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छोटे शहरों से ई-कॉमर्स को दम, 3 लाख रुपये से कम आमदनी वाले Amazon, Flipkart जैसे प्लेटफॉर्म्स के सबसे ज्यादा यूजर

सर्वेक्षण में शामिल 83 फीसदी उत्तरदाता मझोले शहर के थे, जो फ्लिपकार्ट का उपयोग करते थे जबकि बड़े शहरों में यह हिस्सा 77 फीसदी था।

Last Updated- August 23, 2024 | 11:23 PM IST
E-commerce

ई-कॉमर्स कंपनियों को सबसे कम आय वर्ग वाले लोगों से दम मिल रहा है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। पहले इंडिया फाउंडेशन की ‘एसेसिंग द नेट इम्पैक्ट ऑफ ई-कॉमर्स ऑन एम्प्लॉयमेंट ऐंड कंज्यूमर वेल्फेयर इन इंडिया’ रिपोर्ट में कहा गया है कि सालाना तीन लाख रुपये कम कमाने वाले लोगों के बीच ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की जबरदस्त लोकप्रियता है और यह तबका अन्य आय वर्गों की तुलना में इसका सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है।

यह रिपोर्ट देश के 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 35 शहरों में 2,031 ऑफलाइन वेंडर, 2,062 ऑनलाइन वेंडर और 8,029 ई-कॉमर्स उपभोक्ताओं पर आधारित है। अधिकतर आय समूहों के बीच फ्लिपकार्ट सबसे ज्यादा लोकप्रिय ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है, जबकि एमेजॉन कुछ वर्गों में ही इसकी बराबरी करता है।

जहां तक सबसे कम आय वर्ग वाले लोगों का सवाल है, उनमें से 22 फीसदी उपयोगकर्ता अपने कपड़े और व्यक्तिगत देखभाल की जरूरत वाली चीजों की खरीदारी के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं। उसके बाद इस आय वर्ग के 20 फीसदी लोग ऐसे सामान की खरीद के लिए एमेजॉन, 16 फीसदी लोग मीशो, 10 फीसदी लोग मिंत्रा और 2 फीसदी लोग नायिका का उपयोग करते हैं।

सर्वेक्षण में शामिल इससे थोड़ी ज्यादा यानी 6 लाख से 9 लाख रुपये सालाना की आमदनी वाले सिर्फ 8 फीसदी लोग फ्लिपकार्ट और एमेजॉन का उपयोग करते हैं। उच्च आय वर्ग वाले लोग मिंत्रा, स्नैपडील, नायिका, आजियो, रिलायंस डिजिटल और सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करते हैं।

आमदनी बढ़ने पर उपभोक्ताओं की संख्या में गिरावट आती है। 12 से 15 लाख सालाना साथ ही साथ 15 लाख से ज्यादा की कमाई करने वाले महज एक फीसदी लोगों ने बताया कि वे फ्लिपकार्ट, एमेजॉन और मीशो का उपयोग करते हैं। उनमें से किसी ने अन्य प्लेटफॉर्म उपयोग करने की जानकारी नहीं दी। इस कम हिस्सेदारी का एक कारण यह भी हो सकता है लोग इस सर्वेक्षण में अपनी आय बताना नहीं चाहते हों।

इन पांचों कंपनियों के लिए मझोले शहरों में बिक्री से दम मिलता है।

सर्वेक्षण में शामिल 83 फीसदी उत्तरदाता मझोले शहर के थे, जो फ्लिपकार्ट का उपयोग करते थे जबकि बड़े शहरों में यह हिस्सा 77 फीसदी था।

सभी शहरों में फ्लिपकार्ट और एमेजॉन की लोकप्रियता बरकरार है। रिपोर्ट के मुताबिक, ई-कॉमर्स ने 1.58 करोड़ नौकरियां दी हैं। औसतन ई-कॉमर्स ने प्रति वेंडर नौ नौकरियां पैदा की हैं जबकि प्रत्येक ऑफलाइन वेंडर ने करीब 6 लोगों को रोजगार दिया है। ऑफलाइन वेंडर के मुकाबले ऑनलाइन वेंडर ने करीब दोगुनी संख्या में महिला कर्मचारियों को नौकरी पर रखा है।

इस रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि ई-कॉमर्स कंपनियां कैसे भारत की अर्थव्यवस्था को बदल रही हैं और रोजगार तथा उपभोक्ता कल्याण पर इसका क्या असर पड़ रहा है। मगर हाल के वर्षों में बिजनेस-टू-कंज्यूमर (बी-टू-सी) ई-कॉमर्स के लिए फंडिंग में गिरावट आई है।

मार्केट इंटेलिजेंस फर्म ट्रैक्सन के आंकड़ों के मुताबिक, यह साल 2019 के 2.39 अरब डॉलर से घट कर साल 2023 में 0.29 अरब डॉलर रह गया था, मगर यह साल 2024 में मामूली रूप से बढ़कर 0.39 अरब डॉलर हो गया, जो साल 2019 के स्तर से काफी नीचे ही है।

First Published - August 23, 2024 | 11:16 PM IST

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