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बांग्लादेश में अस्थिरता का भारतीय कपड़ा उद्योग को हो रहा फायदा, ग्लोबल ब्रांड्स से भर-भरकर आ रहे ऑर्डर

तिरुपुर और नोएडा को मिल रहे भारी ऑर्डर

Last Updated- September 05, 2024 | 3:31 PM IST
Clothing Industry

‘किसी का नुकसान, किसी का फायदा’ – यह पुरानी कहावत आज भी सही साबित हो रही है। बांग्लादेश में जारी राजनीतिक अस्थिरता के बीच तमिलनाडु के छोटे शहर तिरुपुर और यूपी के नोएडा के टेक्सटाइल क्लस्टर की किस्मत बदल रही है। चूंकि, अंतरराष्ट्रीय कपड़ा ब्रांड अब वैकल्पिक उत्पादन विकल्प खोज रहे हैं। ऐसे में इन शहरों के कपड़ा उद्योगों को खूब ऑर्डर मिल रहे हैं।

‘द इकोनॉमिक टाइम्स’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, तिरुपुर के निटवियर निर्यात उद्योग ने पिछले दो हफ्तों में 450 करोड़ रुपये के निर्यात ऑर्डर हासिल किए हैं। जर्मनी, नीदरलैंड्स और पोलैंड जैसे देशों के ब्रांड बांग्लादेश की अस्थिरता के चलते भारत की ओर रुख कर रहे हैं।

रिपोर्ट में तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (TEA) के अध्यक्ष केएम सुब्रमण्यम के हवाले से बताया गया कि प्रमुख खुदरा विक्रेताओं जैसे KiK, Zeeman और Pepco ने जल्द से जल्द डिलीवरी के लिए क्रिसमस और नए साल से पहले डिलीवरी के लिए ऑर्डर दिए हैं।

अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों से निटवियर की बढ़ी मांग

ऑर्डरों में बच्चों के कपड़े, नाइटवियर, टॉप्स और पायजामे जैसे विभिन्न निटेड गारमेंट शामिल हैं। तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (TEA) के अध्यक्ष केएम सुब्रमण्यम ने इसे ‘एकाएक आई ऑर्डर की बाढ़’ बताया है। उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर ब्रांड अपने ऑर्डर दिसंबर और जनवरी में वसंत/शरद ऋतु के सीजन के लिए या जून और जुलाई में छुट्टियों के सीजन के लिए देते हैं। लेकिन क्रिसमस से पहले मांग में अचानक आई यह वृद्धि तिरुपुर हब के लिए पहली बार है।

इसके अलावा, वैश्विक ब्रांडों ने तिरुपुर में 10 नए चयनित निटवियर कारखानों में सोशल ऑडिटिंग शुरू की है, जो बताता है कि भविष्य में ऑर्डर और भी बढ़ सकते हैं। सुब्रमण्यम ने कहा, “ऑडिटिंग प्रक्रिया मध्य सितंबर तक पूरी होने की उम्मीद है। अगर ये कारखाने वैश्विक स्टैंडर्ड पर खरे उतरते हैं, तो नए साल में और ऑर्डर मिलने की संभावना है।”

नोएडा के कपड़ा निर्यात क्लस्टर को ज़ारा से मिले बड़े ऑर्डर

नोएडा के वस्त्र निर्यात उद्योग को भी फायदा हो रहा है। नोएडा अपैरल एक्सपोर्ट क्लस्टर (NAEC) ने पिछले महीने की तुलना में ज़ारा से 15 प्रतिशत ऑर्डर बढ़ने की रिपोर्ट दी है। NAEC के अध्यक्ष ने बताया कि ज़ारा ने महिलाओं के टॉप्स और ड्रेसेस के ऑर्डर दिए हैं, जिनकी कीमत 5 से 9 डॉलर के बीच है और 60 दिनों की डिलीवरी समयसीमा रखी गई है। उन्होंने यह भी कहा, “साल के इस समय में इतने बड़े ऑर्डर असामान्य हैं।”

बांग्लादेश से भारत की ओर शिफ्ट हो रहे कपड़ा निर्यात

अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के दक्षिणी क्षेत्र के प्रमुख ए सख्तिवेल ने बताया कि कुछ ब्रांडों ने बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के कारण अपने ऑर्डर तिरुपुर की ओर मोड़ दिए हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत सरकार यूरोपीय संघ के साथ एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) को अंतिम रूप देती है, तो भारत और अधिक ऑर्डर आकर्षित कर सकता है। सख्तिवेल ने कहा, “बांग्लादेश को यूरोपीय संघ के साथ अपने FTA का लाभ मिलता है, जो उसे कंपटीशन के मामले में बढ़त देता है।”

वित्त वर्ष 2024 में भारत ने 14.5 बिलियन डॉलर का कपड़ा निर्यात किया, जबकि वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में रेडीमेड गारमेंट निर्यात 3.9 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जबकि बांग्लादेश का निर्यात 9.7 बिलियन डॉलर था। केयरएज रेटिंग्स के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में बांग्लादेश के कपड़ा निर्यात भारत से लगभग 3.2 गुना अधिक था, लेकिन वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में यह अनुपात घटकर 2.5 गुना हो गया, जो वैश्विक बाजार में भारत की बढ़ती हिस्सेदारी को दर्शाता है।

रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में जारी अस्थिरता के कारण भारत सरकार ने भारत-बांग्लादेश मित्रता पाइपलाइन (IBFP) निर्माण परियोजना को रोक दिया है। डीजल, जो बांग्लादेश के कपड़ा उद्योग के लिए बहुत जरूरी है, इस फैसले से प्रभावित हो सकता है और इससे वहां कपड़ा उत्पादन में रुकावट आ सकती है।

First Published - September 5, 2024 | 3:31 PM IST

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