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5G लागू करने में उत्तरी अमेरिका से आगे निकल जाएगा भारत – बोर्जे एखलोम

Last Updated- March 16, 2023 | 11:15 PM IST
India will overtake North America in 5G implementation - Borje Ekhlom
BS

देश में दूरसंचार कंपनियों के प्रमुख उपकरण आपूर्तिकर्ताओं में शुमार एरिक्सन (Ericsson) के मुख्य कार्या​धिकारी बोर्जे एखलोम (Borje Ekhlom) ने सुरजीत दास गुप्ता के साथ एक खास बातचीत में 5G के संबंध में भारत के प्रयास पर चर्चा की। संपादित अंश …

भारत ने भले ही 5G की शुरुआत करने में कुछ देर की हो, लेकिन एरिक्सन के लिहाज से, जो रिलायंस जियो (Reliance Jio) और भारती एयरटेल (Bharti Airtel) दोनों की तथा दुनिया भर में कई दूरसंचार कंपनियों की विक्रेता है, क्या आप हमें दुनिया के साथ चलते देख रहे हैं?

4G की एक तरह से 5G के साथ तुलना में भारत वास्तव में नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है और निश्चित रूप से इसकी वजह है डेटा ट्रैफिक में इजाफा। डेटा उपयोग शायद 20 गीगाबिट प्रति माह से अ​धिक है, शायद अब 25 गीगाबिट है। और प्रति वर्ष 30 प्रतिशत बढ़ रहा है।

यूरोप में यह प्रति माह लगभग 15 गीगाबिट है। देश में 5G के लागू होने की रफ्तार के मद्देनजर मैं कहूंगा कि पिछले साल के अंत तक यह लगभग यूरोप के स्तर पर था। और अब शायद उससे आगे है तथा मुझे विश्वास है कि इस वर्ष के मध्य तक यह उत्तरी अमेरिका के समान स्तर पर होगा और वर्ष के अंत तक उनसे भी काफी आगे होने की संभावना है।

तो इसे तीव्रता से लागू करने वाले चरण का वैश्विक मंच पर भारत के लिए क्या अर्थ होगा?

इस तैनाती की रफ्तार फलीभूत होगी। 4G में शायद भारत थोड़ा पीछे रह गया क्योंकि यह वास्तव में पहले उत्तरी अमेरिका और चीन में शुरू किया गया था। इसलिए इन देशों ने बड़े स्तर पर पहला डिजिटल बुनियादी ढांचा बनाया और वे आगे रहे। इसलिए यह आश्चर्य की बात नहीं है कि उपभोक्ताओं के लिए बड़ी टेक कंपनियां, जो मुख्य रूप से स्मार्टफोन को डिजिटल करती हैं, यहां से मेटा या गूगल की तरह रहीं और उन्होंने वहां नौकरियां पैदा कीं।

अब 5G के साथ, जब हम भविष्य की उपभोक्ता एप्लीकेशनों और उद्यम डिजिटलीकरण के लिए अगला कदम उठाते हैं, तो मुझे भारत में वास्तव में उन एप्लीकेशनों को विकसित करने का बड़ा अवसर नजर आता है क्योंकि अब आपके पास बुनियादी ढांचा है, बहुत से अच्छे इंजीनियर हैं, आपके पास उद्यम पूंजी है, आपके पास उद्यमशीलता है। भारत 5G आधारित एप्लीकेशनों के लिए वैश्विक केंद्र बन सकता है।

भारत में आप नॉन स्टैंड अलोन (भारती एयरटेल) और स्टैंड अलोन (रिलायंस जियो) 5G तकनीक दोनों को लागू कर रहे हैं। वै​श्विक स्तर पर इस बात पर काफी बहस होती है कि किस राह पर जाएं और कौन-सी राह अधिक कारगर है। आपका क्या विचार है?

आखिरकार हमें स्टैंडअलोन होने की जरूरत होगी। दूरसंचार कंपनियां अलग-अलग रास्ते अपना रही हैं और मैं उनकी पसंद का मूल्यांकन नहीं करूंगा, हम दोनों में निवेश कर रहे हैं, लेकिन कुल मिलाकर मुझे लगता है कि आ​खिर में आप केवल स्टैंडअलोन को ही देखेंगे। वर्तमान में दुनिया भर में 5G के 240 नेटवर्क हैं और 20 स्टैंडअलोन हैं। मुझे लगता है कि हम आने वाले 12 से 18 महीनों के स्टैंडअलोन नेटवर्क में तेजी से वृद्धि देखेंगे।

ओपन रेडियो एक्सेस नेटवर्क (ओआरएएन) के संबंध में एरिक्सन जरा भी उत्साहित नहीं है। ऐसा क्यों?

ओपन आरएएन के मानकों में हमारा सबसे बड़ा योगदान है। इसलिए अगर आपको लगता है कि हम निष्क्रिय हैं, तो हम वास्तव में इसमें भारी निवेश कर रहे हैं, क्योंकि हम हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के विभाजन में विश्वास करते हैं।

5G से कमाई बड़ा मसला दिख रहा है। तो क्या 5G सेवाओं को पेश करने या प्रतीक्षा करने का कोई मतलब है?

अगर आप कहते हैं कि उपयोग के मामले नहीं हैं, तो वे बुनियादी ढांचे को स्थापित किए बिना कभी नहीं आएंगे। और पहले शुरुआत करने वाली कंपनियां ऐतिहासिक रूप से हमेशा अधिकांश मूल्य हासिल कर लेंगे। इतिहास ने यह साबित किया है कि जब आप बुनियादी ढांचे का निर्माण करते हैं, तभी एप्लीकेशन आती हैं।

आपने अपने कर्मचारियों की संख्या में वै​श्विक स्तर पर 8,500 की कमी करने की घोषणा की है, जो काफी बड़ी है। क्या इसका असर भारत पर पड़ेगा?

वास्तविकता यह है कि हम कुछ अक्षम हो गए थे। हमारे मामले में भारत तेजी से विकास कर रहा है। तो, आप शायद इससे कुछ अनुमान लगा सकते हैं।

First Published - March 16, 2023 | 9:58 PM IST

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