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Agnibaan rocket: अग्निकुल कॉसमॉस ने लॉन्च किया अग्निबाण रॉकेट, रचा इतिहास

Agnibaan rocket: चेन्नई स्थित स्पेस स्टार्टअप अग्निकुल कॉसमॉस ने सुबह 7.15 बजे श्रीहरिकोटा से एकल-चरण प्रौद्योगिकी प्रदर्शक रॉकेट - "अग्निबान SOrTeD" - को लॉन्च किया।

Last Updated- May 30, 2024 | 5:23 PM IST
Agnibaan rocket
Photo: X@AgnikulCosmos

भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में गुरुवार को इतिहास रच दिया! देश के दूसरे निजी तौर पर बनाए गए रॉकेट का पहले निजी लॉन्चपैड से लॉन्च किया गया। यह खास है क्योंकि ये रॉकेट गैस और तरल ईंधन के मिश्रण का उपयोग करने वाला पहला भारतीय रॉकेट है। चेन्नई स्थित स्पेस स्टार्टअप अग्निकुल कॉसमॉस ने सुबह 7.15 बजे श्रीहरिकोटा से एकल-चरण प्रौद्योगिकी प्रदर्शक रॉकेट – “अग्निबान SOrTeD” – को लॉन्च किया।

SOrTeD दुनिया के पहले सिंगल-पीस 3D प्रिंटेड इंजन का उपयोग करता है, जिसे स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है। गौरतलब है कि कंपनी ने कुछ दिन पहले ही अपने पहले रॉकेट के टेस्ट फ्लाइट को लॉन्च से कुछ सेकंड पहले रद्द कर दिया था। यह पिछले तीन महीनों में चौथा ऐसा रद्दीकरण था।

यह लॉन्च ऐतिहासिक इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अभी तक एक सेमी-क्रायोजेनिक इंजन को सफलतापूर्वक नहीं उड़ा पाया है, जिसमें ईंधन के रूप में तरल और गैस के मिश्रण का उपयोग किया जाता है।

भारतीय अंतरिक्ष संघ (इसपा) के महानिदेशक एके भट्ट ने कहा, ‘अग्निकुल ने आज जो हासिल किया है, वह 1963 में थुम्बा लॉन्च स्टेशन से भारत द्वारा अपने पहले रॉकेट के लॉन्च के बाद से एक ऐतिहासिक उपलब्धि से कम नहीं है। यह भारत के फलते निजी अंतरिक्ष उद्योग के लिए एक बहुत बड़ा उत्साहवर्धन और गर्व का क्षण है और यह भविष्य में हमारे लिए क्या रखता है, इसकी सिर्फ एक झलक है। हमारी हार्दिक बधाई इस पूरे अभियान के पीछे की टीम को और उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं!’

उन्होंने आगे कहा, ‘हाल ही में इन-स्पेस (IN-SPACe) द्वारा भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 के कार्यान्वयन के लिए जारी किए गए दिशानिर्देशों और नए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नियमों के साथ मिलकर यह महत्वपूर्ण लॉन्च भारत के निजी अंतरिक्ष उद्योग और उसकी बढ़ती क्षमताओं में वैश्विक विश्वास को मजबूत करेगा।’

अग्निबान रॉकेट एक ऐसा दो-चरणीय लॉन्च वाहन है जो कस्टमाइजबल है। यह करीब 700 किलोमीटर की ऊंचाई पर कक्षा में 300 किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकता है, कंपनी ने यह जानकारी दी है। रिपोर्टों की मानें तो इसकी तुलना स्पेसएक्स के फाल्कन हैवी से की जा सकती है जो कम ऊंचाई वाली कक्षा में 63,500 किलोग्राम वजन ले जा सकता है।

पिछले साल नवंबर 2022 में ही एक निजी कंपनी, स्काईरूट एयरोस्पेस ने सफलतापूर्वक लॉन्च वाहन विक्रम-एस को डेवलप और संचालित किया था।

अग्निकुल की स्थापना 2017 में श्रीनाथ रविचंद्रन, मोइन एसपीएम और आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर एसआर चक्रवर्ती द्वारा की गई थी। दिसंबर 2020 में यह भारत की पहली ऐसी कंपनी बनी जिसने इसरो के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इन-स्पेस पहल के तहत हुए इस एडवांस समझौते ने अग्निकुल को इसरो की विशेषज्ञता और अत्याधुनिक सुविधाओं तक अभूतपूर्व पहुंच प्रदान की। यह कंपनी भारत के सबसे अधिक फंडेड अंतरिक्ष स्टार्टअप में से एक है और अब तक $42 मिलियन जुटा चुकी है।

First Published - May 30, 2024 | 5:23 PM IST

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