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LLPs के ऑडिट मानकों पर मंथन, NFRA की 25 नवंबर को अहम बैठक

दरअसल एलएलपी में 'कॉरपोरेट ढांचा' के साथ साथ 'साझेदारी फर्म का ढांचा' भी होता है। इसलिए इन्हें कंपनी और साझेदारी का हाइब्रिड कहा जाता है।

Last Updated- November 10, 2024 | 9:44 PM IST
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राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) ने सीमित देयता प्रतिबद्धता (एलएलपी) के लिए लेखापरीक्षा मानदंडों पर विचार के लिए अपने बोर्ड के सदस्यों की बैठक 25 नवंबर को बुलाई है। यह जानकारी सूत्रों ने दी।

इस बैठक में इंस्टीट्यृट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटे्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। आईसीएआई ने ही एलएलपी के वित्तीय लेखा-जोखा के लिए गाइडेंस नोट का प्रारूप तैयार किया था। इस बैठक के बाद दो दिवसीय बैठक सोमवार और मंगलवार को होनी है।

यह बैठक सोमवार और मंगलवार को आयोजित दो दिवसीय बोर्ड बैठक के बाद होगी, जिसमें लेखापरीक्षा मानकों 600 (एसए 600) में अंतरराष्ट्रीय मानकों (आईएसए 600) के अनुरूप प्रस्तावित संशोधनों पर सदस्यों के विचार लिए जाएंगे।

हर एलएलपी के खाते का ऑडिट एलएलपी नियम 2009 के नियम 24 के तहत किया जाता है। इन नियमों के प्रावधान के अनुसार उन एलएलपी को अपने खातों का ऑडिट कराने की आवश्यकता नहीं है जिनका टर्नओवर किसी भी वित्तीय वर्ष में 40 लाख रुपये से अधिक न हो या जिनका योगदान 25 लाख रुपये से अधिक न हो।

हालांकि अगर ऐसे एलएलपी के साझेदार अपने खातों का ऑडिट चाहते हैं तो इन खातों का ऑडिट केवल उक्त नियम के अनुरूप होगा। एलएलपी कॉरपोरेट व्यवसाय के लिए एक रास्ता प्रदान करते हैं इसलिए अक्सर इकाइयां को यह पसंद होते हैं। यह किसी भी कंपनी को सीमित देनदारी और साझेदारी कर सकने के लचीलेपन का लाभ देते हैं।

दरअसल एलएलपी में ‘कॉरपोरेट ढांचा’ के साथ साथ ‘साझेदारी फर्म का ढांचा’ भी होता है। इसलिए इन्हें कंपनी और साझेदारी का हाइब्रिड कहा जाता है।

First Published - November 10, 2024 | 9:44 PM IST

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