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GST on gaming: ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों पर 1.12 लाख करोड़ रुपये के जीएसटी नोटिस पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

मार्च 2025 में होगी सुनवाई, न्यायालय ने कहा- कंपनियों पर तात्कालिक दबाव कम और कानूनी स्पष्टता जरूरी

Last Updated- January 10, 2025 | 11:12 PM IST
supreme court

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के खिलाफ जारी 1.12 लाख करोड़ रुपये वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की देनदारी से संबंधित कारण बताओ नोटिस पर रोक लगा दी है। शीर्ष न्यायालय ने आदेश दिया है कि इन नोटिसों के तहत आगे की सभी कार्यवाही तब तक के लिए स्थगित रखी जाए, जब तक इसका निश्चित समाधान नहीं निकल जाता है।

न्यायालय ने यह भी कहा है कि गेमिंग कंपनियों से जुड़े सभी मामलों को एक साथ करके 18 मार्च, 2025 को सुनवाई की जाएगी। इस विवाद की मूल वजह ऑनलाइन गेमिंग गतिविधियों पर जीएसटी लागू होने की व्याख्या है। सरकार का कहना है कि 28 प्रतिशत जीएसटी कुल कॉन्टेस्ट एंट्री राशि पर लगना चाहिए, जो प्रभावी रूप से पूरे पुरस्कार पूल पर कर है। इसके विपरीत गेमिंग कंपनियों का कहना है कि जीएसटी सिर्फ उनके प्लेटफॉर्म शुल्क और कमीशन पर लागू किया जाना चाहिए क्योंकि इनमें ज्यादातर गेम कौशल से जुड़ा हुआ है, न कि तुक्के से।

इसके अलावा यह भी विवाद है कि कर 18 प्रतिशत हो, जो सेवाओं पर लागू होता है या 28 प्रतिशत हो, जो जुए और दांव लगाने व अन्य संबंधित गतिविधियों पर लागू होता है। इस अंतर से गेमिंग उद्योग पर उल्लेखनीय वित्तीय असर होगा क्योंकि अधिकर कर की दर से उनकी कर देनदारी बढ़ जाएगी।

ईवाई में टैक्स पार्टनर सौरभ अग्रवाल ने कहा कि मार्च में होने वाली अंतिम सुनवाई नियामक परिदृश्य को आकार देने और इस क्षेत्र के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी कराधान व्यवस्था सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण होगी। ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों ने यह राहत मिलने पर खुशी जताई है।

न्यायालय में गेमिंग कंपनियों का पक्ष रखने वाले रस्तोगी चैंबर्स के संस्थापक अभिषेक ए रस्तोगी ने कहा, ‘इस स्थगनादेश से गेमिंग कंपनियों पर पड़ रहा तात्कालिक दबाव कम हुआ है और इससे कर अधिकारियों की कार्रवाई से बचाव भी होगा। साथ ही इससे राजस्व प्राधिकारियों के हितों की रक्षा होगी। कार्यवाही पर रोक लगाकर उच्चतम न्यायालय ने सुनिश्चित किया है कि यह मांग याचिका पर सुनवाई के दौरान नहीं की जा सकेगी और इस पर कानूनी स्पष्टता जरूरी है।’
ई-गेमिंग फेडरेशन के सीईओ अनुराग सक्सेना ने कहा कि यह कार्रवाई का सामना कर रहे गेमिंग ऑपरेटरों और सरकार दोनों के लिए फायदेमंद फैसला है, जिससे अब समयावधि बढ़ गई है।

सक्सेना ने कहा, ‘हमें इस मुद्दे के निष्पक्ष और प्रगतिशील समाधान का भरोसा है। इसके बाद हम गेमिंग क्षेत्र में निवेश, रोजगार और मूल्यांकन को अपनी पूरी क्षमता के साथ बढ़ते देख सकेंगे। भारतीय इक्विटी बाजार में एफआईआई निवेश में हाल ही में आई गिरावट को देखते हुए हमें अधिक से अधिक उभरते क्षेत्रों को विकसित करने की आवश्यकता है। सौहार्दपूर्ण और न्यायसंगत समाधान से भरोसे का आधार बनता है।’

First Published - January 10, 2025 | 11:11 PM IST

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