facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

Indian Pharma: अमेरिकी कैंसर दवा बाजार में धूम मचाने को तैयार भारतीय कंपनियां!

सिप्ला, बायोकॉन और जायडस को मिली मंजूरी, अब अमेरिका में बेच सकेंगी बड़ी कैंसर की दवाएं

Last Updated- April 18, 2025 | 11:13 PM IST
The regulator declared 2 medicines fake, are you also taking them…these are the names नियामक ने 2 दवाओं को नकली बताया, कहीं आप भी तो नहीं ले रहे… ये है नाम

भारतीय दवा कंपनियों की नजर 145 अरब डॉलर के अमेरिकी कैंसर दवा बाजार की बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने पर है। यह बाजार हर साल 11 फीसदी चक्रवृद्धि दर के हिसाब से बढ़ रहा है। बीते कुछ महीनों से कई भारतीय दवा कंपनियों को कैंसर की जेनेरिक दवाइयों के लिए अमेरिकी औषधि नियामक (यूएसएफडीए) से मंजूरी मिली है, जिससे अमेरिकी बाजार में जेनरिक और बायोसिमिलर दवाओं में प्रवेश लगातार बढ़ा है।

साल 2024 में अमेरिकी कैंसर दवा बाजार का मूल्य 145.52 अरब डॉलर आंका गया था और साल 2034 तक इसके 416.93 अरब डॉलर होने का अनुमान है। इस लिहाज से देखा जाए तो साल 2025 से 2034 के बीच इसके सालाना 11.1 फीसदी चक्रवृद्धि दर से बढ़ रहा है।

जानकारों का मानना है कि सिप्ला, बायोकॉन बायोलॉजिक्स और जायडस लाइफसाइंसेज को मिली मंजूरी कैंसर उपचार के जटिल क्षेत्र में भारतीय कंपनियों की बढ़ती क्षमताओं और आकर्षक अमेरिकी बाजार में उनकी बढ़ती उपस्थिति की ओर इशारा करते हैं। भारतीय कंपनियां पिछले कुछ समय से जटिल जेनेरिक पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, जो उन्हें अमेरिका में जेनेरिक क्षेत्र में मूल्य निर्धारण के दबाव से भी कहीं न कहीं बचाता है।

इक्रा की उपाध्यक्ष और समूह सह-प्रमुख किंजल शाह ने कहा, ‘वैश्विक महामारी के बाद से एफडीए प्रक्रिया सामान्य हो गई है और अब भारतीय कंपनियां कैंसर की दवाओं जैसे जटिल मॉलिक्यूल्स पर ध्यान दे रही हैं, क्योंकि बुनियादी जेनरिक श्रेणी अपने उच्चतम स्तर तक पहुंच गई है।’

बायोकॉन बायोलॉजिक्स ने 10 अप्रैल को एवास्टिन के बायोसिमिलर जोबेवेन (बेवाकिजुमाब-एनयूजीडी) के लिए एफडीए मंजूरी मिलने की घोषणा की थी। इसका उपयोग कोलोरेक्टल, फेफड़े और ग्लियोब्लास्टोमा जैसे विभिन्न कैंसर के उपचार में किया जाता है। यह बायोकॉन का अमेरिका में स्वीकृत सातवां बायोसिमिलर है, इसके साथ ही इसके कैंसर की दवाओं के पोर्टफोलियो का विस्तार हुआ है। कंपनी अमेरिका, यूरोप और कनाडा में ओगिवरी और फुलफिला जैसे बायोसिमिलर भी बेचती है।

सिप्ला ने एब्राक्सेन के अपने एबी-रेटेड-जेनरिक संस्करण के लिए अमेरिकी औषधि नियामक से मंजूरी हासिल कर ली। इसका उपयोग स्तन कैंसर, गैर स्मॉल सेल फेफड़ों के कैसंर और पैंक्रियाटिक कैंसर में उपयोग होता है और सिप्ला की यह दवा 2025-26 की पहली छमाही में अमेरिका में आ सकती है। मार्च में जायडस को भी मेटास्टेटिक कैस्ट्रेशन-सेंसिटिव प्रोस्टेट कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एर्लेडा की जेनेरिक दवा को मंजूरी मिली थी।

First Published - April 18, 2025 | 11:13 PM IST

संबंधित पोस्ट