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बदलाव के दौर से गुजर रहा भारत का तांबा उद्योग, नई कंपनियों की राह आसान

विश्लेषकों का कहना है कि कच्चे माल का आयात, वा​णि​ज्यिक उपयोगिता और क्षमता सुधार से तांबा उद्योग की चाल निर्धारित होगी

Last Updated- March 03, 2024 | 9:54 PM IST
Zinc

बढ़ते आयात की समस्या से जूझ रहे भारत के तांबा उद्योग को बाजार परिदृश्य में बदलाव की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि नई कंपनियां क्षमता शुरू करने की तैयारी कर रही हैं जबकि पुरानी कंपनियां कानूनी अड़चनों में फंसी हुई हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इस सबके बीच कच्चे माल के आयात, वा​णि​ज्यिक व्यवहार्यता और क्षमता सुधार पर नजर लगी रहेगी।

पिछले सप्ताह सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु के थुथुकुडी में कॉपर स्मेल्टर संयंत्र फिर शुरू करने के लिए वेदांत समूह का अनुरोध को खारिज कर दिया था। यह निर्णय ऐसे समय आया है जब भारत का तांबा आयात बढ़ रहा है और नई कंपनी- अदाणी- परिचालन शुरू करने की तैयारी कर रही है।

वेदांत की स्टरलाइट कॉपर ने गुरुवार को कहा, ‘हम सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। एक बार हमारी कानूनी इसे टीम देख-समझ ले, उसके बाद ही अगले कदम पर विचार किया जाएगा।’ कंपनी के संबं​धित अ​​धिकारियों ने कहा कि उनके पास अबी तक बताने के लिए कुछ भी नहीं है।

400 किलो टन सालाना क्षमता की तमिलनाडु इकाई के अलावा वेदांत के पास तांबा व्यवसाय में अपनी मौजूदगी के तौर पर काफी कम उप​स्थिति है। सिलवासा में कंपनी की 216 किलो टन सालाना क्षमता है और वेदांत रिसोर्सेज की जा​म्बिया की कोंकोला कॉपर माइंस में भी बड़ी हिस्सेदारी है।

किंग स्टब ऐंड कसीवा, एडवोकेट्स ऐंड अटॉर्नीज के मैनेजिंग पार्टनर जिदेश कुमार ने कहा, ‘यह निष्कर्ष नहीं है, सर्वोच्च न्यायालय ने कुछ चिंताओं की तरफ साफ इशारा किया है। जब ये चिंताएं दूर हो जांएगी तो बहुत संभावना है कि न्यायालय अन्य याचिका पर अनुमति दे देगा। इससे संकेत मिलता है कि यह सही दिशा में चल रही प्रक्रिया की तरफ एक कदम है।’

उद्योग के एक विश्लेषक के अनुसार, हालांकि यह आसान नहीं होगा। उन्होंने नाम नहीं छापे जाने के अनुरोध के साथ कहा, ‘स्टरलाइट कॉपर का संयंत्र अगर फिर से खुलने की संभावना बनती है तो पर्यावरण अनुपालन और वा​णि​ज्यिक व्यवहार्यता सुनि​श्चित करने से जुड़ी लागत पर ध्यान देना जरूरी होगा।’

हालांकि स्टरलाइट को अपनी क्षमता फिर से खुलवाने के लिए जूझना पड़ रहा है, लेकिन बाजार में प्रवेश करने वाली सबसे नई कंपनी अदाणी की कच्छ कॉपर अपना पहला चरण चालू करने की तैयारी कर रही है। इससे पहले हिंडाल्को इंडस्ट्रीज और वेदांत दो प्रमुख उत्पादक थीं, लेकिन स्टरलाइट कॉपर का परिचालन निलंबित होने के कारण वर्तमान में हिंडाल्को भारत के अधिकांश उत्पादन में योगदान करती है।

अदाणी नेचुरल रिसोर्सेज के मुख्य कार्याधिकारी और कच्छ कॉपर के प्रबंध निदेशक विनय प्रकाश ने बिजनेस स्टैंडर्ड के ईमेल पर दी गई प्रतिक्रिया में कहा कि इस कॉम्प्लेक्स के चरण-1 का निर्माण अंतिम चरण में है और साल 2024 में सालाना पांच लाख टन परिष्कृत तांबे की क्षमता के साथ चालू हो जाएगा। इसके बाद हमारी योजना दूसरे चरण में पांच लाख टन क्षमता विस्तार करने की योजना बना रहे हैं। इन दोनों चरणों के पूरा होने पर इस कॉम्प्लेक्स की कुल क्षमता 10 लाख टन प्रतिवर्ष हो जाएगी।

First Published - March 3, 2024 | 9:54 PM IST

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