केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को उद्योग जगत से कहा कि वे साहसी बनें और समर्थन के लिए सरकार पर निर्भर रहने के बजाय प्रतिस्पर्धी बनने पर ध्यान दें। आईएमसी चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में गोयल ने पूछा कि उद्योग कब तक सब्सिडी, उच्च आयात शुल्क और अन्य समान संरक्षणवादी उपायों की ‘‘बैसाखियों’’ पर निर्भर रहेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हम कब तक सरकार की ओर (समर्थन के लिए) देखते रहेंगे? या, कब तक हम सब्सिडी और समर्थन, प्रोत्साहन, उच्च आयात शुल्क, संरक्षणवादी मानसिकता और विश्व के साथ अपने संबंधों में अत्यधिक रक्षात्मक होने की बैसाखी पर जीत हासिल करते रहेंगे?’’ गोयल ने कहा, ‘‘हमें एक राष्ट्र के रूप में इस संरक्षणवादी मानसिकता और कमजोर सोच से बाहर निकलने का फैसला करना होगा।’’
उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि क्या माइकल पोर्टर का प्रतिस्पर्धात्मक लाभ पर किया मौलिक कार्य केवल तब तक प्रासंगिक है जब तक उद्योग के नेता व्यापार स्कूलों में हैं। मंत्री ने स्पष्ट किया कि प्रतिस्पर्धात्मकता उद्योग की नवप्रवर्तन, विनिर्माण पद्धतियों, कौशल और दक्षताओं के उन्नयन की क्षमता से आएगी। उन्होंने कहा, ‘‘जब तक हम प्रतिस्पर्धी नहीं बनेंगे, 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाएं सफल नहीं होंगी और हम विकसित देश बनने का लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएंगे।’’
गोयल ने कहा कि जब तक देश व्यापार के माध्यम से विश्व के साथ अपनी भागीदारी बढ़ाने पर ध्यान नहीं देगा, तब तक वह विकसित राष्ट्र नहीं बन सकता। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ क्षेत्रों में अपवाद होंगे जहां देश वास्तव में आयात पर निर्भर है, जैसे तेल, रक्षा और खाद्य। कार्यक्रम में देर से पहुंचे गोयल ने कहा कि पिछले 10 दिन से वह थोड़ा भी आराम नहीं कर पाए हैं, क्योंकि वह ‘‘अशांत वैश्विक स्थिति’’ का सामना कर रहे हैं। उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि वह ‘‘विभिन्न गतिविधियों’’ के कारण ‘‘आधे मरे हुए’’ हैं।
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार मोर्चे पर नीतिगत कदमों के बाद, दुनिया भर के देशों में गहन विचार-विमर्श शुरू हो गया है। वहीं देश ने पिछले कुछ दिन में भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते सहित अन्य मुद्दों पर बातचीत फिर से शुरू हुई है। गोयल ने कहा कि गुणवत्ता, भारत के लिए लंबे समय से चुनौती रही है और औषधि जैसे क्षेत्रों में, आवश्यक वैश्विक मंजूरी प्राप्त बड़ी कंपनियों को सामूहिक लाभ के लिए गुणवत्ता के मामले में छोटी कंपनियों की मदद करनी चाहिए।
उन्होंने उद्योग से ऐसे आदेशों को चुनौती देने के बजाय गुणवत्ता मानकों को अपनाने के लिए कहा। मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में ‘मेक इन इंडिया’ जैसी अनेक पहलों ने सामूहिक रूप से देश की मानसिकता का निर्माण किया है। देश अब विश्व व्यापार में बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है।