शेयरों के बीच अंतर कर सकते हैं।’ आखिर में निवेश करते समय फंड मैनेजर के ट्रैक रिकॉर्ड पर गौर करें।

दलवई ने कहा, ‘सुनिश्चित करें कि फंड मैनेजर के पास ऐसे फंडों को प्रभावी तरीके से प्रबंधित करने का अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड हो।’ उन्होंने कहा कि निवेश से पहले पोर्टफोलियो की समीक्षा करना जरूरी है क्योंकि इससे पता चल सकेगा कि इसमें दमदार बुनियादी स्थिति वाले शेयर शामिल या नहीं और आप वैल्यू ट्रैप में फंसने से बच सकते हैं।

First Published - April 11, 2025 | 7:28 AM IST

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